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लॉकडाउन कहानियां, जो इस मुश्क़िल घड़ी में देती हैं राहत के कुछ पल

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5 पिल्स फ़ॉर डिप्रेशन-स्ट्रेस, जिन्हें गटकर आप फ्रेश फ़ील करेंगे

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सफर की निरंतरता का प्रतीक है अधूरापन

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Top 30 Short Stories in Hindi : 30 सर्वश्रेष्ठ लघु कहानी

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लघु कहानी: “शीर्ष 30 लघु कहानियों ( Short Stories ) का संग्रह: इस पृष्ठ पर हम लाए हैं वो 30 दिलचस्प और संवेदनशील कहानियां जो हर विभाग के पाठकों को मोहित करेंगी। हर कहानी अपने विषय, संदेश, और दृष्टिकोण के साथ अनूठी है, जिससे पठन्तर करने वालों को सोचने पर मजबूर करती हैं। यह संग्रह विभिन्न विषयों पर आधारित है, जैसे कि प्रेरणादायक, भूतपूर्व, और भयानक, जिससे विचार करने वालों को एक सामाजिक और भावनात्मक सफर पर ले जाती हैं। यहां हर कहानी एक छोटा साहित्यिक रत्न है जो संबंधित सामाजिक और मानव समस्याओं पर चिंता करती है और पठकों को जीवन की सीखों से समृद्धि प्रदान करती है।”

List of Top 30 Short Stories in Hindi

1. लघु कहानियाँ : फादर्स डे विशेष 

2. लघु कहानियाँ  :   रामू और शामू की होशियारी

3. लघु कहानियाँ :   सास की सीख

4. लघु कहानियाँ : ईमानदारी

5.  लघु कहानियाँ  :   अधूरा संसार तेरे बिन

6. लघु कहानियाँ  :   इंसान की कीमत

7. लघु कहानियाँ  :   जेठानी का प्यार 

8.  लघु कहानियाँ  :   औरत पहले हूं

9. लघु कहानियाँ  :   ‘खाली वक्त’

10. लघु कहानियाँ  : मां का आर्शीवाद

11. लघु कहानियाँ :   होली के बहाने

12. लघु कहानियाँ :   खतरे की घंटी

13.  लघु कहानियाँ  :   अपना घर

14.  लघु कहानियाँ  :   अब तो खत्म करो ये जात पात का चलन

15.  लघु कहानियाँ :   डिलीवरी गर्ल

16. लघु कहानियाँ  :   जीते जी

17.लघु कहानियाँ : कन्या पूजन

18. लघु कहानियाँ : नवरात्रि पर शक्ति आराधना का महत्व

19.  लघु कहानियाँ  :   “क्षितिज”

20.  लघु कहानियाँ  :   असमंजस

21. लघु कहानियाँ  : कशिश

22.लघु कहानियाँ :   तनख्वाह

23.  लघु कहानियाँ  :   जड़

24. लघु कहानियाँ  :   आज फिर नाराजगी

25.  लघु कहानियाँ  : “कुल तीन जने हैं बस”

26.  लघु कहानियाँ  :   आकर्षण प्यार का पहला दर्पण

27. लघु कहानियाँ  : समाधान

28.  लघु कहानियाँ  : “परिपक्वता”

29. लघु कहानियाँ  : सच्चा सुख

30. लघु कहानियाँ  : बुढ़ापा

1. फादर्स डे विशेष   – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

आज फिर नाराजगी-लघु कहानी

आज फिर नाराजगी-लघु कहानी

Hindi Kahani: अब रविवार को दोपहर के समय भी यह नालायक फोन नही उठा रहा है ?” इस तरह ,,रूठ कर  मुंह बनाकर उमा एक कुर्सी मे बैठ गई। ,”सुनो उमा,,अभी अभी ,ये ,नई कंपनी में  नौकरी लगी है। उसे, कुछ काम आ गया होगा ।”,” ओहो,,तो ,,कंपनी बदल दी है तो बिजी है ,पांच…

fathers day vishesh Short Stories

गृहलक्ष्मी की लघु कहानी-पिताः एक रिश्ता विश्वास भरा

‘सुनो, गुड़िया आजकल बहुत खोई सी रहती है. क्या बात है?’ ‘मुझे भला वह कुछ बताती है? अपनी हर बात वह आप ही से शेयर करती है. कुछ खरीदना होगा तो आप से ही कहेगी। आपकी लाडली है, आप ही पूछिएगा.’ Read more…

2. रामू और शामू की होशियारी   – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

Ramu aur Shamu kee hoshiyaaree Short Stories

Bravery Story in Hindi: रामू और शामू दोनों अच्छे दोस्त थे । दोनों सातवीं कक्षा में पढ़ते थे । दोनों का घर पास में था । एक दिन रामू की मम्मी ने रामू से कहा, बेटा बाजार से सब्जी ले आओ । रामू बाजार से सब्जी लेकर आया । जब उसकी मम्मी ने सब्जी देखी , तो रामू से कहा कितनी बेकार सब्जी लाये हो । Read more…

3. सास की सीख – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

saas kee seekh Short Stories

बड़े घर की बेटी राधा शादी करके ससुराल आई। दूसरे ही दिन आस-पड़ोस की स्त्रियां उसे देखने के लिए आई। उसे देख कर पड़ोसन बोली- “बहू, तुमने पूर्वजन्म में बहुत ही पुण्य कमाएं होंगे तभी तुम्हें इस खानदान परिवार की बहू बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।” Read more…

4. ईमानदारी – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

eemaanadaaree Short Stories

ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है ऐसा तो हम सभी ने सुना है। ईश्वर भी उसका ही साथ देते हैं जो इमानदारी से अपनी राह पर चलकर अपना मुकाम बनाते हैं बेईमानी की राह में क्षणिक सुख तो संभव है, लेकिन ईमानदारी के साथ चला हुआ हर कदम सफलता के नए आयाम खोलता है। आपने लकड़हारा और उसकी कुल्हाड़ी वाली ईमानदारी की कहानी तो अवश्य सुनी होगी,चलो आज मैं आपको चार मित्रों की कहानी सुनाती हूं। Read more…

5. अधूरा संसार तेरे बिन – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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बादल आसमान में घूमर घूमर कर मौसम को खूबसूरत बना रहे थे। मैं एक कप चाय के साथ बालकनी में बैठ कर मौसम का आनंद ले रही थी। अचानक चाय पीते पीते कहीं खो सी गई यादों की दुनिया में , पहली बार जब मैं मां बनने वाली थी तो परिवार वालों ने मेरा अल्ट्रासाउंड करवाया और पता चला कि लड़की है उन्होंने मेरा अबॉर्शन करवा दिया।मेरे ना चाहने के बावजूद मैं बहुत मना की फिर भी किसी ने मेरी नहीं सुनी  । Read more…

6. इंसान की कीमत – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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इंसान की कीमत-दीनू के बेटे की तबीयत खराब थी । सरकारी अस्पताल में इलाज कराकर वह थक चुका  था । काफी रुपये खर्च कर चुका था । इसके बावजूद उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था । काफी जांच के बाद पता चला कि उसके बेटे का एकमात्र इलाज ऑपरेशन है । ऑपरेशन  में एक लाख रुपये खर्च होने का अनुमान था । Read more…

7. जेठानी का प्यार  – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Hindi story : “माँजी! देखिये मैं आप सब के लिए क्या लेकर आयी हूँ!” शालिनी ने अपनी सास उमा जी से कहा| शालिनी सास, ससुर, पति, ननद जेठ सबके लिए महंगे कपड़े लेकर आयी थी सिवाय जेठानी रमा के|  शाम को किचन में रमा को जाते देख कर शालिनी ने कहा “भाभी सुनिये ना! ये लीजिये जेठ जी और बच्चों के लिए नया टैबलेट लेकर आयी थी।   ” Read more…

8. औरत पहले हूं  – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Women Story: चलो जीजी ओर बताओ और क्या बनाना है? अपना राघव आता ही होगा, पूरे चार बरस बाद आ रहा है, शहर से पढ़ाई करके। बहुत सही करा जीजी जो तुमने उसे सही समय पर पढ़ने भेज दिया। मुझे तो बहुत फिक्र होती है, अपने बेटे सूरज की । आपके देवर ने उसे शुरू से ही लड़के होने के गुरुर के साथ पाला है कि वो लड़का है तो कुछ भी कर सकता है। Read more…

9. ‘खाली वक्त’ – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Free Time Story: आज फिर हमेशा की तरह मूड ऑफ था सजंना का, नोक-झोंक कोई नई चीज नहीं थी उसके लिए। सजंना का पति अमित बड़ा ऑफिसर था। सुख-सुविधा की कोई भी कमी नहीं थी। लेकिन संजना की जिंदगी में हर चीज की कमी थी। Read more…

10. मां का आर्शीवाद – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Mother’s Blessing Story: अनिल आज बहुत खुश था आज वह अपने परिवार के साथ अपने रिश्ते की बात करने जाने वाला था। लड़की को वह नहीं जानता था पर  उसके लड़की से  उसके पापा से परिचित थे। और अनिल को पापा पर भरोसा था। उसकी मम्मी के जाने के बाद पापा ने ही तो मम्मी और पापा दोनों का प्यार अनिल को दिया था । Read more…

11. होली के बहाने – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Holi Story: “दीदी, रमैया कल से काम पर नहीं आएगी अब वह 15 दिन के बाद ही वापस काम पर आएगी।”

मेरे घर में काम करने वाली 18 वर्षीय रमैया की मां सावित्री बाई ने जब मुझे यह बात बोली तो मैं हैरान हो गई । तब मुझे यही लगा कि शायद रमैया की तबीयत खराब है या उसे कहीं जाना होगा,इसलिए उसने 15 दिन की छुट्टी के लिए कहलवाया है। Read more…

12. खतरे की घंटी – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Hindi Kahani: छुट्टियों में इंजिनियरिंग कॉलेज से घर आया तो मोहल्ले का माहौल बदला दिखा। पड़ोस की खिड़की हया से गुलजार थी। हया,एक प्यारी सी लड़की जिसे देखते ही होश गुम होता था। एक रोज क्रिकेट की बॉल उछलकर उसके कैंपस में पहुंची तो उसने बड़ी अदा से मुस्कुराकर गेंद लौटाया। अब यह रोज का क्रम बन गया था। Read more…

13. अपना घर – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

apna ghar Short Stories

House Story: मुग्धा रूप रंग में साक्षात सौंदर्य की देवी प्रतीत होती थी। गौर वर्ण, श्यामल केश,सुराही जैसी गर्दन और चाल ऐसी लुभावनी की हिरणी भी शर्मा जाए। पाक कला में दक्ष मुग्धा ,पढ़ाई में सामान्य रही थी। Read more…

14. अब तो खत्म करो ये जात पात का चलन – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

ab to khatm karo ye jaat paat ka chalan Short Stories

Caste System Story: प्रतिदिन मुंह अंधेरे सुबह सुबह माला आ जाती है बर्तन धोने। कभी साढ़े चार तो कभी पांच,बहुत झुंझलाहट भी होती है,मन नही करता की उठकर गेट खोलूं । लेकिन फिर ये लगता है की वो भी  तो काम करने निकली है,अब तक पांच घरों में बर्तन मांज चुकी होती है। Read more…

15. डिलीवरी गर्ल – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

delivery girl Short Stories

Hindi Kahaniya: अपने पति और बच्चों के साथ पोर्टिको में बैठकर , हम सभी गप्पे मार रहे थे । साथ में चाय नाश्ता चल रहा था । गप्पे और ठहाके इतनी तगड़ी चल रही थी। बाहरी दुनिया की कोई खबर नहीं हम लोग खुद में इतने मशगूल थे । Read more…

16. जीते जी – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

jeete jee Short Stories

Life Lesson Story: आज रामसहाय की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। उसकी पत्नी की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी। वह अपनी पत्नी कान्ति के गुणों का बखान कर बहुत तेज रो रहा था।  वह ऐसी थी उसके रहते हुए मुझे कभी किसी बात की चिंता नहीं थी । Read more…

17. कन्या पूजन – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Kanya Puja Story: शांता भाभी ओ शांति भाभी कैसी हो,जरा अपनी पोती खुशी को हमारे घर कन्या पूजन के लिए तो भेज देना, यहां आसपास कन्या कोई दिखती ही नही,बस एक तुम्हारी पोती ही नजर आवे है। Read more…

18. नवरात्रि पर शक्ति आराधना का महत्व – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

navaraatri par shakti aaraadhana ka mahatv Short Stories

Navratri Story: नवरात्रि यानी शक्ति की पूजा आराधना , शक्ति की आराधना हमारे समाज में दर्शाती है कि स्त्री एक शक्ति है और शक्ति के बिना तो शिव भी अधूरे हैं, फिर हम सामान्य इंसान की तो बात ही क्या करें? Read more…

19. “क्षितिज” – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Family Story: अनुप्रिया व राजीव के शादी की रिसेप्शन पार्टी चल रही थी। राजीव की मां सुनन्दा अपने डॉक्टर बेटे और वैज्ञानिक बहू को सभी आने जाने वाले दोस्त रिश्तेदारों से मिला रही थी।

पार्टी समाप्त होने के बाद उनकी बड़ी ननद ने कहा ,”भाभी,बुरा मत मानना…..लेकिन आप ने इस शादी के लिए हाँ कैसे और क्यों कह दी?कहाँ अपना स्मार्ट गोरा चिट्टा बेटा?और कहाँ ये मीडिल क्लास घर की सांवली छोटे कद की लड़की। Read more…

20. असमंजस – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Hindi Short Kahani: “आशा मैडम, मै अंदर आ सकती हू क्या?” फुसफुसाकर, रजनी ने कहा तो आशा मैडम ने झाक कर देखा ।,”अरे,,रजनी, आओ ,सबकी छुटटी हो गई है पर तुम घर नही गई अब तक ।”आशा मैडम ने उसे स्नेहिल भाव से यह सब कहा । Read more…

21. कशिश – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

kashish Short Stories

Girl Story Hindi: पिछली रात बेचैनी से कटी। इस दौरान करवटें बदलती एक बात बार बार मुझे चुभती कि आखिर मधु ने कल मुझे अपने घर बुलाया क्येां? माना कि पहल मैंने की। लेकिन वह भी दोशमुक्त नहीं हो सकती। Read more..

22. तनख्वाह – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

tanakhvaah Short Stories

Tankhwa Hindi Kahani: शुभम मां की हालत देखकर परेशान हुआ जा रहा था। अभी दो महीने तो गुजरे थे.. पिताजी को गुजरे हुए और दो महीने में ही  लगता था मां  एकदम सूख गई है। शुभम किसी तरह चाहता था कि मां नॉर्मल जिंदगी में वापस लौट आए । Read more…

23. जड़ – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

jad Short Stories

Moral Kahani: सौंदर्य की प्रतिमूर्ति स्वंय को सर्वगुण सम्पन्न समझने वाली लेखा जी का मानना था कि दुनिया की किसी भी उपलब्धि और सफलता पर सिर्फ उनका ही अधिकार हो सकता है। स्वयं को स्थापित करने की होड़ में वे किसी भी हद को पार कर लेती थी साम दाम दंड भेद की इस कला के उनके पति भी पारखी थे। Read more…

24. आज फिर नाराजगी – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Hindi Kahani: अब रविवार को दोपहर के समय भी यह नालायक फोन नही उठा रहा है ?” इस तरह ,,रूठ कर  मुंह बनाकर उमा एक कुर्सी मे बैठ गई। ,”सुनो उमा,,अभी अभी ,ये ,नई कंपनी में  नौकरी लगी है। Read more…

25. “कुल तीन जने हैं बस” – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Short Story in Hindi-

कुल तीन जने हैं बस… कितना अच्छा है न.. अम्मा, पापा और बेटा तुम फटाक से खाली हो जाती होगी। Read more…

26. आकर्षण प्यार का पहला दर्पण – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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First Love Story: अचानक से जब कोई बेगाना अपना अपना सा लगने लगता है। साथ ही अनेक तरह की भावनाओं का ज्वार जब हमारे अंदर उमरने लगता है। जो हमें विपरीत लिंग के प्रति तेजी से आकर्षित करने लगता है। यही आकर्षण प्यार का पहला दर्पण है, जिसकी वजह से कोई साधारण सा भी मेरे लिए खास हो जाता है। Read more …

27. समाधान – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Samadhan Story: राम लाल की पत्नी सुनंदा के गुजर जाने के बाद उनका पुत्र राजेश उन्हें अपने पास शहर में ले आया था। और घर की ऊपर की मंजिल में बने एक कमरे में  उनके रहने की व्यस्था कर दी थी। किंतु  राजेश की पत्नी रमा को ये बात फूटी आंख नहीं सुहा रही थी। Read more…

28. “परिपक्वता” – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Hindi Maturity Story: पूरे घर में जब से पता चला है कि उनकी प्यारी श्रेया किसी अबराम फल वाले को पसंद करती है, मिलती है, अभी उम्र ही क्या है श्रेया की, अभी पिछले महीने ही तो 18 वर्ष की पूरी हुई है। Read more….

29. सच्चा सुख– लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Saccha Sukh Story: हर कोई सच्चे सुख की तलाश में भटकते रहता है। जिंदगी इतनी भी आसान नहीं होती,आखिर सच्चा सुख मिलता कहां है???आज मोनिका के पति को बिजनेस के सिलसिले में गए हुए तीसरा दिन था।एक महीने की ये ट्रिप थी………। Read more….

30. बुढ़ापा – लघु कहानी: Short Stories in Hindi

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Short Story: श्याम के पापा ने आवाज लगाई । आ रही हूं दोनों साथ में खाना खाते हैं और घर को देखते हुए। कितने ही प्यार से हम लोगों ने यह घर बनाया। जब हमारे बच्चे बड़े होंगे । सबका शादी ब्याह होगा, पूरा परिवार भरा पूरा होगा। Read more…

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गोदान ( उपन्यास ) की समीक्षा | Godan Book Review In Hindi

Godan Book Review In Hindi –   हेल्लो फ्रेंड्स , आज के इस लेख में हम मुंशी प्रेमचंद जी की सर्वोतम कृति माना जाने वाला उपन्यास गोदान की समीक्षा करेंगे ! यह एक कृषि और भारतीय संस्कृति पर आधारित महाकाव्य है जिसमे भारतीय गाँवो के समाज का सजीव चित्रण किया गया है ! इस उपन्यास में होरी और धनियाँ को मुख्य पात्र बनाया गया है ! आइये जानते है Godan Book Review In Hindi

Introduction

Name – Godan ( उपन्यास )

Author – Munshi Premchand

Subject  – साहित्य

Pages – 328

लेखक के बारे में ( About Author )

मुंशी प्रेमचंद का जन्म वाराणसी , उत्तर प्रदेश में 31 जुलाई , 1880 को हुआ ! वह एक अध्यापक और लेखक के रूप में जाने जाते थे ! उन्होंने बहुत सी कहानी और उपन्यासों की रचना की है ! उन्होंने अपनी कहानी और उपन्यासों द्वारा समाज में एक अलग ही पहचान बनाई है ! उनके कहानी और उपन्यास आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितने पहले थे ! 56 वर्ष की उम्र में 8 अक्टूम्बर 1936 को उनका देहांत हो गया था !

Godan Book Review In Hindi

गोदान ( Godan ) मुंशी प्रेमचंद का एक हिंदी उपन्यास है जिसमे 20 सदी के रुढ़िवादी समाज का जिवंत चित्रण किया गया है ! Godan में भारतीय किसान का अद्भुत चित्रण किया गया है जिसमे दिखाया गया है कि वह कैसे अपने परिवार को पालने के लिए सेठ , साहुकारो , जमींदारो आदि के शोषण का शिकार होता है और अपनी पूरी जिंदगी भय और निराशा के साथ गुजारता है !

गोदान में बताया गया है कि कैसे एक भारतीय किसान अपनी छोटी – छोटी जरूरतों के लिए साहुकारो से ऋण लेता है और हमेशा उस कर्ज को चुकाने के लिए निराशा में अपनी सम्पूर्ण जिंदगी गुजार देता है ! इसमें बताया गया है कि कैसे जमीदार , मील के मालिक , पेशेवर वकील , राजनेता लोग आदि अनपढ़ और नासमझ किसानो का शोषण करते है !

गोदान में लेखक प्रेमचंद ने जो भी बाते कही है वे सब एक संदर्भ में कही है जो आज भी उतना ही महत्वपूर्ण रखती है जितना वो पहले रखती थी ! गोदान में लेखक ने महाजनों , साहुकारो आदि पर तीखे प्रहार किये है और बताया है कि एक किसान को पूरी जिंदगी इनके चक्कर लगाने में गुजारनी पड़ती है !

गोदान उपन्यास के मुख्य पात्र

होरी – मुख्य नायक

धनियाँ – होरी की पत्नी

गोबर , सोना , रूपा – होरी की संतान

हीरा और शोभा – होरी के भाई

झुनियाँ – गोबर की पत्नी

मुंशी प्रेमचंद जी एक बहुत बड़े कहानीकार और उपन्यासकार के रूप में जाने जाते है ! उनकी कहानियां और उपन्यास आज भी समाज को एक अच्छा सन्देश देती है ! गोदान प्रेमचंद जी का एक बहुत ही शानदार उपन्यास है ! गोदान ( Godan ) में लेखक ने हमारे समाज की कुंठा , निराशा , ऋणग्रस्तता आदि का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है ! प्रेमचंद जी ने गोदान के जरिये यह बताने का प्रयास किया है कि भारतीय किसान साहुकारो के चंगुल में फसकर कर्ज का शिकार रहा है और अपने परिवार का पेट पालने की चिंता में ही अपना जीवन गुजर देता है !

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गोदान ( उपन्यास ) की समीक्षा | Godan Book Review In Hindi

हेल्लो फ्रेंड्स , मेरा नाम जगदीश कुमावत है और मै BooksMirror.Com का फाउंडर हूँ ! यह एक हिंदी बुक्स ब्लॉग है जिसमे हम Motivational और self – help बुक्स की समरी और रिव्यु शेयर करते है !

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Godan Book Review in Hindi

आज की पोस्ट में हम गोदान उपन्यास के सारांश को पढ़ेंगे और गोदान उपन्यास की समीक्षा व प्रश्नोत्तर (godan book review in hindi )तैयार करेंगे 

गोदान उपन्यास सारांश – Godan Summary in Hindi

Table of Contents

अवध प्रांत में पांच मील के फासले पर दो गाँव हैं: सेमरी और बेलारी । होरी बेलारी में रहता है और राय साहब अमर पाल सिंह सेमरी में रहते हैं। खन्ना, मालती और डाॅ.मेहता लखनऊ में रहते हैं। गोदान का आरंभ ग्रामीण परिवेश से होता है। धनिया के मना करने पर भी होरी रायसाहब से मिलने बेलारी से सेमरी जाता है। उसे लगता है कि रायसाहब से मिलते रहने से कुछ सामाजिक मर्यादा बढ़ जाती है। वह कहता है, ’’यह इसी मिलते-जुलते रहने का परसाद है कि अब तब जान जान बची हुई है।’’ वह समझता है कि इनके पाँवों तले अपनी गर्दन दबी हुई है। इसलिए उन पाँवों के सहलाने में ही कुशल है।

रास्ते में उसे पङोस के गाँव का ग्वाला भोला मिलता है। उसकी गायों को देखकर होरी के मन में एक गाय रखने की लालसा उत्पन्न होती है। वह विधुर भोला के मन में फिर से सगाई करा देने का लालच देता है। भोला उसे अस्सी रुपये की गाय उधार पर ले जाने का आग्रह करता है और अपने पास भूसे की कमी बात करता है। होरी अभाव में पङे आदमी से गाय ले लेने को उचित न मानकर फिर ले लूंगा। कहकर गाय लेने से मना कर देता है, पर भूसा देने का वायदा कर सेमरी में पहुँचता है।

रायसाहब अपनी असुविधाओं को बता कर चाहते हैं कि टैक्स की वसूली में होरी उनकी सहायता करे। होरी उनकी बातों आ जाता है। इस समय एक आदमी आकर राय साहब को बताता है कि मजदूर बेगार करने से मना कर रहे है। यह सुनकर राय साहब आग बबूला हो जाते हैं और उन्हें हंटर से ठीक करने की कह उठकर चले जाते हैं।

घर पर पहुँचर होरी राय साहब भी तारीफ करता है बेटा गोबर उन्हें ’रंगा सियार’ कहकर उनसे अपनी नफरत जाहिर करता है। होरी बताता है कि उसने भोला को भूसा देने का वचन दिया है। यह सुनकर गोबर और धनिया उस पर बिगङते है। होरी जब बताता है कि भेाला धनिया की प्रशंसा कर रहा था, तब धनिया कुछ नरम पङ जाती है। भोला भूसा लेने आता है। धनिया तीन खोंचे भूसा भरवाकर पति और बेटे को उसके घर तक भूसा पहुँचाने को कहती है। भोला के घर पर उसकी विधवा बेटी झुनिया है। उससे गोबर की मुलाकात होती है। दोनों परस्पर के प्रति आकर्षित हो जाते हैं। भोला होरी से दूसरे दिन गाय ले लेने को कहता है।

दूसरे दिन गोबर भोला के घर से गाय लाता है। झुनिया उसे छोङने बेलारी के निकट तक आती है। फिर मिलने का वायदा करके लौट जाती है।

गाय के आते ही होरी के घर में आनन्द की लहर उमङती है। गाय का भव्य स्वागत किया जाता है। गाय के लिए आँगन में नाँद गाङी जाती है। गाँववाले आकर गाय के लक्षण भी और होरी की खुशकिस्मती की तारीफ करते है। केवल अलग्योझा हो गए उसके दो भाई हीरा और शोभा नहीं आते। हीरा होरी की निंदा कर रहा था। होरी धनिया को यह बताता है। धनिया यह सुनकर उससे झगङती है।

सेमरी में राय साहब के घर पर उत्सव है। उसमें धनुषयज्ञ नाटक में होरी जनक के माली का अभिनय करता है। उत्सव के लिए होरी को पांच रुपये नजराना देना है। राय साबह के मेहमानों में गाँव और शहर के लोग हैं। शहर के मेहमान हैं – बिजली पत्र के संपादक पं. ओंकारनाथ, वकील तथा दलाल मि. तंखा, दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर डाॅ. मेहता, मिल मालिक मि. खन्ना, उनकी धर्मपत्नी कामिनी (गोविन्दी), डाॅक्टर मिस मालती और मिर्जा खुशींद। वहाँ बातचीत में रायसाहब जमींदारी प्रथा के शोषण की निंदा करते हैं।

डाॅ. मेहता और रायसाहब की कथनी और करनी के अंतर में प्रति व्यंग्य करते हैं। भोजन के समय मालती मांस-मदिरा का स्थान छोङकर ओंकारनाथ को भुलावे में डालकर शराब पिलवा देती है और वायदे के मुताबिक एक हजार रुपये इनाम लेती है। उसी समय पठान के वेश में डाॅ. मेहता आकर रुपये मांगते हैं और धमकी देते हैं कि रुपए न मिले तो वे गोली चला देंगे। अंत में होरी वहाँ प्रवेश करके पठान को गिराकर उसकी मूँछें उखाङ लेता है। पठान के वेश में आए मेहता की नाटकबाजी वहीं खत्म हो जाती है।

उसी समय सब शिकार खेलने जाने का कार्यक्रम बनाते हैं। तीन टोलियाँ बनती हैं। पहली टोली में मेहता और मालती जाते हैं। मालती मेहता के प्रति आकर्षित है, पर मेहता को इस ओर कोई आकर्षण नहीं है। मेहता को शिकार की चिङिया पानी से लाकर एक जंगली लङकी देती है और दोनों को अपने घर तक ले जाकर मधुर व्यवहार से खुश कर देती है।

इससे मालती ईर्ष्या करती है तो वह मेहता की नजर में गिर जाती है। दूसरी टोली के रायसाहब और खन्ना के बीच मिल के शेयर के बारे में बातचीत होती है। रायसाहब शेयर खरीदने की बात टाल देते हैं। तीसरी टोली में तंखा और मिर्जा हैं। मिर्जा एक हिरन का शिकार करते हैं। हिरन को एक ग्रामीण युवक को देते हैं। सब मिलकर उस युवक के गाँव में जाते हैं। खा-पीकर खुशी से सारा दिन वहाँ बताकर शाम को लौट आते हैं।

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होरी के घर पर गाय आ जाने से सब खुश थे। इतने में रायसाहब को कारिंदा कहता है कि नोखेराम बाकी लगान न चुकाने वाले खेत में हल नहीं जोत सकेंगे। होरी पैसे का इंतजाम करने के लिए साहूकार झींगुरीसिंह के पास पहुँचता है। झींगुरी सिंह की आँख गाय पर थी। उसने गाय ले लेने का चक्कर चलाया और कर्ज न लेकर लाचार होकर गाय बेचकर लगान चुकाने के लिए वह राजी हो जाता है और धनिया को भी राजी कर लेता है। रात को घर के भीतर उमस होने के कारण वह गाय को बाहर लाकर बांधता है और बीमार शोभा को देखकर लौटते समय गाय के पास हीरा को देखकर ठिठक जाता है।

उसी रात को विष दिए जाने से गाय मर जाती है तो होरी धनिया को हीरा पर शक होेने की बात बता देता है तो धनिया हीरा को गालियाँ देती है और सारे गाँव में कोहरराम मचा देती है। होरी भाई को बचाने के लिए सच को छिपाकर गोबर की झूठी कसम खा लेता है। जाँच पङताल करने दारोगा गाँव में आता है। गाँव के मुखिया लोग इस विपत्ति का फायदा उठाने के लिए हीरा पर जुर्माना लगाते हैं।

कुर्की से बचने तथा परिवार की इज्जत बचाने होरी झिंगुरी सिंह से कर्ज लेकर रिश्वत के पैसे लाता है, पर धनिया के कारण वह दारोगा को मिल नहीं पाता। दारोगा मुखिया लोगों के घर की तलाशी लेने की धमकी देकर उनसे भी रिश्वत के पैसे वसूल करके चला जाता है।

गोहत्या करके पाप के डर से हीरा घर से भाग जाता है। होरी हीरा की पत्नी पुनिया को खेत संभालता है। बीच में एक महीने तक बीमार भी पङ जाता है। एक रात होरी कङकती सर्दी में खेत की रखवाली कर रहा था कि धनिया वहाँ पहुँच जाती है और बताती है कि पांच महीने का गर्भ लेकर झुनिया घर में आ गई है। होरी पहले उसे निकाल देने की बात तो करता है, बाद में धनिया के समझाने पर उसे अपने घर में रहने का आश्वासन देता है।

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अब फिर से पंचायत को होरी का गला दबाने का मौका मिल जाता है। झुनिया के एक लङका होता है। बिरादरी में ऐसे पाप के लिए गाँव की पंचायत होरी पर सौ रुपए नकद और तीस मन अनाज का डाँड लगाती है। धनिया पंचायत पर बहुत फुफकारती है। पर होरी झिंगुरी सिंह के पास मकान रेहन पर रखकर अस्सी रुपये लाता है और डाँड चुकाता है।

गोबर-झुनिया को चुपके से अपने घर में छोङकर लोकलज्जा के भय से लखनऊ शहर भाग जाता है। वह मिर्जा खुर्शीद के यहाँ महीन के पंद्रह रुपये वेतन पर नौकरी करता है। उनकी दी हुई कोठरी में रहता है।

डाँड में सारा अनाज दे देने के बाद होरी के पास कुछ नहीं बचता। इसी समय पुनिया उसकी सहायता करती है। वर्षा के अभाव से उसकी ईख सूख जाती है। भोला गाय के रुपये लेना चाहता है। होरी रुपये दे नहीं पाता। भोला होरी के बैल खोलकर ले जाता है। गाँववाले इसका विरोध करते हैं, पर धर्म के भय से मर्यादावादी और ईमानदार होरी विवश होकर इसकी अनुमति दे देता है।

मालती राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में व्यस्त रहने वाली महिला है। उसके प्रयत्न से मेहता वीमेन्स लीग में भाषण देने के दौरान महिलाओं को समान अधिकार की मांग छोङकर त्याग, दया, क्षमा अपनाने सुझाव देते हैं, जो गृहस्थ जीवन के लिए निहायत जरूरी है।

मालती मेहता से सहमत होती है। वह मेहता को अपने घर पर खाने बुलाती है। उसी समय मेहता आरोप लगाते हैं कि उसी के कारण मि. खन्ना, मिसेज खन्ना से अच्छा बर्ताव नहीं करते। यह सुनकर मालती बिगाङ जाती है और अपने घर चली जाती है।

रायसाहब को पता चल जाता है कि होरी से वसूल किए गए डाँड के सारे पैसे गाँव के मुखिया लोग खा गए। वे नोखेराम से रुपये देने को कहते हैं तो चारों महाजन ’बिजली’ के संपादक ओंकारनाथ को सूचना दे देते हैं कि वे अपनी पत्रिका में ऐसी सनसनीखेज खबर छापने जा रहे हैं। रायसाहब सौ ग्राहकों का चंदा रिश्वत के रूप में भरकर किसी तरह इसे छापने से रोक लेते हैं।

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जब गाँव में बुवाई शुरू हो जाती है तब होरी के पास बैल नहीं है। होरी की लाचारी का फायदा उठाकर दातादीन होरी से साझे में बुवाई करने का प्रस्ताव देकर होरी को मजदूर के स्तर तक ले जाता है।

उधर दातादीन का बेटा मातादीन झुनिया को प्रेम-पाश में फँसाने के लिए प्रयास करता है। लेकिन बीच में सोना पहुँच जाने से मामला गङबङ होने से बच जाता है।

होरी ईख बेचने जाता है तो मिल मालिक से मिलकर महाजन सारा रुपया कर्ज के लिए वसूल कर लेते हैं। मि. खन्ना और उसकी पत्नी गोविंदी के स्वभाव में आकाश – पाताल का अंतर है।

गोविंदी सादा जीवन पसन्द करती है तो मि. खन्ना विलासमय जीवन। एक बार पति-पत्नी में बेटे के इलाज के लिए भिन्न-भिन्न डाॅक्टरों को बुलाने के मतांतर मेहता से होती है। मेहता उसकी प्रशंसा कर के उसे समझाबुझा कर घर लौटा लाते हैं। होरी दातादीन की मजूरी करने लगता है।

होरी दातादीन की मजदूरी करने लगता है। ऊख काटते समय कङी मेहनत करने के कारण वह बेहोश हो जाता है। उधर गोबर अब नौकरी छोङकर खोंचा लगाने के काम में लग जाता है। उसके पास दो पैसे हो जाते हैं। वह एक दिन गाँव में पहुँचता है। वह सभी के लिए सामान लाता है। गाँव में गोबर महाजनों की बङी बेइज्जती करता है।

होली के अवसर पर गाँव के मुखिया लोगों की नकल करके अभिनय किया जाता है। फलस्वरूप गोबर सभी महाजनों के क्रोध का शिकार बन जाता है। जंगी को शहर में नौकरी कराने का लोभ दिखाकर उसे प्रभावित कर देते हैं। वह भोला को मना कर नोखेराम को लगान वसूल करके रसीद न देने पर उसे अदालत की धमकी देता है। झुनिया को फुसलाकर शहर जाते समय माँ से झगङा हो जाता है।

माँ के पांव में सिर न झुकाकर बिलकुल उद्दंड और स्वार्थी बनकर बालबच्चों को लेकर शहर चला जाता है। राय साहब की कई समस्याएँ थीं। उनको कन्या का विवाह करना था, अदालत में एक मुकदमा करना था और सिर पर चुनाव भी थे। कुंवर दिग्विजय सिंह के साथ शादी तय हुई थी। राजा साहब के साथ चुनाव लङना था। पैसों की कमी थी इसीलिए वे तंखा के पास उधार मांगने के लिए जाते हैं। वे मना करते हैं तो वे खन्ना के पास जाते हैं।

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खन्ना पहले आनाकानी करके बाद में कमीशन लेकर पैसों का इंतजाम कर सकने की बात बताते हैं। बातचीत के दौरान मेहता महिलाओं की व्यायामशाला की नींव रखने के लिए मना करते हैं।

रायसाहब पांच हजार लिख देते हैं। फिर मालती पहुँचती है तो खन्ना से एक हजार का चैक लिखवा लेती है। मातादीन की रखैल सिलिया अनाज के ढेर से कोई सेर भर अनाज दुलारी सहुआइन को दे देती है तो मातादीन उसे धिक्कारता है। निकल जाने को कहता है। सिलिया दुःखी होती है। सिलिया के बाप हरखू के कहने पर उसके साथी मातादीन के मुँह पर हड्डी डालकर उसे जातिभ्रष्ट कर देते हैं। धनिया सिलिया को अपने घर पर रख लेती है। सिलिया मजदूरी करके गुजरबसर करती है।

सोना सत्रह साल की हो गई थी। उसके विवाह के लिए पैसों की जरूरत थी। सोना को मालूम हुआ कि पिता विवाह के लिए दुलारी से दो सौ रुपये लाएँगे। सोना सिलिया को भावी पति मथुरा के पास भेजती है। ससुरालवाले बिना दहेज के बहू लेने को तैयार हो गए। लेकिन धनिया अपनी मर्यादा बचाने के लिए दहेज देना चाहती है। भोला एक जवान विधवा नोहरी से विवाह करता है। नोहरी के साथ बहुओं से नहीं पटती। पुत्री कामना भोला को घर से भगा देती है। नोखेराम नोहरी की लालसा से भोला को नौकर रख लेता है। नोहरी गाँव की रानी की जाती का है। लाला पटेश्वरी साहूकार मंगरू शाह को मंगरू शाह को भङकाकर होरी की सारी नोहरी गाँव की रानी की जाती का है।

लाला पटेश्वरी साहूकार मंगरू शाह को भङकाकर होरी की सारी ईख नीलाम कर देता है। इससे उगाही की उम्मीद न होने से दुलारी होरी को शादी के लिए दो सौ रुपये नहीं देती है। इतने में सहानुभूति दिखाकर नोहरी होरी को दो सौ रुपये देकर अपनी दयाशीलता का परिचय देती है।

शहर में परिवार लाकर गोबर देखता है कि जहाँ वह खोंचा लगाता था, वहीं दूसरा बैठने लगा है। उसको कारोबार में घाटा हुआ तो वह मिल में नौकरी कर लेता है। झुनिया को गोबर की कामुकता पसंद नहीं आती। गोबर को बेटा मर जाता है। झुनिया गर्भवती है। गोबर नशा करने लगा है। झुनिया को पीटता है, गालियाँ देता है।

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चुहिया की सहायता से झुनिया एक बेटे को जन्म देती है। मिल में झगङा हो जाने से गोबर घायल हो जाता है। मिल गोबर की सेवा करने के दौरान पति पत्नी में फिर संबंध स्वाभाविक हो जाता है।

मातादीन नोहरी के प्रति फिर से आकर्षित होता है। वह सिलिया के लिए छोटी को दो रुपये देता है। रुपये पाकर सिलिया खुश होती है। यह समाचार देने सोना के ससुराल पहुँचती है। मथुरा नोहरी से प्रेम-निवेदन करता है। दोनों पास-पास आ जाते हैं तो सोना की आवाज से पीछे हट जाते हैं। सोना सिलिया को बहुत फटकारती है।

मिल में आग लग गई थी। मिल में नए मजदूर ठीक से काम नहीं कर पा रहे थे। इसलिए पुराने मजदूर ले लिए जाते हैं। खन्ना-गोविंदी का मनमुटाव मिट जाता है। मेहता से प्रेरित होकर मालती सेवा-व्रत में लगी रहती है। एक दिन मेहता और मालती होरी के गाँव में पहुँचकर लोगों से मिलते हैं। सहायता करते हैं। राय साहब की लङकी की शादी हो जाती है।

मुकदमे और चुनाव में भी जीत होती है। वे लोग होम मेंबर भी बन जाते हैं। राजा साहब रायसाहब के पुत्र रुद्रप्रताप मालती की बहन सरोज से विवाह करके इंग्लैण्ड चला जाता है। फिर रायसाहब की बेटी और दामाद में विवाह विच्छेद हो जाता है। मालती देखती है कि दूसरों की सेवा करने के कारण ऊँची वेतन के बावजूद उन पर कर्ज है। कुर्की भी आई है।

तब मालती मेहता को अपने घर पर ले आती है। उनकी सहायता करती है। मालती गोबर को माली रख लेती है। उसके बेटे की चिकित्सा और सेवा भी करती हैं। मालती मेहता से विवाह करना अस्वीकार करके मित्र बनकर रहने को पसंद करती है।

मातादीन सिलिया के बालक को प्यार करता है। वह निमोनिया में कर जाता है। मातादीन सिलिया के प्रति आकर्षित होता है। सारा जाति-बंधन तोङकर उसके साथ रहता है।

होरी की आर्थिक दशा दिनोंदिन गिरती जाती है। तीन साल तक लगान न चुकाने से नोखेराम बेदखली का दावा करता है। मातादीन होरी को सुझाव देता है कि अधेङ रामसेवक मेहता से रूपा की शादी करके बदले में कुछ रुपए ले लें और खेती करे। होरी यह सुनकर बङा दुःखी होता है। पर अंत में होरी और धनिया राजी हो जाते हैं। गोबर को शादी में आने की खबर दी जाती है।

गोबर झुनिया को लेकर गाँव में पहुँचता है। रूपा की शादी होती है। मालती भी शादी में शरीक होती है। गोबर गाँव में झुनिया को छोङकर लखनऊ चला जाता है। रूपा ससुराल में समृद्धि देखकर पिता की गाय की लालसा की बात सोचकर दुःखी होती है। मैक जाते समय वह एक गाय ले जाने की बात सोचती है। होरी पोते मंगल के लिए गाय लेना चाहता था।

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इसलिए वह कंकङ खोदने की मजदूरी करता है। रात को बैठकर धनिया के साथ सुतली कातता है। एक दिन हीरा आकर पहुँचता है और होरी से माफी मांगता है। होरी खुश हो जाता है। होरी कंकङ खोदते समय दोपहर की छुट्टी के समय लेट जाता है। उसको कै (उल्टी) होती है। उसे लू लग जाती है। धनिया भाग कर आती है। सब इकट्ठे हो जाते हैं। शोभा और हीरा को घर पर ले गए।

होरी की जबान बंद हो गई। धनिया घरेलू उपचार करती है। सब बेकार जाता है। हीरा गो-दान करने को कहता है। दूसरे लोग भी यही कहते हैं। धनिया सुतली बेचकर रखे बीस आने पैसे पति के ठंडे हाथ में रखकर ब्राह्मण दातादीन से बोलती है – महाराज घर में न गाय है न बछिया, न पैसा। यही इनका गोदान है। विशेष – ‘गोदान’ केवल वर्तमान का एक निष्पक्ष चित्र है। उसमें आगत भविष्य की सम्भावनाओं झाँकी नहीं कराई गयी है। इसमें तो एक चरित्र को लेकर उसे अनेक परिस्थितियों में डालकर तथा बहुत से पात्रों और चरित्रों को संसर्ग में लाकर समाज का एक जीवित चित्र निर्माण किया गया है। इसमें भी ‘गबन’ की भाँति कथावस्तु और चरित्र में भेद नहीं रह गया है।

‘होरी’ के चरित्र की थोङी सी विशेषता दिखलाकर और उसे एक विशेष वातावरण में रखकर लेखक तटस्थ होकर स्वयं द्रष्टा बन जाता है। होरी अपने जातिगत स्वभाव से ही नवीन परिस्थितियाँ उत्पन्न करता है और फिर विवश होकर उनके अनुसार ही ढल जाता है।

इस परिस्थितियों की तरंगों में डूबता-उतरता नियति के हाथों का खिलौना वह कृषक जीवन-यात्रा के अंतिम छोर तक चला जाता है, परन्तु नगर वाले कथानक में यह बात इतनी स्पष्ट नहीं है। वहाँ पर परिस्थितियों की प्रतिक्रिया व्यक्ति पर इतनी सरलता से नहीं होती। रायसाहब, मिर्जा खुर्शेद तथा मेहता आदि प्रायः सभी में वैयक्तिकता है, परन्तु यह वैयक्तिकता इतनी सबल भी नहीं है कि वह परिस्थितियों को तोङ-मरोङ सके।

वास्तव में ‘गोदान‘ में साहूकारों द्वारा किसान के शोषण की ही कहानी है। ये साहूकार कई प्रकार के है, जिनमें झिंगुरीसिंह, पंडित दातादीन, लाला पटेश्वरी, दुलारी सहुआइन आदि। साहूकार के अतिरिक्त जमींदार और सरकार के अत्याचार का भी गोदान में साधारण दिग्दर्शन कराया गया है, किन्तु साहूकार, जमींदार और सरकार सबसे बढकर किसानों के सिर पर बिरादरी का भूत होता है।

बिरादरी से अलग जीवन की वह कोई कल्पना ही नहीं कर सकता है। शादी-ब्याह, मुंडन-छेदन, जन्म-मरण सब कुछ बिरादरी के हाथ में है। आप बङे से बङे पाप कर्म करते जाए, किन्तु बिरादरी तब तक सिर न उठाएगी जब आप उसके द्वारा निर्धारित कृत्रिम मर्यादा का पालन करते जा रहे है। जो इन कृत्रिम सामाजिक बन्धनों के निर्वाह में चुका है उसके लिए वह ग्रामीण समाज कठोर से कठोर दण्ड-व्यवस्था अपनाता है।

हमारे किसानों ने धर्म का एक बङा ही विकृत रूप अपनाया है, किन्तु धीरे-धीरे गाँवों में भी उष्ण रक्त इन कृत्रिमताओं का विरोध करने लगा है। ‘गोदान’ में गोबर, मातादीन, सिलिया, झुनिया आदि इसके उदाहरण हैं।

प्रेमचन्द का स्पष्ट कथन है कि ‘मेरे उपन्यास का उद्देश्य है धन के आधार पर दुश्मनी’। प्रेमचन्द ने अपनी सहानुभूति का बहुत बङा भाग शोषित वर्ग को समर्पित किया है। उन्होंने जमीदारों, पूँजीपतियों, महाजनों, धार्मिक पाखण्डियों के दोषों पर तीखे प्रहार किए हैं।

उन्होंने उपन्यास में प्रतिपादित किया है कि किसान को सबसे अधिक महाजनी सभ्यता से गुजरना पङता है। महाजनी सभ्यता क्रूरता तथा शोषण पर आधारित है।

गोदान उपन्यास पात्र-परिचयः

होरी- (मुख्य नायक) धनिया- होरी की पत्नी होरी की संतान- गोबर, सोना, रूपा झुनिया- गोबर की पत्नी (भोला की विधवा बेटी) होरी के भाई- हीरा और  शोभा मालती मेहता साहूकार- झिंगुरी सिंह, पंडित दातादीन, लाला पटेश्वरी, दुलारी सहुआइन

गोदान उपन्यास के महत्वपूर्ण तथ्य 

⇒ होरी की इच्छा पछाई गाय लेने की थी। ⇔ होरी भोला (ग्वाला) से गाय लाया था। ⇒ होरी के गाँव का नाम- बेलारी। ⇔ ‘‘गाँव क्या था, पुरवा था, दस-बारह घरों का, जिसमें आधे खपरैल के थे, आधे फूस के।’’-कोदई गाँव का वर्णन। ⇒ गोबर का वास्तविक नाम-गोवर्धन। ⇔ ‘बाहर से तितली है और भीतरी से मधुमक्खी’ यह कथन ‘गोदान‘ उपन्यास में-मालती के लिए। ⇒ ‘गोदान’ उपन्यास यथार्थवाद उपन्यास है, न कि आदर्शवाद। ⇔ ‘‘पहना दो मेरे हाथ में हथकङियाँ, देख लिया तुम्हारा न्याय और अक्ल की दौङ’’ कथन है-धनिया का। ⇒ उपन्यास में महाजनी सभ्यता का विरोध हुआ है। ⇔ कृषक की आर्थिक समस्या का चित्रण हुआ है। ⇒ यह उपन्यास समस्या प्रधान है। ⇔ ‘गोदान में गाँधी और मार्क्स  को प्रेमचन्द ने घुला- मिला दिया है।’- कथन है बच्चन सिंह का। ⇒ प्रेमचन्द का सबसे विख्यात और अंतिम उपन्यास-गोदान (1936 ई.)। ⇔ गोदान की कथावस्तु-कृषक की समस्या। ⇒ होरी के पास पाँच बीघा जमीन थी। ⇔ गाँव की कथा और शहर की कथा साथ-साथ चलती है फिर दोनों कथाओं में संबंद्धता और संतुलन पाया जाता है। ⇒ गोदान एक राष्ट्रीय प्रतिनिधि उपन्यास है। ⇔ उपन्यास में शोषण व अन्याय के विरूद्ध भरती हुई नई पीढी की विद्रोह और असंतोष का प्रतीक है- गोबर। ⇒ मालती व मेहता लखनऊ में रहते है। ⇔ रायसाहब सेमरी गाँव में रहते है। ⇒ प्रेमचन्द ने गोदान को संक्रमण की पीङा का दस्तावेज बताया है। ⇔ पंडित दातादीन के पुत्र का नाम मातादीन था।

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Book review: the greatest hindi stories ever told by poonam saxena.

  • Publisher :  Aleph Book Company
  • Year of Publishing:  10 October 2020
  • Genre:  Anthology, Translations, Collected Short Stories, Hindi Short Stories, Classic,
  • ISBN-13 :  978-8194735304
  • Price:  INR 699/-
  • 1  About the Book

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'The Greatest Hindi Stories Ever Told' book review: Treasure Trove of Brilliance

After the Independence was announced, a mass migrants exodus was witnessed. (File Photo | EPS)

The Greatest Hindi Stories Ever Told, selected and translated by Poonam Saxena, definitively makes good on its boast. This collection is a labour of love from Saxena, who confesses herself to be a devourer of Hindi Literature.

Regional writers, barring a few who have enjoyed universal acclaim, have long been denied their fair share of appreciation, admiration and popularity. It is a crying shame, because there is a treasure trove of blinding talent, lurking in the nooks and crannies of the artistic world, waiting to be discovered.

Translators who work hard to amend this sad situation deserve to be commended for doing their part to give deserving stories the love and exposure they so richly deserve in addition to enhancing their reach in pop culture.

The stories themselves, lovingly gathered and narrated, are a treat for readers who are unfamiliar with the bountiful treasures of Hindi Literature. Saxena has selected 25 stories featuring the best work from an earlier time as well as modern talents. The stories from the 'Nayi Kahani movement', which occurred in post-Independent India and mirrored a variety of social ills, are particularly harrowing and thought-provoking.

Chandradhar Sharma Guleri's 'She Had Said So' written over a 100 years ago is a timeless tale of selflessness and sacrifice. Set during World War I, it is about Indian soldiers carted off to die, yearning for home, hearth and delicious mangoes while fighting a war on the bidding of their white conquerors.

Stories set in the aftermath of the Partition, communal riots, and war chronicling dark and bloody chapters in the history of India and Pakistan such as 'The Times Have Changed' by Krishna Sobti, 'Lord of the Rubble' by Mohan Rakesh - which made me bawl uncontrollably when old Ghani mian  returns to the home he built which has been reduced to ashes along with the rest of his family - and 'War' by Shaani capture the horror and pathos of those terrifying times.

They fill the reader with remorse for the hatred and intolerance that was and is reflective of the sundered bonds between children of what was once the same land. Poverty and caste discrimination is a recurrent theme in some of the stories which seek to highlight the widening chasms between the privileged and unfortunates which leaves one with a bitter taste in the mouth and a stricken conscience.

Premchand's 'The Thakur's Well' is a hard-hitting tale of poor Gangi who is willing to risk life and limb to slake her husband's thirst but will have nothing to show for her bravery simply because society will never let her rise above her status as a low caste member.

Women's exploitation as well as the untold hardships they are forced to endure are beautifully portrayed in stories like the chilling 'Where Lakshmi is Held Captive' by Rajendra Yadav.

It is one of those stories that you will not forget or forgive in a hurry, given the scale of injustice wreaked by a miserly old man on his own daughter and Agyeya's 'Gangrene', a tale about the tortuous monotony of domestic chores that drain a woman of her vitality. Krishna Baldev Vaid's 'Escape', Yashpal's 'Phoolo's Kurta' and 'The Human Measure' explore the same trope with a touch of macabre humour.

The social evil that is ageism is also highlighted in gripping yarns like Bhisham Sahni's 'A Feast for the Boss', where a son wonders what to do with his decrepit old mum when his white boss visits, and Usha Priyamvada's 'The Homecoming' where Gajadhar Babu realises that his family has little use for him on retirement.

Asghar Wajahat's 'The Spirits of Shah Alam Camp' and Uday Prakash's 'Tirich' deserve special mention too, though both are going to haunt my nightmares simply for being undeniably brilliant. In fact, every single story in this lovely collection is replete with merit, making for some very enjoyable reading and truly delicious experiences.

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Short hindi stories with moral values

101 Hindi short stories with moral for kids बच्चों की प्रेरणादायक कहानियां

Today we are writing Hindi short stories with moral values for kids . These stories are only for kids and also written in that lucid language. These Hindi stories with morals may also be useful for teachers.

We are writing 101 Hindi short stories with moral values for kids here.

Table of Contents

101 Short Hindi stories with moral values – हिंदी कहानियाँ

Below are 101 very interesting stories written in Hindi. We hope you will like this Hindi story collection.

1. मुर्गा की अकल ठिकाने

( hindi short stories with moral for kids ).

एक समय की बात है, एक गांव में ढेर सारे मुर्गे  रहते थे। गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था। मुर्गा परेशान हो गया, उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी, और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला।  सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है।

नैतिक शिक्षा – घमंड नहीं करना चाहिए आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चलता है।

Moral of this short hindi story – Never be too arrogant. Your work should tell your importance to the world.

Hindi stories for class 1, 2 and 3

Moral Hindi stories for class 4

Murga short story

2. शेर का आसन

शेर जंगल का राजा होता है। वह अपने जंगल में सब को डरा कर रहता है। शेर भयंकर और बलशाली होता है। एक दिन शहर का राजा जंगल में घूमने गया। शेर ने देखा राजा हाथी पर आसन लगा कर बैठा है। शेर के मन में भी हाथी पर आसन लगाकर बैठने का उपाय सुझा। शेर ने जंगल के सभी जानवरों को बताया और आदेश दिया कि हाथी पर एक आसन लगाया जाए। बस क्या था झट से आसन लग गया। शेर उछलकर हाथी पर लगे आसन मैं जा बैठा। हाथी जैसे ही आगे की ओर चलता है, आसन हिल जाता है और शेर नीचे धड़ाम से गिर जाता है। शेर की टांग टूट गई शेर खड़ा होकर कहने लगा – ‘ पैदल चलना ही ठीक रहता है। ‘

नैतिक शिक्षा –

जिसका काम उसी को साजे , शेर ने आदमी की नक़ल करनी चाही और परिणाम गलत साबित हुआ।

Moral of this short hindi story –

Never leave your own personality. And also not try to copy anyone’s identity.

jangal ka raja sher ki kahani

3. रेलगाड़ी

पिंकी बहुत प्यारी लड़की है। पिंकी कक्षा दूसरी में पढ़ती है। एक दिन उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी देखी।  उसे अपनी रेल – यात्रा याद आ गई, जो कुछ दिन पहले पापा-मम्मी के साथ की थी। पिंकी ने चौक उठाई और फिर क्या था, दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ गया , दूसरा डब्बा जुड़ गया , जुड़ते – जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए। जब चौक खत्म हो गया पिंकी उठी उसने देखा कक्षा के आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी। फिर क्या हुआ  – रेलगाड़ी दिल्ली गई  ,  मुंबई गई , अमेरिका गई , नानी के घर गई , और दादाजी के घर भी गई।

नैतिक शिक्षा – बच्चों के मनोबल को बढ़ाइए कल के भविष्य का निर्माण आज से होने दे।

Moral of this short Hindi story – Boost the confidence of children because they are the future.

Hindi stories for class 8

Hindi stories for class 9

rel gadi short story

4. शरारती चूहा

गोलू के घर में एक शरारती चूहा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में भागा चलता था। उसने गोलू की किताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बिना ढके रख देती , वह चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा – पीकर बड़ा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चूहे की नज़र बोतल पर पड़ गयी। चूहा कई तरकीब लगाकर थक गया था, उसने शरबत पीना था।

चूहा बोतल पर चढ़ा किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो जाता है।  अब उसमें चूहा मुंह घुसाने की कोशिश करता है। बोतल का मुंह छोटा था मुंह नहीं घुसता। फिर चूहे को आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ  शरबत से गीली हो जाती है  उसे चाट-चाट कर  चूहे का पेट भर गया। अब वह गोलू के तकिए के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम से करने लगा।

नैतिक शिक्षा – मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता।

Moral of this short hindi story – Hard work with smartness is the key to success. Always focus on smart work.

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5. बिल्ली बच गई

ढोलू-मोलू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते, पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे। एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे। उन्हें भूख लगी हुई थी इसलिए  खूब रो रहे थे। ढोलू-मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और अपने दादाजी को बुला कर लाए।

दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर  ढोलू-मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू-मोलू को शाबाशी दी।

नैतिक शिक्षा –  दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।

Moral of this short hindi story – Always try to help others. It will give real pleasure.

6. रितेश के तीन खरगोश राजा

रितेश का कक्षा तीसरी में पढ़ता था।  उसके पास तीन छोटे प्यारे प्यारे खरगोश थे। रितेश अपने खरगोश को बहुत प्यार करता था। वह स्कूल जाने से पहले पाक से हरे-भरे कोमल घास लाकर अपने खरगोश को खिलाता था। और फिर स्कूल जाता था। स्कूल से आकर भी उसके लिए घास लाता था।

एक  दिन की बात है रितेश को स्कूल के लिए देरी हो रही थी। वह घास नहीं ला सका, और स्कूल चला गया। जब स्कूल से आया तो खरगोश अपने घर में नहीं था। रितेश ने खूब ढूंढा परंतु कहीं नहीं मिला। सब लोगों से पूछा मगर खरगोश कहीं भी नहीं मिला।

रितेश उदास हो गया रो-रोकर आंखें लाल हो गई। रितेश अब पार्क में बैठ कर रोने लगा। कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे , और खेल रहे थे। रितेश को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी इसलिए यह पार्क में आए हैं। मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं। पर इनकी तो मैं भी नहीं है। उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी हुई।

नैतिक शिक्षा –   जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता।

Moral of this short hindi story – Understand the agony of others. You will never feel any sorrow.

9 Motivational story in Hindi for students

3 Best Story In Hindi For kids With Moral Values

7. दोस्त का महत्व

वेद गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है। वहां वेद को खूब मजा आता है , क्योंकि नानी के आम का बगीचा है। वहां वेद ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं, पर उन्हें बेद आम नहीं खिलाता है।

एक  दिन की बात है, वेद को खेलते खेलते चोट लग गई। वेद के दोस्तों ने वेद  को उठाकर घर पहुंचाया और उसकी मम्मी से उसके चोट लगने की बात बताई, इस पर वेद को मालिश किया गया।

मम्मी ने उन दोस्तों को धन्यवाद किया और उन्हें ढेर सारे आम खिलाएं। वेद जब ठीक हुआ तो उसे दोस्त का महत्व समझ में आ गया था। अब वह उनके साथ खेलता और खूब आम खाता था।

नैतिक शिक्षा –  दोस्त सुख-दुःख के साथी होते है। उनसे प्यार करना चाहिए कोई बात छुपाना नहीं चाहिए।

Moral of this short Hindi story –

Always love your best friend. And take the time to choose your friends or company of friends. Because this company with friends will decide your behavior towards the situation in life.

8. मां की ममता – Short Hindi stories with moral

आम के पेड़ पर एक सुरीली नाम की चिड़िया रहती थी। उसने खूब सुंदर घोंसला बनाया हुआ था। जिसमें उसके छोटे-छोटे बच्चे साथ में रहते थे। वह बच्चे अभी उड़ना नहीं जानते थे, इसीलिए सुरीली उन सभी को खाना ला कर खिलाती थी।

एक दिन जब बरसात तेज हो रही थी। तभी सुरीली के बच्चों को जोर से भूख लगने लगी। बच्चे खूब जोर से रोने लगे, इतना जोर की देखते-देखते सभी बच्चे रो रहे थे। सुरीली से अपने बच्चों के रोना अच्छा नहीं लग रहा था। वह उन्हें चुप करा रही थी, किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे।

सुरीली सोच में पड़ गई , इतनी तेज बारिश में खाना कहां से लाऊंगी। मगर खाना नहीं लाया तो बच्चों का भूख कैसे शांत होगा। काफी देर सोचने के बाद सुरीली ने एक लंबी उड़ान भरी और पंडित जी के घर पहुंच गई।

पंडित जी ने प्रसाद में मिले चावल दाल और फलों को आंगन में रखा हुआ था। चिड़िया ने देखा और बच्चों के लिए अपने मुंह में ढेर सारा चावल रख लिया। और झटपट वहां से उड़ गई।

घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया। बच्चों का पेट भर गया, वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे।

मोरल – संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान विपत्ति में डालकर भी अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।

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9. रानी की शक्ति

रानी एक चींटी का नाम है जो अपने दल से भटक चुकी है। घर का रास्ता नहीं मिलने के कारण , वह काफी देर से परेशान हो रही थी। रानी के घर वाले एक सीध में जा रहे थे। तभी जोर की हवा चली, सभी बिखर गए। रानी भी अपने परिवार से दूर हो गई। वह अपने घर का रास्ता ढूंढने में परेशान थी।

काफी देर भटकने के बाद उसे जोर से भूख और प्यास लगी।

रानी जोर से रोती हुई जा रही थी।

रास्ते में उसे गोलू के जेब से गिरी हुई टॉफी मिल गई। रानी के भाग्य खुल गए।  उसे भूख लग रही थी और खाने को टॉफी मिल गया था। रानी ने जी भर के टोपी खाया अब उसका पेट भर गया।

रानी ने सोचा क्यों ना इसे घर ले चलूँ , घर वाले भी खाएंगे।

टॉफी बड़ा थी, रानी उठाने की कोशिश करती और गिर जाती। रानी ने हिम्मत नहीं हारी। वह दोनों हाथ और मुंह से टॉफी को मजबूती से पकड़ लेती है ।

घसीटते -घसीटते वह अपने घर पहुंच गई। उसके मम्मी – पापा और भाई-बहनों ने देखा तो वह भी दौड़कर आ गए। टॉफी उठाकर अपने घर के अंदर ले गए।

फिर क्या था ?

सभी की पार्टी शुरू हो गई।

मोरल – लक्ष्य कितना भी बड़ा हो निरंतर संघर्ष करने से अवश्य प्राप्त होता है।

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10. मोती का मित्र

मोती तीसरी कक्षा में पढ़ता है। वह स्कूल जाते समय अपने साथ दो रोटी लेकर जाता था। रास्ते में मंदिर के बाहर एक छोटी सी गाय रहती थी। वह दोनों रोटी उस गाय को खिलाया करता था।

मोती कभी भी गाय को रोटी खिलाना नहीं भूलता। कभी-कभी स्कूल के लिए देर होती तब भी वह बिना रोटी खिलाए नहीं जाता ।

स्कूल में लेट होने के कारण मैडम डांट भी लगाती थी।

वह गाय इतनी प्यारी थी, मोती को देखकर बहुत खुश हो जाती ।

मोती भी उसको अपने हाथों से रोटी खिलाता।

दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे।

एक दिन की बात है मोती बाजार से सामान लेकर लौट रहा था।

मंदिर के बाहर कुछ लड़कों ने उसे पकड़ लिया।

मोती से सामान छीनने लगे। गाय ने मोती को संकट में देख उसको बचाने के लिए दौड़ी।

गाय को अपनी ओर आता देख सभी लड़के नौ-दो-ग्यारह हो गए।

मोती ने गाय को गले लगा लिया, बचाने के लिए धन्यवाद कहा।

मोरल –

  • गहरी मित्रता सदैव सुखदाई होती है।
  • निस्वार्थ भाव से व्यक्ति को मित्रता करनी चाहिए। संकट में मित्र ही काम आता है।

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11. बलवान कछुए की मूर्खता

एक सरोवर में विशाल नाम का एक कछुआ रहा करता था। उसके पास एक मजबूत कवच था। यह कवच शत्रुओं से बचाता था। कितनी बार उसकी जान कवच के कारण बची थी।

एक बार भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी। भैंस का पैर विशाल पर पड़ गया था। फिर भी विशाल को नहीं हुआ। उसकी जान कवच से बची थी। उसे काफी खुशी हुई क्योंकि बार-बार उसकी जान बच रही थी।

यह कवच विशाल को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए। अब मैं बलवान हो गया हूं , मुझे कवच की जरूरत नहीं है।

विशाल ने अगले ही दिन कवच को तालाब में छोड़कर आसपास घूमने लगा।

अचानक हिरण का झुंड तालाब में पानी पीने आया। ढेर सारी हिरनिया अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थी।

उन हिरणियों के पैरों से विशाल को चोट लगी, वह रोने लगा।

आज उसने अपना कवच नहीं पहना था। जिसके कारण काफी चोट जोर से लग रही थी।

विशाल रोता-रोता वापस तालाब में गया और कवच को पहन लिया।  कम से कम कवच से जान तो बचती है।

प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना जान खतरे में पड़ सकती है।

12. राजू की समझदारी – Laghu kahani

जतनपुर में लोग बीमार हो रहे थे। डॉक्टर ने बीमारी का कारण मक्खी को बताया। जतनपुर के पास एक कूड़ेदान है। उस पर ढेर सारी मक्खियां रहती है। वह उड़कर सभी घरों में जाती, वहां रखा खाना गंदा कर देती। उस खाने को खाकर लोग बीमार हो रहे थे।

राजू दूसरी क्लास में पढ़ता है। उसकी मैडम ने मक्खियों के कारण फैलने वाले बीमारी को बताया।

राजू ने मक्खियों को भगाने की ठान ली।

घर आकर मां को मक्खियों के बारे में बताया। वह हमारे खाने को गंदा कर देती है। घर में आकर गंदगी फैल आती है। इसे घर से बाहर भगाना चाहिए।

राजू बाजार से एक फिनाइल लेकर आया।

उसके पानी से घर में साफ सफाई हुई। रसोई घर में खाना को ढकवा दिया। जिसके कारण मक्खियों को खाना नहीं मिल पाया।

दो दिन में मक्खियां घर से बाहर भाग गई।

फिर घर के अंदर कभी नहीं आई।

मोरल – स्वयं की सतर्कता से बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।

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13. चुनमुन के बच्चे

बच्चों की प्यारी गोरैया चिड़िया । यह सबके घर में प्यार से रहती है। जो दाना-पानी देता है, उसके घर तो मस्ती से रहती है। कूलर के पीछे चुनमुन का घोंसला है। उसके तीन बच्चे है , यह अभी उड़ना नहीं जानते।

चुनमुन के बच्चों ने उड़ना सिखाने के लिए तंग कर दिया।

चुनमुन कहती अभी थोड़ी और बड़ी हो जाओ तब सिखाएंगे। बच्चे दिनभर ची ची ची ची  करके चुनमुन को परेशान करते।

एक दिन चुनमुन ने बच्चों को उड़ना सिखाने के लिए कहा।

अपने दोनों हाथों में उठाकर आसमान में ले गई। उन्हें छोड़ दिया, वह धीरे-धीरे उड़ रही थी।

जब बच्चे गिरने लगते चुनमुन उन्हें अपने पीठ पर बैठा लेती।  फिर उड़ने के लिए कहती।

ऐसा करते करते चुनमुन के बच्चे आसमान में उड़ने लगे थे।

चुनमुन ने सभी को घर चलने के लिए कहा।

सब मां के पीछे-पीछे घर लौट आए।

मोरल – अभ्यास किसी भी कार्य की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।

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14. कालिया को मिली सजा

कालिया से पूरा गली परेशान था। गली से निकलने वाले लोगों को कभी भों भों करके डराता। कभी काटने दौड़ता था। डर से बच्चों ने उस गली में अकेले जाना छोड़ दिया था।

कोई बच्चा गलती से उस गली में निकल जाता तो , उसके हाथों से खाने की चीज छीन कर भाग जाता ।

कालिया ने अपने दोस्तों को भी परेशान किया हुआ था।

सब को डरा कर वाह अपने को गली का सेट समझने लगा था। उसके झुंड में एक छोटा सा शेरू नाम का डॉगी भी था।

वह किसी को परेशान नहीं करता, छोटे बच्चे भी उसे खूब प्यार करते थे।

एक दिन शेरू को राहुल ने एक रोटी ला कर दिया।

शेरू बहुत खुश हुआ उस रोटी को लेकर गाड़ी के नीचे भाग गया। वहीं बैठ कर खाने लगा।

कालिया ने शेरू को रोटी खाता हुआ देख जोर से झटका और रोटी लेकर भाग गया।

शेरू जोर-जोर से रोने लगा।

राहुल ने अपने पापा से बताया। उसके पापा कालिया की हरकत को जानते थे। वह पहले भी देख चुके थे।

उन्हें काफी गुस्सा आया।

एक लाठी निकाली और कालिया की मरम्मत कर दी।

कालिया को अब अपनी नानी याद आ गई थी।

वह इतना सुधर गया था , गली में निकलने वालों को परेशान भी नहीं करता।

छोटे बच्चे को देखते ही छुप जाता था।

बुरे काम का बुरा ही नतीजा होता है बुरे कामों से बचना चाहिए।

15. सच्ची मित्रता

अजनार के जंगल में दो बलशाली शेर सूरसिंह और सिंहराज रहते थे। सुरसिंह अब बूढ़ा हो चला था। अब वह अधिक शिकार नहीं कर पाता था।

सिंहराज उसके लिए शिकार करता और भोजन ला कर देता।

सिंहराज जब शिकार पर निकलता , सूरसिंह अकेला हो जाता।

डर के मारे कोई पशु उसके पास नहीं जाते थे ।

आज सुरसिंह को अकेला देख सियार का झुंड टूट पड़ा। आज सियार को बड़ा शिकार मिला था।

चारों तरफ से सियारों ने सुरसिंह को नोच-नोच कर जख्मी कर दिया था।

वह बेहोश की हालत में हो गया।

अचानक सिंहराज वहां दहाड़ता हुआ आ गया।

सिंहराज को वहां आता देख, सियारों के प्राण सूख गए।

सिंह राज ने देखते ही देखते सभी सियारों को खदेड़ दिया। जिसके कारण उसके मित्र सुरसिंह की जान बच सकी

मोरल – सच्ची मित्रता सदैव काम आती है ,जीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक है।

Subhash chandra bose story in hindi

Motivational Kahani

16. बिच्छू और संत

बिच्छू स्वभाव का उग्र होता है। वह सदैव दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। संत स्वभाव से शांत होता है। वह दूसरों का कल्याण करता है।

बरसात का दिन था। एक बिच्छू नाले में तेजी से बेहता जा रहा था।संत ने बिच्छू को नाली में बहता देख।

अपने हाथ से पकड़कर बाहर निकाला।

बिच्छू ने अपने स्वभाव के कारण संत को डंक मारकर नाले में गिर गया।

संत ने बिच्छू को फिर अपने हाथ से निकाला। बिच्छू ने संत को फिर डंक मारा।

ऐसा दो-तीन बार और हुआ।

पास ही वैद्यराज का घर था। वह संत को देख रहे थे। वैद्यराज दौड़ते हुए आए। उन्होंने बिच्छू को एक डंडे के सहारे दूर फेंक दिया।

संत से कहा – आप जानते हैं बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है।

फिर भी आपने उसको अपने हाथ से बचाया। आप ऐसा क्यों कर रहे थे ?

संत ने कहा वह अपना स्वभाव नहीं बदल सकता तो, मैं अपना स्वभाव कैसे बदल लूं !

मोरल – विषम परिस्थितियों में भी अपने स्वभाव को नहीं बदलना चाहिए।

17. महात्मा बना विषधर

गांव के बाहर पीपल बड़ा वृक्ष था। यह वृक्ष 200 साल से अधिक पुराना था। गांव के लोग उस वृक्ष के नीचे नहीं जाते थे। वहां एक भयंकर विषधर सांप रहा करता था। कई बार उसने चारा खा रही बकरियों को काट लिया था।

गांव के लोगों में उसका डर था। गांव में रामकृष्ण परमहंस आए हुए थे।

लोगों ने उस विषधर का इलाज करने को कहा।

रामकृष्ण परमहंस उस वृक्ष के नीचे गए और विषधर को बुलाया। विषधर क्रोध में परमहंस जी के सामने आंख खड़ा हुआ। विषधर को जीवन का ज्ञान देकर परमहंस वहां से चले गए।

विषधर अब शांत स्वभाव का हो गया। वह किसी को काटना नहीं था।

गांव के लोग भी बिना डरे उस वृक्ष के नीचे जाने लगे।

एक दिन जब रामकृष्ण परमहंस गांव लौट कर आए।

उन्होंने देखा बच्चे पीपल के पेड़ के नीचे खेल रहे हैं। वह विषधर को परेशान कर रहे थे। विषधर कुछ नहीं कर रहा है।

ऐसा करता देख उन्होंने बच्चों को डांट कर भगाया , और विषधर को अपने साथ ले गए।

मोरल – संत की संगति में दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं।

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18. चिंटू पिंटू की शरारत

चिंटू-पिंटू दोनों भाई थे, दोनों की उम्र लगभग 2 साल की होगी। दोनों खूब शरारत करते थे। चिंटू ज्यादा शरारती था। वह पिंटू के सूंढ़ को अपने सूंढ़ में लपेटकर खींचता और कभी धक्का देकर गिरा देता।

एक दिन की बात है, दोनों खेल में लड़ते-झगड़ते दौड़ रहे थे।

चिंटू का पैर फिसल जाता है, वह एक गड्ढे में गिर जाता है।

चिंटू काफी मशक्कत करता है फिर भी वह बाहर नहीं निकल पाता।

पिंटू उसे अपने सूंढ़ से ऊपर खींचने की कोशिश करता। मगर उसकी कोशिश नाकाम रहती।

पिंटू दौड़कर अपनी मां को बुला लाता है।

उसकी मां अपने लंबे से सूंढ़ में लपेट कर चिंटू को जमीन पर ले आती है।

चिंटू की शरारत उस पर आज भारी पड़ गई थी।

उसने रोते हुए कहा-आगे से शरारत नहीं करूंगा।

दोनों भाई खेलने लगे, इसको देकर उसकी मां बहुत खुश हुई।

मोरल – अधिक शरारत और दूसरों को तंग करने की आदत सदैव आफत बन जाती है।

19. साहस का परिचय

जंगल में सुंदर-सुंदर हिरण रहा करते थे। उसमें एक सुरीली नाम की हिरनी थी। उसकी बेटी मृगनैनी अभी पांच महीने की थी। मृगनैनी अपनी मां के साथ जंगल में घूमा करती थी।

एक दिन मृगनैनी अपने मां के साथ घूम रही थी, तभी दो गीदड़ आ गए।

वह मृगनैनी को मार कर खाना चाहते थे।

सुरीली दोनों गीदड़ को अपने सिंघ से मार-मार कर रोक रही थी।

मगर गीदड़ मानने को तैयार नहीं थे।

वहां अचानक ढेर सारे हिरनी का झुंड आ गया।

हिरनी गीदड़ के पीछे दौड़ने लगी। गीदड़ अपने प्राण लेकर वहां से रफूचक्कर हो गया।

सुरीली और मृगनैनी की जान आज उसके परिवार ने बचा लिया था।

मोरल – एक साथ मिलकर रहने से बड़ी से बड़ी चुनौती दूर हो जाती है।

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20. मुकेश की पेंटिंग स्वच्छता के लिए

मुकेश कोई छः – सात साल का होगा। उसे पेंटिंग करना और क्रिकेट खेलना बेहद पसंद है। खाली समय में वह क्रिकेट खेलता और पेंटिंग बनाया करता था।

पेंटिंग की कोई भी प्रतियोगिता स्कूल में होती, तो उसमें वह प्रथम स्थान प्राप्त करता। मुकेश की पेंटिंग की सराहना स्कूल में भी की जाती थी।

मुकेश जब भी स्कूल जाता उसे रास्ते में कूड़ेदान से होकर गुजरना पड़ता था।

लोग पटरियों पर कूड़ा फेंक देते और दीवार के सामने पेशाब भी करते थे, जिसके कारण वहां काफी बदबू आती थी। मुकेश को यह सब अच्छा नहीं लगता था।

एक दिन की बात है प्रधानमंत्री स्वच्छता कार्यक्रम के लिए सभी विद्यार्थियों को सहयोग करने के लिए कह रहे थे। मुकेश को आइडिया आया उसने कूड़ेदान के पास जाकर खूब सारी पेंटिंग दीवार पर बना दी। वह पेंटिंग इतनी खूबसूरत थी कि कोई भी व्यक्ति वहां से गुजरते हुए। उस पेंटिंग की सराहना करते जाता था।

धीरे-धीरे वहां से लोगों ने कूड़ा फेंकना बंद कर दिया, और इतनी खूबसूरत पेंटिंग दीवार पर थी कि कोई अब वहां खड़े होकर पेशाब भी नहीं करता था। देखते ही देखते वह रास्ता साफ हो गया था।

मुकेश को अब स्कूल और घर के बीच किसी प्रकार की गंदगी दिखाई नहीं देती थी। इसे देखकर वह काफी खुश होता था।

कुछ बड़ा कर गुजरने की कोई आयु नहीं होती। अपनी प्रतिभा से समाज को भी बदला जा सकता है।

21. करुणा का प्रहार

अब्दुल के पास एक बकरी थी , उस बकरी का एक छोटा सा बच्चा था। अब्दुल दोनों को प्यार करता उनके लिए खेत से नरम और मुलायम घास लाता।

दोनों बकरियां घास को खाकर खुश रहती थी।

अब्दुल को दूर से देखकर झटपट दौड़ उसके पास पहुंच जाया करती थी।

अब्दुल चौथी कक्षा में पढ़ता था।

एक दिन जब वह स्कूल गया हुआ था।

उसके अम्मी – अब्बू ने बकरी के बच्चे का सौदा सलीम से कर दिया।

सलीम जब उस बच्चे को लेकर जाने लगा बकरी समझ गई। उसके बच्चे को यह लोग ले जा रहे हैं।

बकरी जोर – जोर से चिल्लाने लगी

उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। काफी प्रयत्न कर रही थी, किंतु वह रस्सी से बंधी हुई थी।

सलीम बच्चे को लेकर काफी दूर निकल गया।

बच्चा भी जोर जोर से चिल्ला रहा था। वह अपनी मां को पुकार रहा था।  मां की करुणा आंसुओं में बह रही थी, किंतु बेबस थी।

बकरी ने अंतिम समय सोचा , अगर अभी प्रयत्न नहीं किया तो वह अपने बच्चे से कभी नहीं मिल पाएगी। ऐसा सोचते हुए एक बार जोरदार प्रयास किया। रस्सी का फंदा बकरी के गले से टूट गया।  वह बकरी जान – प्राण लेकर सलीम की ओर भागी।

अपने बच्चे को देखकर बकरी ने सलीम पर जोरदार प्रहार किया। काफी समय सलीम को मशक्कत करते हो गई , किंतु बकरी के प्रहार को रोक नहीं पाया। एकाएक अनेकों प्रहार बकरी करती रही।

अंत में सलीम हार मान गया और बकरी के बच्चे को वहीं छोड़कर। अब्दुल के अम्मी – अब्बू से अपने पैसे लेकर वापस लौट आया।

अब्दुल जब वापस लौट कर आया उसे पड़ोसियों ने पूरी घटना बता दी। जिसके बाद वह अपने मां-बाप से गुस्सा हो गया। मां बाप ने काफी समझाया किंतु उसने किसी की एक न सुनी।  क्योंकि वह बकरी उसके लिए अमूल्य थे जिसे वह बेचना चाह रहे थे।

  • मां की करुणा के प्रहार से बड़ी से बड़ी शक्तियां पराजित हो जाती है। मां अपने बच्चे के लिए अपना जीवन भी दांव पर लगा देती है।
  • बकरी ने अपना जीवन दाव पर लगाकर सलीम पर प्रहार किया था।

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22. और बन गई क्रिकेट टीम

राजू पार्क में उदास बैठा था , आज उसके दोस्त खेलने नहीं आए थे। राजू के पास एक गेंद थी , किंतु बैट और मित्र नहीं थे। वह अकेले ही गेंद के साथ मायूसी से खेल रहा था। पार्क में अन्य बालक भी क्रिकेट खेल रहे थे , किंतु राजू उन्हें जानता नहीं था। इसलिए वह अकेला ही कभी गेंद से खेलता और कभी बैठ कर उन बालकों को खेलता हुआ देखता रहता।

कुछ देर बाद सामने खेल रहे बालकों की गेंद पड़ोस के एक बंद घर में जा गिरी।

वहां से गेंद के लौट का आना असंभव था , और कोई बालक उसे लेने के लिए भीतर भी नहीं जा सकता था। अब उन बालकों का भी खेलना बंद हो गया। वह सभी उदास हो गए , क्योंकि अब वह भी क्रिकेट नहीं खेल सकते थे।

उन बालकों की नजर राजू के ऊपर गई , जिसके पास गेंद थी।

फिर क्या था , उन लोगों ने राजू को खेलने के लिए अपने पास बुला लिया। राजू खेलने में अच्छा था। इसलिए काफी बेहतरीन शॉर्ट लगा सकता था। गेंद को पकड़ने के लिए और बालकों की आवश्यकता हुई। जिस पर पार्क में खेल रहे और बालक भी उनसे जुड़ गए। और फिर देखते देखते दो दल बन गया।

इस प्रकार राजू की एक नई क्रिकेट टीम तैयार हो गई।

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23. स्वयं का नुकसान

शहर में एक छोटी सी दुकान , जिसमें कुछ चिप्स , पापड़ , टॉफी , बिस्किट आदि की बिक्री होती थी। यह दुकान अब्दुल मियां की थी। इनकी हालात सभी लोगों को मालूम थी , इसलिए ना चाहते हुए भी आस पड़ोस के लोग कुछ ऐसा सामान ले लिया करते थे। जिससे अब्दुल मियां की कुछ कमाई हो जाए।

दुकान में चूहों ने भी अपना डेरा जमा लिया था। दुकान में एक से बढ़कर एक शरारती चूहे आ गए थे।

इन चूहों ने टॉफी और बिस्किट को नुकसान पहुंचाना चालू कर दिया था।

अब्दुल काफी परेशान हो गया था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस शरारत से कैसे बचे।

एक दिन की बात है, अब्दुल बैठा हुआ था तीन – चार चूहे आपस में लड़ रहे थे।

अब्दुल को गुस्सा आया उसने एक डंडा उन चूहों की ओर जोर से चलाया।

चूहे उछल कर भाग गए, किंतु वह डंडा इतना तेज चलाया गया था कि टॉफी रखने वाली शीशे की जार टूट गई।

ऐसा करने से और भी बड़ा नुकसान हो गया।

निष्कर्ष – क्रोध में किसी प्रकार का कार्य नहीं करना चाहिए , यह स्वयं के लिए नुकसानदेह होता है।

24. अपने गलती का पछतावा

गोपाल के घर पांच भैंस और एक गाय थी। वह सभी भैंसों की दिनभर देखभाल किया करता था। उनके लिए दूर-दूर से हरी – हरी घास काटकर लाया करता और उनको खिलाता। गाय , भैंस गोपाल की सेवा से खुश थी।

सुबह – शाम इतना दूध हो जाता , गोपाल का परिवार उस दूध को बेचने पर विवश हो जाता।

पूरे गांव में गोपाल के घर से दूध बिकने लगा।

अब गोपाल को काम करने में और भी मजा आ रहा था , क्योंकि इससे उसकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही थी।

कुछ दिनों से गोपाल परेशान होने लगा , क्योंकि उसके रसोईघर में एक बड़ी सी बिल्ली ने आंखें जमा ली थी। गोपाल जब भी दूध को रसोई घर में रखकर निश्चिंत होता। बिल्ली दूध पी जाती और उन्हें जूठा भी कर जाती। गोपाल ने कई बार उस बिल्ली को भगाया और मारने के लिए दौड़ाया , किंतु बिल्ली झटपट दीवार चढ़ जाती और भाग जाती।

एक  दिन गोपाल ने परेशान होकर बिल्ली को सबक सिखाने की सोंची ।

जूट की बोरी का जाल बिछाया गया , जिसमें बिल्ली आसानी से फंस गई।

अब क्या था गोपाल ने पहले डंडे से उसकी पिटाई करने की सोची।

बिल्ली इतना जोर – जोर से झपट रही थी गोपाल उसके नजदीक नहीं जा सका।

किंतु आज सबक सिखाना था , गोपाल ने एक माचिस की तीली जलाई और उस बोरे पर फेंक दिया।

देखते ही देखते बोरा धू-धू कर जलने लगा , बिल्ली अब पूरी शक्ति लगाकर भागने लगी।

बिल्ली जिधर जिधर भागती , वह आग लगा बोरा उसके पीछे पीछे होता।

देखते ही देखते बिल्ली पूरा गांव दौड़ गई।

पूरे गांव से आग लगी……………….. आग लगी  , बुझाओ …….बुझाओ

इस प्रकार की आवाज उठने लगी। बिल्ली ने पूरा गांव जला दिया।

गोपाल का घर भी नहीं बच पाया था।

आवेग और स्वयं की गलती का फल खुद को तो भोगना पड़ता ही है , साथ में दूसरे लोग भी उसकी सजा भुगतते हैं।

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25. दद्दू की चोट पर हुई किसकी पिटाई

दद्दू और मोहित दोनों भाई थे। दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ते थे , मोहित दद्दू से 2 साल बड़ा था। दोनों एक साथ स्कूल जाते , लौटते समय भी दोनों साथ ही आते थे।

एक दिन की बात है दद्दू अपने दोस्तों के साथ साथ , तेज कदमों से घर की ओर लौट रहा था। अचानक उसका पैर एक पत्थर पर पड़ा , कंधे पर किताब – कॉपी का बोझ लदा था , वह संभल नहीं पाया और गिर गया।

दद्दू को चोट लग गई , उसका घुटना छिल गया………….

जिससे दद्दू जोर जोर से रोने लगा।

पीछे मोहित आ रहा था दौड़ कर झट से अपने भाई को उठा लिया।

मोहित समझदार था दद्दू को काफी समझाया किंतु वह चुप नहीं हो रहा था।

मोहित ने झटपट एक उपाय सोचा और सड़क पर 4-5 लात जोर से मारी और दद्दू को कहा लो इसने तुम्हें चोट लगाया था मैंने इसे चोट लगा दिया।

दद्दू अब सोच में पड़ गया , उसने भी 8 -10 लात मारी।

उसके और दोस्त थे ,

वह भी सड़क पर उछलने लगे जिससे सड़क को और चोट लगे।

बस क्या था , अब यह मनोरंजन का साधन बन गया। कुछ देर बाद सभी वहां से जा चुके थे।

घर पहुंच कर मोहित ने दद्दू के चोट को दिखाया और डिटॉल तथा साफ पानी से घाव को साफ किया गया।

संदेश – समय पर लिया गया निर्णय सर्वदा ठीक होता है।

26 कुम्हार का वात्सल्य रूप

आज लकड़ी काटने के लिए मदन घूमता रहा, किंतु उसे कोई सूखा पेड़ नहीं मिला। वह प्रकृति से इतना जुड़ा हुआ था कि वह हरे-भरे वृक्षों को अपने कुल्हाड़ी के चोट से नहीं काटता। पेड़-पौधों को वह बेटे के समान मानता था और बेटे की हत्या मानव कभी कर ही नहीं सकता।

मदन बेहद गरीब था, घर में बुजुर्ग मां-बाप, पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चे थे। उनका भरण-पोषण मदन के कार्य से ही चलता था। मदन दिनभर जंगलों में घूमता लकड़ियां जमा करता और शाम तक बाजार में बेचकर खाने-पीने का सामान घर ले आता। इसी से पूरा घर दो वक्त की रोटी खा पाता था।

न जाने आज कैसा दिन था कि आज उसे कोई सुखी लकड़ी या सुखा पेड़ मिल ही नहीं रहा था। वह थक हार कर एक जगह बैठ गया वह आज बेहद दुखी था कि आज उसे घर ले जाने के लिए अन्य पानी का प्रबंध नहीं हो सका। वह सोचते सोचते बेसुध हो गया और वहीं लेट गया।

प्रकृति सदैव मानव की रक्षा करती है, मानव के जीवन का एक अभिन्न अंग होती है और मनुष्य को प्रकृति पुत्र के समान पालन करती है।

मदन की ऐसी हालत देख प्रकृति में भी उदासी का भाव था। तभी अचानक एक अनोखी घटना घटती है, पेड़ों से शीतल हवा बहने लगती है।

मदन कि अचानक नींद खुलती है तो वह अपने नजदीक एक कपड़े की पोटली पाता है। यह पोटली पेड़ों से चलने वाली हवाओं के साथ मदन के पास आया था।

इस पोटली का रहस्य यह था – कुछ दिन पूर्व एक भले आदमी को लूट कर जंगली डाकू भाग रहे थे, तभी अचानक उनका पैर फिसला और वह पहाड़ों की दुर्गम खाई में जा गिरे जिससे उनकी मृत्यु हो गई। यह पोटली गिरते समय डाकुओं के हाथ से छिटक कर पेड़ पर टंग गई थी। आज आवश्यकता की घड़ी में मदन को उन पैसों से सहायता हो सकी।

मोरल – जब आप किसी की सहायता करते हैं निर्दोष लोगों को परेशान नहीं करते तो प्रकृति भी आपकी सहायता करती है। जब आप प्रकृति का नुकसान पहुंचाते हैं तो प्रकृति भी आप को नुकसान पहुंचाती है, यह नुकसान दीर्घकालिक होता है।

27. बड़े भैया का रुमाल

राजू तीसरी कक्षा में पढ़ता है , उसका बड़ा भाई कार्तिक भी उसी विद्यालय में पांचवी कक्षा में पढ़ता है। दोनों भाई एक साथ विद्यालय जाते-आते थे।  रास्ते में दोनों खूब मस्तियां किया करते थे। कार्तिक के पास एक रुमाल था , जिसे वह हमेशा डिटॉल से धोकर साफ-सुथरा रखता था। राजू अपने भैया को हमेशा देखता वह अपने पास सोचता भैया रूमाल को रखते है?

थोड़ी सी भी गंदगी होने पर उसे साफ करते और फिर उसे मोड़ कर अपनी जेब में रख लेते। रुमाल की गंदगी उन्हें पसंद नहीं थी। राजू को इन सब बातों की समझ नहीं थी , वह सोचता रहता था कि बड़े भैया ऐसा क्यों करते हैं , लेकिन कभी उसके समझ में नहीं आया।

एक दिन की बात है राजू झूला झूल रहा था तभी उसके हाथ से झूला छूट गया और वह जमीन पर गिर गया। जमीन पर गिरते ही राजू के घुटने में चोट आ गई जिसके कारण उसके घुटने से खून बहने लगा। कार्तिक ने अपने भाई को देखा तो वह जल्दी से दौड़ता हुआ आया और अपने जेब से रुमाल निकाल कर घाव पर बांध दिया। जिसके कारण खून बहना बंद हो गया। कार्तिक तुरंत अपने भाई को हॉस्पिटल ले गया जहां डॉक्टर ने मरहम-पट्टी कर राजू को बढ़िया कर दिया।

राजू ने देखा भैया जिस रुमाल को बड़े प्यार से साफ-सुथरा करके अपने पास हमेशा रखते थे। जिससे खूब प्यार करते थे , वह अब गंदी हो चुकी थी। बड़े भाई के प्यार के सामने वह रुमाल अधिक प्यारा नहीं था।

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बहुत ही अच्छी कहानियाँ हैं। शेर जो हाथी पर बैठा था वो सबसे ज्यादा मस्त था। ऐसी ही अच्छी अच्छी कहानियाँ और लिखें।

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Best stories for kids… very good website… loved it

बहुत ही अच्छी कहानियां लिखी है आपने.. शानदार कहानियां.. बहुत बहुत धन्यवाद

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We are living in England and so do not have exposure to Hindi Literature. Because of this website, I was able to make my son read Hindi. Thank you very much. But it is very little. I wish there were many more stories like this. Please try to upload them. Thank you again.

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Bahut hi achchi story sab hai Aur bhi likhen good job

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Nishikant Sir is the author of these stories and also the owner of this website

अच्छा लगा कहानी पढ़कर. आपकी सभी कहानी सच में बहुत अच्छी है. दिल को छू गई.

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सभी की सभी कहानियां बहुत अच्छे तरीके से लिखी गई हैं. इसे पढ़कर ना सिर्फ मजा आता है बल्कि प्रेरणा भी मिलती है. आपको खुद का स्टोरी बुक भी बना सकते हैं.

नमस्ते सर, आपने बहुत ही अच्छी-अच्छी शॉर्ट स्टोरीज लिखीं हैं। आगे भी ऐसे ही लिखते रहिएगा सर

आप बहुत अच्छी कहानियां लिखते हैं मैंने आपकी बहुत सारी कहानियों की पोस्ट पड़ी है आपकी वेबसाइट पर. यहां पर और कहानियां लिखकर बहुत अच्छा काम किया है मैं आपको इसके लिए धन्यवाद करना चाहूंगा. हिंदी कहानियां इतने अच्छे तरीके से बहुत कम लोग लिखते हैं इंटरनेट पर. आप उनमें से एक है और काफी सक्षम है.

Thank you Hindivibhag for the best Hindi short stories that are so beautiful. Please keep adding and writing more.

सभी की सभी कहानियां बहुत अच्छी है. दिखने में और पढ़ने में छोटी हैं परंतु उनके नैतिक शिक्षा बहुत ही अच्छे हैं और लाभदायक है हमारे समाज के लिए. इस लेख के पीछे जो भी लेखक हैं उनको हम धन्यवाद करना चाहते हैं.

मुझे सभी कहानियां बहुत अच्छी लगी है और मैं इन कहानियों को प्रिंट करके अपने पास रख लूंगा.

These Short Hindi stories with moral values are awesome but who is the writer of these stories? tell me, please

Amazing stories. I am a hindi learner and it helps me a lot. But I have some doubts like in this sentence मुर्गा की अकल ठिकाने. Why it is “ki” and not “ka”? Another one is कालिया को मिली सजा. Why it is “mili” and not “mila”?

आपके ब्लॉग पर हमेशा ही बहुत अच्छी जानकारी दी जाती है ऐसे ही लिखते रहिये, भगवान का आशीर्वाद आप पर हमेशा बना रहे

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बहुत ही अच्छी कहानियाँ है. ऐसे ही और कहानियाँ लिखते रहे, धन्यवाद

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बहुत अच्छे हिंदी कहानियां है और नैतिक शिक्षा भी आपने बहुत अच्छे से लिखी है परंतु मेरे को एक बात बतानी है। आप सभी कहानियों में नैतिक शिक्षा क्यों नहीं लिखे, कृपा करके सभी कहानियों में नैतिक शिक्षा लिखिए

सभी कहानियां बहुत छोटी है परंतु नैतिक शिक्षा बहुत अच्छे से दी गई है और अच्छे से लिखी भी गई है परंतु हम चाहते हैं कि आप को बड़ी कहानियां भी डालें जिसे पढ़कर और मजा आए एवं ज्यादा ज्ञान प्राप्त कर सकें

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बहुत अच्छी कहानियां है पढ़कर अच्छा लगा

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Really great stories. I actually loved them.

Hello Arabinda It is great to know that all stories are loved by you.

Thank you for sharing such good stories.

Dhanyavaad in kahaniyon ke liye. Saari kahaniya bohut hi sundar hai. Badi hi saral bhasha ka prayog hua hai in kahaniyon me. Bacchon aur badon ke liye seekhne wali kahaniyaan hain. Ati sundar.

aapki sabhi story prernadayak he apka dhnywad kyuki mere bache ye kahaniya adhte he thank you

Badi achhi stories likhin hain aapne , aise hi likhte rahiye aur aage badte rahiye

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नैतिक शिक्षा लघु कहानियाँ (10 + Moral Short Stories In Hindi)

नैतिक शिक्षा लघु कहानियाँ (10 + Moral Short Stories In Hindi)

जब कभी भी हम बच्चों की बातें करते हैं तो उसमें लघु कहानियाँ (Short Moral Stories) का जिक्र भी जरूर होता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चों को सबसे ज्यादा कहानियाँ ही पसन्द आती हैं। कहानियाँ की वजह से ही बच्चों को नई प्रेरणा मिलती हैं और जीवन जीने की नई प्रेरणा मिलती है।

Short Moral Stories In Hindi

यह Moral Education Short Story ही बच्चों को भविष्य में एक बेहतर और जुझारू इंसान बनाने में मददगार साबित होती हैं। सभी बच्चों के लिए यह कहानियाँ बहुत ज्यादा प्रेरणादायक होती हैं अतः इनमें हमेशा कुछ न कुछ प्रेरणा अवश्य मिलती हैं। इसलिए छोटे-बड़े सभी को यह लघु कहानियाँ हमेशा से ही पसन्द आती हैं।

यह कहानियाँ भी आपको अनेकों प्रकार की मिलेगी! कहने का मतलब यह है कि लेखक बहुत से अलग-अगल तरह की कहानियाँ बच्चों के लिख लिखते हैं। जैसे कि भूतों की कहानियाँ, रानी की कहानियाँ, पक्षीयों की कहानियाँ, चाँद तारों की कहानियाँ इत्यादि।

इन सब moral stories in hindi में बच्चों के लिए कुछ न कुछ सीख हमेशा से छुपी होती है। तो अब हम बिना देरी किये बिना कहानियाँ का आनंद लेते हैं, जिसे पड़ने में आपको बहुत मजे के साथ-साथ प्रेरणा भी मिलेगी।

Life changing short moral stories in hindi

लालची शेर की कहानी (short story of greedy lion).

एक दिन की बात है गर्मीयों के दिन थे एक शेर को बहुत भूख लगी थी इसलिए वह खाना ढुढने के लिए जंगल में इधर-उधर घुमने लगा कुछ देर बाद घुमते हुए शेर की नजर एक खरगोश पर पड़ी, किन्तु शेर ने खरगोश को खाने के बदले छोड़ दिया क्योंकि शेर को वह खरगोश बहुत ही छोटा लगा। फिर शेर थोड़ा आगे गया और उसकी नजर एक हिरन पर पड़ी वह हिरन बहुत मोटा-ताजा था। जिसके बाद शेर ने उसका पीछा किया पर क्योंकि वह काफी देर से खाना खोज रहा था तो वह बहुत थक गया था जिसके कारण वह हिरण उसके पकड़ में नहीं आया। जब शेर को खाने को कुछ नहीं मिला तब वह निराश होकर उसी खरगोश को खाने के विषय में सोचने लगा, और शेर जब वापस उसी स्थान पर गया तो उसे वहां पर कोई भी खरगोश नहीं मिला और अब शेर काफी दुखी हुआ और उसे पछतावा हुआ।

सीख (Moral of Short Story)- अत्यधिक लोभ करना, लाभदायक नहीं है।

small moral stories of lion and mouse

बहुत समय पहले की बात है एक शेर जंगल में सो रहा था। ठीक उसी समय एक चूहा उसके शरीर में उछल कूद करने लगा। इससे शेर की नींद खराब हो रही थी, तभी शेर गुस्से के साथ उठा। तभी शेर ने चूहे को अपने पंजों में उठा लिया और खाने की सोचने लगा। तभी चूहे से डरते हुए शेर से प्रार्थना करी कि, वह चूहे को माफ करें और जाने दे। चूहा ये भी वादा करता है कि शेर का बुरा वक्त आने पर वह भी शेर की पूरी मदद करेगा। इसके बाद चूहे की इस साहसिकता को देखकर शेर हसा और उसने चूहे को जाने दिया। इस घटना के बाद एक दिन कुछ शिकारी जंगल में शिकार करने आये और उन्होंने शेर को अपने जाल में फसा लिया तथा उन्होंने शेर को एक रस्सी से शेर को पेड़ के साथ बाँध दिया। तब उस समय शेर मदद के लिए दहाड़ने लगा तभी रास्ते से गुजर रहे चूहे ने उसकी आवाज सुनी तो चूहा तुरंत ही शेर की मदद करने निकल पड़ा। जैसे ही चूहा उसके पास पहुंचा तो उसने रस्सी को कुतरना शुरू कर दिया, फिर कुछ देर बाद शेर आजाद हो गया और वह दोनों जंगल की ओर जाने लगे और उन दोनों में उस दिन से गहरी दोस्ती हो गई।

सीख (Moral of Short Story)- इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि हमेशा उदार मन से किया गया कार्य फल जरूर देते हैं।

लकड़हारा और सोने की कुल्हाड़ी की कहानी (a short story in hindi of the woodcutter and the golden axe)

बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक लकड़हारा रहता था वह अपनी आजीविका के लिए दिन भर जंगल से लकड़ी काटता था और रोज शाम को पास के एक बाजार में जाकर बेचता था। एक दिन की बात है कि वो तालाब के पास में एक पेड़ काट रहा था, उसी समय उससे गलती हुई कि उसके कुल्हाड़ी उसके हाथ से उसी तालाब में गिर जाती है। उस नदी का बहाव और गहराई दोनों ज्यादा थी। उस लकड़हारे ने अपनी कुल्हाड़ी को बहुत खोजा पर वह कामयाब ना हुआ, अतः वह हार मानकर नदी किनारे बैठ गया और रोने लगा। उसके रोने की आवाज सुनकर नदी की देवी उठी और उस लकड़हारे से पूछा कि क्या हुआ? क्या हुआ? तक लकड़हारे ने अपनी कहानी बताई, तब पानी की देवी को उस पर दया आ जाती है और पानी की देवी उस गरीब, मेहनती लकड़हारे की मदद व सहयोग करने की पेशकश करती है। फिर क्या था वह नदी की देवी उसकी मदद के लिए एकदम से गायब हो गई और नदी के अंदर से एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर प्रकट होती है और उस गरीब लकड़हारे से पुछती है कि क्या यह सोने की कुल्हाड़ी उसकी है ? लकड़हारा इस पर उत्तर देते हुए कहता है कि नहीं! मैं तो गरीब आदमी हूँ इसलिए यह मेरे नहीं है। तब फिर एक बार फिर नदी की देवी पानी के अंदर जाती है और इस बार चांदी की कुल्हाड़ी लेकर वापस लैटती है। लेकिन वह आदमी इस बार भी कहता है यह मेरी नहीं है। इतने के बाद उस नदी की देवी एक बार फिर पानी में गायब हो जाती है और इस बाद एक लोहे की कुल्हाड़ी लेकर वापस आती है। तभी वो गरीब लकड़हारा खुश होकर कहता है कि यह उसकी ही कुल्हाड़ी है, जिस पर नदी की देवी उस गरीब लकड़हारे पर खुश होकर वह सोने और चांदी दोनों कुल्हाड़ीयों को उसको उपहार स्वरूप दे देती है।

सीख (Moral of Short Story)- ईमानदारी सबसे उत्तम नीति है।

हाथी और उसके दोस्तों की कहानी (Hindi story of elephant and his friends)

एक समय की बात है एक जंगल में एक हाथी रहता था एक दिन वह एक नए जंगल में रहने के लिए चला और वह दोस्त बनाने के लिए अन्य किसी हाथी को देख रहा था वह सबसे पहले एक बंदर से संपर्क किया और उसने उस बंदर से बोला नमस्ते बंदर भैया! क्या आप मेरे दोस्त बनना चाहेंगे? बंदर ने कहा-‘‘तुम मेरी तरह झूल नहीं सकते इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बना पाऊंगा।’‘ इसके बाद हाथी एक खरगोश के पास जाता है और उसे पूछता है कि ‘‘खरगोश क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे‘‘? खरगोश ने उत्तर दिया कि ‘‘तुम मेरे दिल में फिट होने के लिए बहुत बड़े हो इसलिए मैं तुम्हारे साथ मित्रता नहीं कर सकता’’।

उसके बाद फिर 1 दिन सभी जानवर जंगल में दर-दर दौड़ रहे थे यह देखकर कि हाथी ने दौड़ एक भालू से पूछा कि इस भागदौड़ के पीछे का कारण क्या है तो भालू ने कहा जंगल का शेर शिकार पर निकला है वह खुद को बचाने के लिए भाग रहे हैं ऐसे में हाथी शेर के पास गया और कहा कि महाराज कृपया इन निर्दाेष जानवरों को चोट ना पहुंचाओ उन्हें आप अकेला छोड़ दो और जीने का मौका दो।

इस पर शेर ने हाथी का बहुत मजाक उड़ाया और हाथी को एक तरफ चले जाने को कहा तभी हाथी को गुस्सा आया और उसने शेर को उसकी सारी ताकत लगाकर धक्का दे दिया जिससे वह घायल हो गया और वहां से भाग खड़ा हुआ।

अब बाकी सभी जानवर राम-राम से बाहर आ गए और शेर की हार को लेकर मजा लेने लगे वह हाथी के पास आए और उन सब ने मिलकर हाथी से कहा हमारा दोस्त बनने के लिए तुम्हारा आकार एकदम सही है।

सीख (Moral of tale Story) – किसी भी व्यक्ति के आकार उसके मूल्य का निर्धारण नहीं कर सकता।

दो मेंढकों की कहानी (short hindi tale of two frogs)

एक समय की बात है की मेंढकों का एक झुंड जंगल में पानी की तलाश में घूम रहा था। दो बैठक गलती से एक गहरे गड्ढे में गिर गए। उस दल के दूसरे मेंढकों ने गड्ढें में देखा और बोले कि इस गड्ढे में इन दोनों को बचाने का कोई रास्ता नहीं है और कोशिश करने का भी कोई मतलब नहीं रहा। वे दो मेंढक हमेशा अपना हौसला बढ़ाते रहे क्योंकि दोनों गड्ढे से बाहर कूदने की कोशिश कर रहे थे वह दोनों जितने भी कोशिश करते लेकिन सफल नहीं हो पाते। लेकिन जल्दी ही एक मेंढक ने दूसरे मेंढक पर विश्वास करना शुरू किया कि वह कभी भी इस गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाएंगे अतः उस मेंढक की मृत्यु हो जाती है। परंतु वही दूसरा मेंढक अपनी कोशिशें जारी रखता है और आखिर में वह एक इतनी लंबी छलांग लगाता है कि वह पूरे गड्ढे को लांग कर बाहर निकल जाता है। इन दोनों में अंतर यह था कि जो दूसरा मेंढक था वह बहरा था उसने पहले मेंढक वह अन्य पूरे समूह के हतोत्साह नहीं सुना इसीलिए वह हमेशा यह सोचता रहा कि वह बाहर निकल सकता है यही उसके बचने का कारण है।

सीख (Moral of tale Story)-दूसरों की राय आपको तभी प्रभावित करेगी जब आप उस पर विश्वास करेंगे बेहतर इसी में है कि आप खुद पर ज्यादा से ज्यादा विश्वास करें, सफलता आपके कदम चूमेगी।

मूर्ख गधे की कहानी (story of silly donkey for kids)

एक गांव में एक नमक व्यापारी रहता था उसके पास एक गधा था रोजाना वह उस गधे में नमक की थैली लादकर बाजार ले जाया करता था। बाजार जाते वक्त व्यापारी और उसके गधे को एक नदी पार करनी पड़ती थी एक दिन अचानक गधा नदी में गिर गया और नमक नदी के पानी में गिर गया जिससे गधे पर लगा नमक का वजन कम हो गया। इस घटना से गधा बेहद खुश था गधा रोज नदी में आता और गिर जाता जिससे उसका वजन हल्का हो जाता। जिससे व्यापारी को बहुत नुकसान हो गया। नमक व्यापारी को गधे की चाल समझ आ गई और उसने गधे को सबक सिखाने का फैसला ले लिया अगले दिन जब वह नमक बेचने शहर जा रहे थे तो व्यापारी ने उस दिन गधे की पीठ पर नमक के थैले के बदले में रुई का थैला बांध दिया। अब गधे ने फिर से वही चाल चली और नदी में गिर गया नदी में गिरने से रूई ने पानी सोख लिया और भारी हो गया और गधे को नुकसान उठाना पड़ा। उससे गधे को एक सीख मिली और उसने चालाकी करना बंद कर दिया जिससे नमक व्यापारी भी खुशी-खुशी नमक बेचने लगा।

सीख (Moral of tale Story)-इस कहानी से हमें क्या प्रेरणा मिलती है कि भाग्य हमेशा साथ नहीं देता कभी अपनी बुद्धि का इस्तेमाल भी करना चाहिए।

प्यासे कौवे की कहानी (hindi short story of thirsty crow)

एक बार की बात है आकाश में एक कौवा पानी की खोज में इधर उधर भटक रहा था। लेकिन बहुत ज्यादा ढूंढने के बाद भी उस कव्वे को पानी कहीं नहीं मिला पानी की तलाश में कौवा उड़ता ही जा रहा था।

अचानक से प्यास के मारे कौवे की नजर नीचे रखें एक घड़े पर पड़ी कौवा आसमान से नीचे उतरा और उसने घड़े में जैसे ही झांक कर देखा तो उसने पाया की पानी उसकी चोंच तक नहीं पहुंच पा रहा है।

तब कवर ने योजना बनाई कि पानी को कैसे पिया जा सकता है कवि ने सोचा की पानी तो पीना है नहीं तो वह मर जाएगा फिर कव्वे के दिमाग में योजना आई की वह आस-पास रखें कंकड़ पत्थर को घड़े में डालें जिससे घड़े का जल स्तर ऊपर उठ जाएगा और वह प्यासा कौवा पानी को पी पाएगा।

इस योजना पर काम करते हुए कौवे की मेहनत रंग लाई और उसने देखा कि पानी का स्तर काफी ऊपर हो गया है अब उसकी चोंच पानी तक पहुंच पा रही है तब कौवे ने पानी पिया और कौवे ने पानी पीकर अपनी सूखे गले को भिगाया।

सीख(Moral of tale Story)- कोई भी कार्य हमेशा योजनाबद्ध तरीके से करना चाहिए।

भेडिये और सारस की कहानी (story of wolf and stork)

एक समय की बात है जंगल में एक बहुत ही भूखा प्यासा भेड़िया भटक रहा था काफी देर भूख प्यास में भटकने के बाद भेड़िए को शिकार के लिए एक पक्षी दिखा। और भेड़िया उस पक्षी को मारकर खा गया जब भेड़िया जान पक्षी को खा रहा था तो भेड़िए के गले में पक्षी की एक हड्डी फंस गई।

अत्याधिक प्रयास करने के उपरांत भी भेड़िए के कंठ से हड्डी निकलने का नाम नहीं ले रही थी। भेड़िया गले में चुभती उस हड्डी से परेशान होकर इधर-उधर भटकने लगा कि कोई मेरे गले की हड्डी निकालने में मदद कर दे इस पर कोई भी जानवर घड़ी की मदद करने के लिए राजी नहीं था।

काफी देर तक जब भेड़िया जंगल में भटका तो भेड़ियों को एक सहारा मिला उसना में सारी समस्या उस सारस को बताइए उसके बाद उस सारस ने कहा कि भेड़िया भाई मैं तुम्हारी मदद करूं तो तुम मुझे क्या दोगे जिस पर भेड़िए ने उत्तर देते हुए कहा अगर तुम मेरी हड्डी निकालने में मदद करते हो तो मैं तुम्हें एक बेशकीमती इनाम दूंगा। इस पर लालची सारस को लालच आता है और वह तन मन धन से भेड़िए के गले से हड्डी निकालने में लग जाता है।

अब सारा अपनी बहुत लंबी चोंच को भी लेकर मुंह में डालकर गले में फंसी हुई हड्डी को बाहर निकालने की कोशिश करता है जिस पर वह कामयाब हुआ जैसे ही सारस में गले में फसी हड्डी को बाहर निकाला वैसे ही भेड़िया बहुत खुश हुआ और वह उछल कूद कर के नाचने लगा जिस पर सारस ने भेड़िए को बोला की अब मुझे क्या नाम दोगे? इस पर भेड़िया कोई उत्तर नहीं देता है सारस को भी समझ आ जाता है कि भेड़िया ने उसको झूठ बोला और भेड़िया वहां से जाने लगता है।

उतने में ही बढ़िया बोलता है कि सारस तुमने मेरे मुंह में अपनी गर्दन डाली उसके बावजूद भी तुम सही सलामत बजे यही तुम्हारा इनाम है यह सुनकर सारस बहुत दुखी होता है।

सीख (Moral of tale Story)- हमें स्वार्थी लोगों का साथ नहीं देना चाहिए जीवन में हमेशा स्वार्थी तत्वों से सावधान रहें।

लालची कुत्ते की कहानी (Shorts greedy dog story)

एक समय की बात है किसी गांव में एक कुत्ता रहता था 1 दिन उस कुत्ते को बहुत भूख लगी थी उसे खाने को कुछ नहीं मिल पा रहा था बहुत ज्यादा खोजने के बाद उसको एक रोटी दिखाई पड़ती है उस रोटी को वह कुत्ता अपने मुंह में लेकर पास में एक पुल से होकर गुजर रहा था।

किंतु अचानक से ही उस कुत्ते को पुल के नीचे मौजूद पानी में अपनी परछाई देखने को मिलती है और वह सोचने लगता है कि कोई और मेरे से बेहतर भोजन लेकर खड़ा है।

इसीलिए जब उस खाने को रुकवाने के लिए जैसी ही हुआ कुत्ता खोलता है उस कुत्ते के मुंह से वह रोटी निकलकर नीचे पानी में गिर जाता है और वह काफी परेशान हो जाता है और वापस अपने गांव की ओर चल पड़ता है।

सीख (Moral of tale Story)-लालच बुरी बला है जितना मिले उतने में ही संतुष्ट होना चाहिए।

मेहनत के फल की कहानी (hindi story of hard work)

काफी समय पहले की बात है किसी गांव में 2 मित्र रहते थे एक का नाम किशन और दूसरे का नाम मोहन था वह दोनों ही बचपन से बेरोजगार थे उन दोनों ने अपनी बेरोजगारी से निजात पाने के लिए एक योजना बनाई की वह दोनों अपने गुरु जी से मदद लेने जाएंगे।

उसके बाद कुछ समय बाद वह दोनों अपने गुरु जी के पास जाते हैं किशन और मोहन गुरुजी से कुछ काम करने के लिए 1000 और 1000 रुपए मांगते हैं जिसे गुरु जी उनको दे देते हैं इसमें इसमें शर्त यह है की किशन और मोहन को यह हजार हजार रुपया 1 साल में लौटाने होते हैं।

इसमें बहुत दोनों वहां से निकल जाते हैं रास्ते में किशन भगवान से बोलता है कि तो पैसों का क्या करोगे तब मोहन बोलता है कि परसों का कुछ ऐसा करना है जिससे हमें इसे डबल हो सके जो पैसे गुरु जी ने उनको दिए थे।

उसके बाद मोहन ने किस हमसे पूछा कि किशन तुम इन बस और क्या करोगे तो कुशल बोलता है मैं घूमने फिरने जाऊंगा उसका दोनों दोस्त निकल जाते हैं 1 साल बाद तो वह गुरुजी के पास दोबारा से लौट के आते हैं और गुरु जी बोल और किस से पूछते हैं पैसे कहां है?

तब मोहन मुस्कुराते हुए कहता है नहीं गुरु जी जोली जी आपके हजार रुपए और इसके अतिरिक्त हजार रुपए और गुरुजी बोलते हैं कि मोहन तुम इतने पैसे कहां से लेकर आए तो मोहन बोलता है कि गुरु जी मैंने जब किसान को देखा मैंने उसके फल खरीद के बाजार में बेचने चला गया।

मोहन इसी प्रकार रोज फल बेचता गया और उसके पैसे डबल होते गए और वह एक बड़ा व्यापारी बन गया। मोहन बोलता है कि गुरु जी यह ₹2000 अतिरिक्त ले लीजिए और किसी अन्य जरूरतमंद इंसान की मदद कीजिए।

ताकि वह अपनी जिंदगी में कुछ कर सके जिसके बाद गुरु जी बोलते हैं किस किशन तुमने भी यदि मेहनत की होती तो तुम भी आज मोहन की तरह एक अच्छे कारों का अच्छा कारोबार कर पाते तब मोहन बोलता है कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा अभी भी आपके पास समय है और अपने समय का सदुपयोग करो।

सीख (Moral of tale Story)- समय का सम्मान करो और परिश्रम का महत्व समझो सफलता आपके कदम चूमेगी।

हाथी और दर्जी की कहानी (story of the elephant and the tailor)

बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक दर्जी रहता था और उसके पास ही जंगल में एक बूढ़ा हाथी रहता था हाथी बहुत ही दयालु किस्म का था वह हाथी किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाता था एक दिन वह आती गांव में खाने के लिए आया तो उस दिन दर्जी का दिमाग खराब था उसने हाथी की सूंड पर सुई चुभा दी। सुई काफी नुकिली होने के कारण हाथी को काफी ज्यादा दर्द और नुकसान झेलना पड़ा हाथी बहुत परेशान हो जाता है दर्जी को सबक सिखाने के लिए हाथी अपने दिमाग में कुछ सोचने लगता है। तभी हाथी को एक युक्ति सोचता है और हाथी एक गंदे तालाब के किनारे जाता है और अपनी सूड़ में बहुत सारा गंदा पानी भर के लाता है और वह अपनी सूड़ में भरा सारा पानी दर्जी की दुकान पर साफ-सुथरे कपड़े और दर्जी के ऊपर फेंक देता है और उसकी दुकान गंदी हो जाती है और दर्जी कि सारे कपड़े खराब हो जाते हैं। जिससे दर्जी बहुत दुखी होता है और वह समझ जाता है उसके बाद दर्जी और हाथी से माफी मांगता है और हाथी को अकेला खिलाता है हाथी वापस फिर दोबारा से जंगल की ओर चल पड़ता है।

सीख (Moral of tale Story)- किसी के साथ भी बुरा नहीं करना चाहिए क्योंकि बुराई हमेशा लौटकर वापस जरूर आती है।

Raksha Bandhan Date 2023 : Raksha Bandhan Kab Hai 30 या 31 अगस्त ?

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65+ जबरदस्त छोटी कहानियाँ | Short Story in Hindi with Moral

छोटी कहानियाँ (Short Story in Hindi): कहानियाँ पढ़ना किसे पसंद नहीं है ? अरे! भाई सब को पढ़ना पसंद है। आपका यही जबाब होगा, हैं ना ? बिल्कुल सही, वह चाहे कहानियों की लम्बी श्रृंखला हो या कोई लघु कथा (Short Stories in Hindi), लेकिन पढ़ना तो सबको पसंद है। और जब ये छोटी नैतिक कहानियाँ (Short Story in Hindi With Moral) हमे कुछ सीख भी दे जाएँ तो इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है। इंसान के शुरुआत के दिनों में जब मनोरंजन का कोई साधन नहीं हुआ करता था तो स्टोरीटेलिंग ही थी जिससे आदिमानव मनोरंजन किया करते थे। वह लोग शिकार करने के बाद अपने दिन भर की हुई घटनाओं को छोटी कहानियों (Very Short Story in Hindi) के माध्यम से बताते थे और उसी से उन लोगों का मनोरंजन हुआ करता था। Also Read - Top 10 Moral Stories in Hindi मगर अब समय बदल गया है और मनोरंजन के भी कई साधन आ गये है। जैसे फिल्मे, वेब सीरिज, उपन्यास, Laghu Katha, गेम्स आदि। अब तो इतने मनोरंजन के साधन आ चुके है कि उन्हें देखने या पढ़ने के लिए हमारे पास समय कम पड़ जाता है। और जब समय की बात आती है तो फिर हमारा ध्यान जाता है छोटी कहानियों (Small Stories In Hindi) की ओर। यह मनोरंजन का सबसे बड़ा भंडार होती हैं। इनमें मनोरंजन, शिक्षा और आपकी सोच को एक नई दिशा प्रदान करने की शक्ति होती है। Laghu Katha आपको हर शैली में मिल जाएँगी फिर चाहे वो रोमांटिक, सस्पेंशन एंड थ्रिलर, या हॉरर या बच्चों की नैतिक और शिक्षाप्रद कहानियाँ (Short Stories in Hindi With Moral For Kids) ही क्यों ना हो। छोटी कहानियों (Short Story in Hindi) की एक खासियत होती है, वह कम से कम शब्दों में आपको इंटरटेनमेंट के साथ एक बेहतरीन शिक्षा प्रदान करती है। इन कहानियों में कोशिश की जाती है कि समाज में होने वाली घटनाओं को मुद्दा बनाकर पाठकों के सामने एक बेहतरीन तरीके से पेश किया जाए। इन कहानियों के प्लॉट भले ही काफी छोटे होते हैं मगर ये कहानियाँ अपने भीतर एक बहुत बड़ा संदेश छुपाये होती है। यानी की कहानियों के मामले में छोटा पैकेट बड़ा धमाका। तो देरी किस बात की, आइये साथ मिलकर पढ़ते हैं।

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100+ Moral Stories in Hindi | नैतिक कहानियां हिंदी में

  • by Rohit Soni
  • Hindi Story
  • 22 min read

Short Moral Stories in Hindi , मोटिवेशन, नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ हिंदी में पढ़े। यहाँ पर कई सारी Short Story in Hindi में दी गई हैं। जिसे पढ़ने से मनोरंजन के साथ-साथ हमें अच्छी बातें भी सीखने को मिलती है।

Hindi short stories with moral for Kids 2023: को पढ़ने से बच्चों का दिमाग बढ़ता है। और भविष्य में उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है। जब भी कोई बच्चा कहानी पढ़ता या सुनता है तो उस कहानी से वह कई सारी अच्छी जानकारी को जान पाता है। चूकिं कहानी एक बार पढ़ने या सुनने मात्र से बहुत दिनो तक याद रहती है। इसलिए बच्चों को कहानी के माध्यम से पढ़ाना बहुत सरल हो जाता है।

Table of Contents

लालची शेर की कहानी: Short Stories in Hindi for Kids

लालची शेर की कहानी: Short Stories in Hindi for Kids

एल्डोरा नामक जंगल में एक लालची शेर रहता था। एक दिन उसे बहुत तेज भूख लगी थी, इसलिए वह जंगल में शिकार खोजने निकल पड़ा। कुछ दूर जाते ही उसे एक छोटा सा खरगोश दिखाई दिया। तो उसने सोचा कि उसे बहुत तेज भूख लगी है और यह खरगोश तो काफी छोटा है। इससे भूख नहीं मिटेगी। इसलिए उसे छोड़कर आगे निकल गया।

कुछ दूर और आगे जाने पर उसे एक हिरण का बच्चा मिला। जिसे देखकर शेर को फिर वही ख्याल आया की इससे तो उसकी भूख नहीं मिटेगी। इसलिए वह हिरण के बच्चे को छोड़कर, बड़े शिकार की तलाश में आगे निकल गया। चलते-चलते काफी देर हो गई और फिर अब की बार उसे एक बकरी मिली जो कि बड़ी थी लेकिन शरीर से कमजोर थी।

इसलिए शेर न सोचा की इसे भी खाने में कोई खास मजा नहीं आएगा। अतः उसको भी छोड़कर अगले शिकार की तलाश में निकल जाता है।

और इसी तरह करते-करते शाम हो जाती है। और लालची शेर एक अपने लालच के कारण कोई भी शिकार नहीं कर पाता है। इसलिए वह खाली हाथ ही अपने गुफा में वापस लौट आता है। और वह लालच करने की वजह से उस दिन भूखे पेट ही सो जाता है।

Moral of the Story

लालच के कारण ही शेर को भूखे पेट ही सोना पड़ा था। नहीं तो उसे कई शिकार मिले थे। अंतः इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, की लालच का परिणाम अच्छा नहीं होता है। इसलिए हमें लालच नहीं करना चाहिए।

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लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी: Moral Stories in Hindi in Short

लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी: Moral Stories in Hindi in Short

एक समय की बात है वैकुंठ नामक एक गांव में एक लकड़हारा रहता था। वह बहुत ही ईमानदार था। रोजाना वह जंगल में जाता था लकड़ी काटता और शहर में बेचता। जो कुछ पैसे मिलते उससे वह अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। इस तरह से उसका जैसे-तैसे गुजारा हो रहा था।

एक दिन की बात है, वह लकड़हारा हर दिन की तरह जंगल में लकड़ी काटने गया। और वह नदी के किनारे एक पेड़ पर ऊपर चढ़कर लकड़ी काटने लगा। लेकिन लकड़ी काटने के दौरान उसकी कुल्हाड़ी हाथ से छूट कर नदी में गिर गई। वह तुरंत ही नीचे उतरा और नदी से अपनी कुल्हाड़ी निकालने की काफी कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। क्योंकि नदी काफी गहरी थी और पानी का बहाव भी बहुत तेज था।

थक हार कर वह वही पर बैठ कर रोने लगा। क्योंकि उसके पास नई कुल्हाड़ी लेने के लिए एक भी पैसे नहीं थे।

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लकड़हारे को रोता हुआ देखकर नदी के देवता प्रकट हुए और बोले बेटा क्या हुआ तुम ऐसे उदास क्यों हो। तो लकड़हारे ने सारी बात नदी के देवता को बताई। तो नदी के देवता बोले चिंता मत करो मैं अभी तुम्हारी कुल्हाड़ी ढूंढकर लाता हूँ। और नदी में डुबकी लगाई और एक सुनहरी कुल्हाड़ी लेकर बाहर आए। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी कुल्हाड़ी।

लकड़हारे ने सुनहरी कुल्हाड़ी को देखते ही बोला की यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। यह तो किसी धनवान व्यक्ति की कुल्हाड़ी इसे मैं नहीं ले सकता। यह सुनकर नदी के देवता पुनः नदी में डुबकी लगाई और इस बार एक चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकले। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी कुल्हाड़ी। इस कुल्हाड़ी को देखकर फिर से लकड़हारा बोला प्रभु मैं एक गरीब लकड़हारा हूँ। मेरी तो लोहे की कुल्हाड़ी थी। यह भी किसी अमीर व्यक्ति कुल्हाड़ी है।

एक बार फिर से नदी के देवता पानी में डुबकी लगाई और इस बार लोहे की कुल्हाड़ी लेकर प्रकट हुए। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी असली कुल्हाड़ी। लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी देख कर काफी खुश हो गया। और बोला प्रभु यही है मेरी कुल्हाड़ी। लोहे की कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी को भी नदी के देवता ने उस ईमानदार लकड़हारे को उपहार में दे दिया। इस तरह से उसकी ईमानदारी के कारण उसे उसकी कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी भी मिल गई।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी ही सबसे बड़ा धन है। कहानी में लकड़हारे को उसकी ईमानदारी की वजह से उसे उसकी कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी भी प्राप्त हो गई। इसलिए हमें भी ईमानदार व्यक्ति बनना चाहिए।

दो मेंढ़कों की कहानी : Short Animal Stories in Hindi

दो मेंढ़कों की कहानी : Short Animal Stories in Hindi

एक बार दो मेंढक दोस्त सैर पर जा रहे थे। दोनों आपस में बाते करते हुए काफी दूर निकल जाते हैं। रास्ते में एक बड़ा सा गड्ढा था जिसमें जाकर दोनों मेंढक गिर जाते हैं। चूंकि उस गड्ढे के बारे में एक कहानी फैली हुई की जो भी कोई इस गड्ढे में गिर जाता है तो जिंदा नहीं बचता है। तो इस पर एक मेढक बोला कि यह बहुत बड़ा गड्ढा है इसमें जो भी गिरता है वह जिंदा वापस नहीं निकल पाता है। इसलिए अब हम दोनों का अंत निश्चित है। यह बोल कर वह वही आराम से लेट गया और मरने का इंतजार करने लगा।

लेकिन दूसरा मेढक उसकी बात को ना मानते हुए वहाँ से निकलने के लिए कोशिश करने लगा। काफी देर कोशिश करने के बाद वह उस गड्ढे से बाहर निकलने में सफल हो जाता है। और अपने घर चला जाता है। लेकिन उस मेढक की वही पर मृत्यु हो गई। जिसने कोशिश किए बिना पहले ही हार मान ली थी।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी बात पर हमें आंख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। और पहले से ही हार मानने के बजाय हमें अंत तक कोशिश करना चाहिए। क्योंकि कोशिश करने बालो की कभी हार नहीं होती है।

नीले सियार की कहानी: Panchatantra Short Stories

नीले सियार की कहानी: Panchatantra Short Stories

एक जंगल में हाथी, शेर, बाघ, चीता और अन्य सभी जानवर रहते थे। उसी जंगल में एक सियार भी रहता था। वह जंगल पर और सभी जानवरों पर राज करना चाहता था। लेकिन वह बड़े जानवरों से टक्कर नहीं ले सकता था। वह रोजाना प्लान बनाता था और असफल हो जाता था।

एक दिन वह जंगल से निकल कर शहर की ओर चला गया। जैसे ही वह शहर में पहुँचा तो उसके पीछे शहरी कुत्ते पीछे पड़ गए। वह भागते-भागते एक धोबी के घर में घुस गया। धोबी ने कपड़े पर नीला रंग चढ़ाने के लिए टंकी में नीला रंग घोल रखा था। तो उसी बड़े से टंकी में सियार कूद गया और छुप गया। रात भर उसी में छिपा रहा और जब सारे कुत्ते वहाँ से चले गए तो वह चुपके से निकल वापस जंगल आ गया।

सियार को बहुत तेज से प्यास लगी थी तो वह पानी पीने के लिए एक झील में गया। जैसे ही पानी पीने के झुका तो वह डर गया क्योंकि उसका पूरा शरीर नीला हो गया था। कुछ देर सोचने के बाद याद आया कि वह नीले पानी के टंकी में घुसा था जिसके कारण से उसके शरीर Color नीला पड़ गया है।

अब उसे एक तरकीब सूझी और वह जल्दी से जंगल के सभी जानवरों को इकट्ठा कर के एक ऊंचे से पत्थर पर बैठ गया। और सबसे बोला की मैं परमात्मा का दूत हूँ उन्होंने हमें आप सबकी रक्षा करने के लिए यहाँ भेजा। इसलिए सभी मेरी बात ध्यान से सुनो। आज से मैं इस जंगल का राजा हूँ और सभी मेरी बाते मानेंगे और मेरा आदर करेंगे। और जो कोई मेरी बात नहीं मानेगा उसे परमात्मा दण्ड देंगे। इसलिए अब हमारे लिए खाने पीने और ऐसों आराम की व्यवस्था की जाए।

इसकी बात सुनकर सभी डर गए। क्योंकि आज तक किसी ने भी नीले रंग का कोई जानवर नहीं देखा था। इसलिए सभी उसे परमात्मा का दूत मान लेते हैं। यहाँ तक की जंगल के राजा शेर भी उस सियार को अपना राजा मान लेता है। और उसकी हर बात को मानने लगे। उसके लिए खाने पीने की सारी व्यवस्थाएं की जाती है। और इस प्रकार से वह सियार जंगल में शान से ऐस की जिंदगी जीने लगा।

कुछ समय बाद बारिश का मौसम शुरु हो जाता है। और जोर से बारिश होने की बजह से नीले सियार का नीला रंग धुल जाता है। जिससे वह अपने असली रूप में आ जाता है। और सियार की असलियत जानकर शेर ने तुरंत ही उस पर हमला कर दिया और उसे मार डाला।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि झूठ और छल ज्यादा देर तक नहीं चलता है। भले ही थोड़े समय तक खुशियां मिल जाए लेकिन अंत में सच्चाई सामने आ ही जाती है। और उसका फल जरूर भुगतना पड़ता है। इस सियार की तरह।

प्यासे कौए की कहानी: Motivation Story in Hindi

प्यासे कौए की कहानी: Motivation Story in Hindi

गर्मी के मौसम में एक कौआ को बहुत तेज की प्यास लगी। लेकिन दूर-दूर तक कहीं भी पानी नहीं दिखा। तो वह उड़ते-उड़ते एक गाँव में पहुँच गया। वहाँ पर एक घर के आंगन में एक बड़ा सा घड़ा रखा हुआ था। और वहाँ पर कोई भी आदमी नहीं था। कौआ घड़े के पास गया। उस घड़े में थोड़ा सा पानी था लेकिन वहाँ तक उसकी चोंच ही नहीं पहुँच पा रही थी। कौआ काफी प्रयास किया लेकिन वह पानी तक नहीं पहुंच पाया। लेकिन उसने हार नहीं मानी।

कौआ चालाक था उसने एक उपाय सोचा वह आस-पास के कंकड़ पत्थर को अपनी चोंच में पकड़ कर लाता और उस मटके में डाल देता। पुनः जाता और फिर से अपनी चोंच में कंकड़-पत्थर भरकर लाता घड़े में डाल देता और ऐसा करते-करते वह घड़ा कंकड़-पत्थर से भर गया और पानी ऊपर आ गया। इस तरह से कौआ पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लेता है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिली की हमें हार नहीं मानना चाहिए बल्कि कई तरह से प्रयास करते रहना चाहिए। सफलता अवश्य मिलती है।

लालच बुरी बला: Story in Hindi in Short

लालच बुरी बला: Story in Hindi in Short

एक गांव में धनपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। वह खाने के तेल का व्यापार करता था। वह शहर से तेल लाता और पूरे गांव में ले जाकर बेच देता। और कुछ महीनों में ही उसका व्यापार काफी बढ़िया चलने लगा। जिससे उसका मुनाफा भी बढ़ गया। एक दिन उसके मन में लालच जाग गया उसने सोचा की अब तो लोग उससे आसानी से तेल ले लेते हैं। क्यों ना उन लोगों से अधिक मुनाफा कमाया जाए। और इस चक्कर में उसने तेल में मिलावट करना शुरु कर दिया।

अब वह शहर से तेल लाता और उसमें मिलावट करता और पूरे गांव में बेच देता। कुछ दिन तक सब ठीक चल रहा था लेकिन कुछ दिनों बाद गांव के लोग बीमार होने लगें। और देखते ही देखते सभी गांव के लोग बीमार पड़ गए। इलाज के दौरान डॉक्टर ने बताया कि आपके खाने पीने में मिलावट की गई है। जिसकी वजह से आप सभी बीमार हुए हैं।

गांव बालो ने बताया की धनपाल नाम के एक व्यापारी से तेल लेते थे। जिसके तेल का स्वाद कुछ दिनों से खराब हो गया है। शायद वही कुछ मिलावट कर रहा है। सभी गांव बाले इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने तुरंत ही उस तेल व्यापारी को पकड़ लिया और जेल में बंद कर दिया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच नही करना चाहिए। लालच बुरी बला है इसका परिणाम अंतिम में बुरा ही होता है। और हमें इसकी सजा जरूर मिलती है।

मूर्ख गधा की कहानी : Short Stories in Hindi

मूर्ख गधा की कहानी : Short Stories in Hindi

पालमपुर नाम के एक गाँव में एक बूढ़ा व्यापारी रहता था। वह नमक का व्यापार करता था। उसका शरीर कमजोर था इसलिए वह अपने साथ एक गधा लेकर जाता था। और उसके ऊपर नमक की बोरियां लादकर दूसरे गांव में व्यापार करने जाता था। दोनों गांव के बीच में एक नदी पड़ती थी। नदी पर कोई पुल नहीं थी उसमें उतरकर पार करना पड़ता था। एक दिन नदी पार करते समय व्यापारी का गधा नदी में लड़खड़ा कर गिर गया। और नमक की बोरियां पानी में भीग गई। व्यापारी ने उसे उठाया और आगे चल दिया।

क्योंकि सभी बोरियां पानी में भीग चुकी थी तो धीरे-धीरे कुछ नमक घुल कर बह गया। और इस वजह से बोरियां हल्की हो गई थी। इससे गधे को हल्का महसूस होने लगा। अगले दिन फिर से व्यापारी ने गधे के ऊपर नमक की बोरियां लादकर व्यापार करने चल दिया। रास्ते में वही नदी पड़ी, गधे को पिछली बात याद आई उसने सोचा, पानी में बैठने से उसके बोरियों का वजन कम हो जाता है। तो वह पानी में जाते ही फिर से बैठ गया। और फिर से बोरियों का वजन कम हो गया। अब यही प्रक्रिया वह गधा रोज दोहराने लगा जिससे व्यापारी परेशान हो गया।

और पास में रह रहे एक सज्जन व्यक्ति को सारा हाल बताया। उस आदमी ने व्यापारी को एक तरकीब बताई। कहा की एक दिन उस गधे की पीठ पर रुई की बोरियां लाद कर ले जाओ। जैसे ही गधा पानी में बैठेगा रुई में पानी भर जाएगा, जिससे उसका वजन बढ़ जाएगा। और गधा फिर कभी नहीं बैठेगा। व्यापारी ने ऐसा ही किया।

अगले दिन व्यापारी गधे की पीठ पर रुई की बोरियां लाकर चल देता है। जैसे ही वह गधा नदी में बैठता है उसकी सारी रुई से भरी बोरियों में पानी भर गया। अब उन बोरियों का वजन कई गुना अधिक बढ़ गया, जिस कारण से अब वह गधा ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। अब उसे अपनी गलती का एहसास हो गया। और इसके बाद वह गधा कभी भी उस नदी में नहीं बैठा था।

इस कहानी का नैतिक यही है कि कड़ी मेहनत के अलावा सफलता की कोई कुंजी नहीं है। सार्टकट बहुत समय तक नहीं चलता है।

सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी : Good Short Moral Stories in Hindi

सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी : Good Short Moral Stories in Hindi

एक गाँव में एक बहुत गरीब आदमी रहता था। वह बड़ी मुश्किल से  अपने परिवार का पालन पोषण कर पाता था। एक दिन उसके आँगन में सुनहरी मुर्गी कहीं से उड़ती हुई आई और बैठ गई। वह मुर्गी को देखकर बहुत खुश हुआ और उसे खाने के लिए थोड़ा सा दाना डाल दिया। वह मुर्गी अब उसी के घर में रहने लगी।

अगले दिन मुर्गी ने सुनहरे रंग का अंडा दिया। वह अंडा सोने का था जिसे देख कर वह आदमी बहुत प्रसन्न हुआ और उसे लेकर शहर में बेच दिया। और जो पैसे मिले उससे वह अपने परिवार का पालन पोषण करने लगा। इसी प्रकार से हर रोज वह सुनहरी मुर्गी एक सोने का अंडा देती थी। और उसे बेचकर वह गरीब आदमी बहुत अमीर हो गया। अब उसके मन में लालच बढ़ गया उसने सोचा कि जब यह हर दिन एक अंडा देती है तो इसका मतलब इसके पेट में कई सारे सोने के अंडे होंगे। क्यों ना मैं इस सुनहरी मुर्गी को काटकर इसके पेट से सारे सोने के अंडे एक साथ ही निकाल लूँ। और उसने ऐसा ही किया परन्तु, उस मुर्गी के पेट में एक भी सोने का अंडा नहीं था। और अब सुनहरी मुर्गी मर चुकी थी। और वह आदमी अपने लालच की वजह से सोने की अंडा देने वाली मुर्गी को खो दिया।

इस कहानी का मोरल यह है की हमें लालच नहीं करना चाहिए। अत्यधिक लालच हमसे गलत काम करवाती है और इससे हमारा ही नुकसान होता है। आपने देखा कि कैसे इस Story में लालच करने से वह आदमी सोने का अंडा देने वाली सुनहरी मुर्गी अपने ही हाथों से मार दिया। और उसे कुछ भी नहीं मिला।

झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 6

झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 6

बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में लड़का रहता था। वह गाँव के पास ही जंगल में भेड़ चराने जाता था। रोज सुबह अपनी भेड़ो के लेकर जंगल पर चला जाता और शाम होते ही घर वापस आ जाता। इसी प्रकार से वह रोज करता, लेकिन वह बैठे-बैठे भेड़ों को रोज चरता हुआ देख कर ऊब चुका था। एक दिन जब वह भेड़ों को चरता देख रहा था तो उसे कुछ ज्यादा ही बोरियत महसूस होने लगी। वह अपना मनोरंजन करने के लिए वह नई-नई तरकीब सोचने लगा। इतने में उसे एक तरकीब सूझ गई।

वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा “बचाओ-बचाओ भेड़िया आया, भेड़िया आया।”

उसकी यह बाते सुन कर गाँव वाले लाठी-डंडे लेकर मदद के लिए उसकी और दौड़ते हुए पहुंच गए। परन्तु गांव बालो ने देखा की वहाँ पर कोई भी भेड़िया नहीं है और वह लड़का पेट पकड़ कर जोर-जोर से हंस रहा है। ह, ह, ह, मैं तो मजाक कर रहा था। आप लोग कैसे दौड़ते हुए आएं है। गाँव बाले गुस्से से लाल-पीला हो गए और बोले हम लोग अपना काम छोड़कर तुमको बचाने आए हैं। और तुम मजाक कर रहे हो। गाँव ने कहाँ की अब ऐसा मत करना और वहाँ से चले गए।

एक दिन फिर से चरवाहा लड़का जोर-जोर से चिल्लाने लगा “बचाओ-बचाओ भेड़िया आया, भेड़िया आया।”

उसकी बात सुन कर फिर गाँव बाले जंगल पहुँच गए लेकिन उन्होंने देखा की फिर लड़का जोर-जोर से हँसे जा रहा है। इस पर गाँव बाले उसे खूब खरी-खोटी सुनाया और कहाँ की तुम झूठ बोलकर हम गाँव बालो को परेशान करते हो अब हम दुबारा तुम्हें बचाने नहीं आएंगे। और सब वहाँ से लौट आए।

अगले दिन जब लकड़हारा जंगल में अपनी भेड़ो के लेकर चराने गया तो वहां पर सचमुच का भेड़िया आ गया। वह डर गया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा। बचाओ-बचाओ सचमुच का भेड़िया आया, कोई बचाओ भेड़िया आया। गाँव बालों ने उसकी आवाज सुनी और कहा की इसका तो रोज का ही काम है मजाक करना। और किसी ने उसकी आवाज पर ध्यान नहीं दिया।

जब शाम हो गई और वह चरवाहा लड़का घर नहीं आया तो गाँव बाले जंगल की तरफ उसे खोजने गए। उन्होंने देखा की वह लड़का एक पेड़ पर बैठ कर रो रहा है। उसको किसी तरह से नीचे उतारकर सब ने पूछा क्या हुआ तो लड़के ने सारी बात बताई। कहा की यहाँ सचमुच का भेड़िया आया था उसने एक-एक करके हमारी सभी भेड़ो को खा गया।

इस पर गाँव के एक बूढ़े आदमी ने कहाँ की देखो बेटा तुम्हारी झूठ बोलने आदत की वजह से तुम पर कोई भरोसा नहीं किया। इसलिए आज तुम्हारे साथ ऐसा हुआ। लड़के को अपनी गलती का एहसास हो गया और कहाँ की अब वह कभी झूठ नहीं बोलेगा।

इस कहानी से हमें यह सीख मलती है कि झूठे व्यक्ति की बात पर कोई भी भरोसा नहीं करता है चाहे फिर वह सच ही क्यों ना बोल रहा हो। इसलिए हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। आपने देखा कि किस तरह से भेड़ चराने वाला चरवाहा के झूठ बोलने की वजह से उसकी सारी भेड़ का शिकार हो गया।

शेर और चतुर खरगोश की कहानी: Panchtantra ki kahani in Hindi

शेर और चतुर खरगोश की कहानी: Panchtantra ki kahani in Hindi

बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में कई सारे छोटे बड़े जानवर रहा करते थे। और उसी जंगल में एक शेर भी रहता था। जो रोजाना कई जानवरों को मारकर खा जाता था। इसलिए सभी अन्य जानवर उस शेर से बहुत परेशान थे और हमेशा डरते रहते की कभी उनकी मौत हो सकती है। एक दिन सभी जानवरों ने मिलकर एक सभा आयोजित किया और शेर के साथ यह प्रस्ताव रखा की उनमें से हर दिन एक जानवर उसके भोजन के लिए स्वयं आ जाएगा। इससे हम सब निश्चिंत होकर रहेंगे। और आपको भी शिकार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

यह प्रस्ताव शेर को पसंद आया और कहाँ ठीक है। परन्तु एक दिन भी खाली नहीं जाना चाहिए। समय पर भोजन के लिए एक जानवर को भेजना होगा।

सभी अपनी बारी आने पर शेर के सामने चले जाते। एक दिन खरगोश की बारी थी। वह शेर के पास जाने लगा, और जाते सोचने लगा की मरना तो है ही क्यों आराम से चरते खाते चलूं। कुछ दूर आगे जाते-जाते उसे कुआं दिखी तो वह कुआं के पास गया और कुएं के अंदर झांक कर देखना लगा। तब उसे कुएं में उसकी परछाई दिखाई दी जिसे देखकर उसे एक बढ़िया तरकीब सूजी। और वह मजे से शेर के पास जाने लगा।

जब तक खरगोश शेर के पास पहुँचा तो बहुत देर हो चुकी थी। इसलिए शेर भूख के मारे क्रोधित था और छोटे से खरगोश को देखकर उसका क्रोध और भी बढ़ गया। उसने कहा की मेरे लिए इतना छोटा जानवर भेजा है इससे मेरी क्या भूख मिटेगी। लगता है कि अब सभी जानवर को मेरा डर समाप्त हो गया है। परन्तु पहले तुम यह बताओ की तुमने यहाँ आने में इतनी देरी क्यों हुई।

तो खरगोश ने बताया कि मैं जब आ रहा था, तो रास्ते में एक दूसरा शेर मिल गया और मुझे खाने के लिए बोलने लगा। मैंने बताया की मैं अपने शेर राजा के लिए भोजन के लिए जा रहा हूँ मुझे जाने दो। तब उसने कहा की मैं तुम्हारे राजा से नहीं डरता मैं तुम्हें यहाँ से नहीं जाने दूंगा। तब मैं किसी तरह से वहाँ से भाग कर आपके पास आया हूँ।

इतना सुनते ही शेर बोला क्या मेरे इलाके में दूसरा शेर कौन है जिसे अपनी जान प्यारी नहीं है। क्या तुम मुझे उसके पास ले जा सकते हो। खरगोश बोला जी महाराज मैं ले जा सकता हूँ। और खरगोश ने शेर को उसी कुंआ के पास ले गया। और बोला महाराज इसी कुंआ में वह शेर रहता है। शेर ने तुरंत देखा तो उसे कुंए में उसकी ही परछाई दिखी जिसे वह सचमुच का शेर समझ लिया। और जोर से दहाड़ लगाता है, तो कुंए से उसकी आवाज टकराकर वापस आई तो उसे लगा की वह भी दहाड़ रहा है।

फिर क्या शेर गुस्से और तेज दहाड़ते हुए कुएं में छलांग लगा दी। और कुंए में डूब कर मर गया। इसके बाद खरगोश खुशी-खुशी अपने साथियों के पास लौट गया और सारी कथा सुनाई। अब सभी जानवर खरगोश की चतुराई की प्रशंसा की और सब आराम से रहने लगे।

हमें मुसीबत के समय में धैर्य से काम लेना चाहिए। और खरगोश की तरह ही अपने आप को बचाने की कोशिश करना चाहिए। आपने देखा की किस तरह से चतुर खरगोश ने न सिर्फ अपनी जान बचाई बल्कि अपने साथियों की भी शेर से जान बचा ली। दोस्तों धैर्य और सूझ-बूझ से हम बड़ी से बड़ी मुसीबतों से छुटकारा पा सकते है।

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FAQ For Short Story

Q: short story क्यों पढ़ना चाहिए.

Ans: हमें सार्ट और नैतिक कहानियां जरूर पढ़नी चाहिए। क्योंकि इससे हमें कम समय में अच्छी बाते सीखने को मिलती हैं, जो हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण होती है। और हमें आगे बढ़ने में सहायता करती हैं।

Q: कहानियाँ महत्वपूर्ण क्यों होती है?

Ans: कहानियाँ महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि इससे हमें नई-नई उपयोगी, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारियां सीखने को मिलती है।

Q: कहानी सुनाने वाले की विशेषता क्या होनी चाहिए?

Ans: कहानी सुनाना भी एक कला है। कहानी सुनाने के ढंग से कोई कहानी में जान आ जाती है। और कहानी सुनने वाले श्रोता को दिमाग में छप जाती है। यदि कहानी सुनाने वाले को कहानी ठीक से याद नहीं है तो वह अच्छी से अच्छी कहानी को भी चौपट कर सकता है। याद कर लेने से आत्मविश्वास बढ़ता है और कहानी कहने वाला विश्वास के साथ कहानी सुनाता है।

Q: कहानी की भाषा कैसी होनी चाहिए?

Ans: कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा प्रभावशाली होनी चाहिए। उसमें बहुत अधिक कठिन शब्द तथा लंबे वाक्यों के प्रयोग से बचना चाहिए।

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Hello friends मेरा नाम रोहित सोनी (Rohit Soni) है। मैं मध्य प्रदेश के सीधी जिला का रहने वाला हूँ। मैंने Computer Science से ग्रेजुएशन किया है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए मैं पिछले 5 वर्षों से लेखन का कार्य कर रहा हूँ। और अब मैं Hindi Read Duniya और कई अन्य Website का Admin and Author हूँ। Hindi Read Duniya   पर हम उपयोगी , ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में  शेयर करने का प्रयास करते हैं। इस website को बनाने का एक ही मकसद है की लोगों को अपनी हिंदी भाषा में सही और सटीक जानकारी  मिल सके। View Author posts

1 thought on “100+ Moral Stories in Hindi | नैतिक कहानियां हिंदी में”

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Motivational story

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short stories Hindi

200 short stories Hindi with Moral For Kids (2024)

short stories hindi| short stories with moral for kids | बच्चों के लिए कहानियाँ | कहानियों से सीखे और सिखाएं अच्छी बातें। 200 Short Stories | Moral Stories.

हिंदी शॉर्ट स्टोरी में आपका स्वागत है आज हम आपको आपके बचपन की याद दिलाने वाले है क्योंकि आपको हमारा article short stories in hindi  पढ़ कर मज़ा आने वाला है।कहानियां तो सिर्फ बच्चों के लिए होती है लेकिन कभी कभी बड़े बड़े सेमिनार में भी हम कहानियों के माध्यम से समझाते है।

एक टाइम था जब हम अपने घरों में अपने माँ बाप या दादा दादी से रात के वक़्त कहानियाँ सुनते थे वो भी क्या दिन थे लेकिन आजकल हम अपने बच्चों को कहानियाँ नही सुनाते बल्कि उनको मोबाइल दे देते है और youtube पर वे छोटी छोटी कहानियाँ video के माध्यम से देखते है। इससे उनके आंखों की रोशनी पे फर्क पड़ता है। 

इसलिए हम आपके लिए कहानियाँ लेकर आये है जो आप अपने बच्चों को पढ़ कर सुना सके या खुद पढ़ाये। आप कहानियों का प्रिंट आउट निकाल कर पढ़ने के लिए दे सकते है।

Table of Contents

short stories hindi with moral for kids (2022)

बच्चों को short stories बताने के लिए ही मेने ये लेख लिखने का फैसला किया ताकि वह अपने पसंद की short story in hindi पढ़े और इन motivational Inspirational Stories in hindi से कुछ सीखा जाए। ये stories सभी आयवर्ग पढ़े लेकिन खास तौर पर बच्चों के लिए लिखा जा रहा है।

1 . लालची लोमड़ी की कहानी :Short hindi Story with Moral

गर्मियों के दिन थे जंगल मे एक लोमड़ी बहुत भूखी थी और भूख के कारण वह खाने की तलाश में इधर उधर घूम रही थी ,कुछ देर खोजने के बाद उसे एक खरगोश मिला लेकिन लोमड़ी ने उसे खाने के बजाय उसे छोड़ दिया क्योंकि वह बहुत छोटा था और लोमड़ी का इससे कुछ अलाभला नही होने वाला।

फिर कुछ देर खोजने के बाद लोमड़ी को रास्ते मे एक हिरण मिली, हिरण देख उसके मुंह मे पानी आ गया और उसने हिरण को पकड़ने के लिए दौड़ लगा दी अपनी पूरी ताकत और रफ्तार के साथ पीछा किया लेकिन वह हिरण को पकड़ नही सका चूँकि वह पहेले से खाने की तलाश में थक चुकी थी।

जब उसे कुछ खाने को नही मिला तब उसने उसी खरगोश को खाने के लिए सोच जो उसने छोटा समझ कर छोड़ा था। फिर लोमड़ी उसी रास्ते वापस उस खरगोश की तलाश में गयी लेकिन इस बार वहाँ पर ख़रगोश नही था वह जा चुका था। और फिर लोमड़ी को थक हारकर घर वापस लौटना पड़ा कई दिनों तक उसे खान नई मिला।

हमे क्या सीख मिली

इस लालची लोमड़ी से हमे ये सबक मिलता है कि ज्यादा लालच करना कभी भी फलदायक नहीं होता।

2 . शेर और चूहें की कहानी :Short Moral Story for kids in hindi

एक जंगल मे एक शेर और एक चूहा रहा करते थे एक बार की बात है जब जंगल का किंग शेर सो रहा था और चूहे ने शेर पर उछल कूद करना चालू करदिया बस अपनी मज़े के लिए ,इससे शेर की नींद खराब हो गयी और वह उठ गया साथ मे गुस्सा भी हो गया।

शेर जैसे ही चूहे को खाने के लिए उठा तो चूहे ने शेर से विनती की तुम मुजे मत खाओ अगर तुम्हें कभी मदद की जरूरत पड़ेगी तो में तुम्हारी मदद को आऊंगा। ये बात सुनकर शेर हँसने लगा और उसे जाने दिया।

कुछ दिन बाद जंगल मे शिकारी आये उन्हें शिकार करने था शिकारियों ने जाल बिछाए जिसमे शेर फंस गया फ़ी शेर को एक पेड़ से बांध दिया गया ,ऐसे में शेर ने खुद को छुड़ाने के बहुत साहस और कोशिस की लेकिन खुद नही छुड़ा सका। शेर ज़ोर ज़ोर से दहाड़ने लगा।

वहीँ पास में एक एक पत्थर की छोटी सी गुफा में चूहें का घर था शेर की दहाड़ चूहें तक गयी तो चूहें को आभास हुआ कि शेर तकलीफ में है और मुजे फौरन देखना चाहिए।

चूहें के फौरन पहुचने पर उसने शेर को जाल में फंसा देख तुरंत चूहे ने जाल काटना चालू किया और शेर कुछ ही देर में आजाद हो गया। शेर ने चूहें को धन्यवाद दीया और दोनों जांगले में एक दूसरे के साथ चले गए।

इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि हमे अपने से छोटो को कमजोर नही समझना चाहिए न ही उनका मजाक उड़ाना।

3 . एक बूढ़े आदमी की कहानी : Motivational Short Story in hindi

गाँव मे एक बूढ़ा आदमी रहता था उसको दुनिया के सबसे बड़किस्मतों में माना जाता था , सारा गाँव उसके अजीबोग़रीब हरकतों से परेशान था। पूरा गाँव उस बूढ़े से थक चुका था।

क्योंकि वह हमेशा नाराज रहता था ,उदास और शिकायते करता रहता हमेशा खराब मूड में रहता था।

जितना अधिक वह जीवित रहता उतना ही वह दुखी होता और उसके शब्द जहर की तरह कड़वे होते ,लोग उससे बात करने से बचते थे क्योंकि उसका दुर्भाग्य संक्रामक हो गया था।

उससे जो भी मिलता उसका पूरा दिन अशुभ हो जाता , उसके बगल में रहना अस्वाभाविक और अपमानजनक भी था। इतना ज्यादा दुखी होने की वजह से आस पास के लोगो मे दुख की भावना पैदा हो गयी।

लेकिन एक दिन जब वह बूढ़ा आदमी 80 साल का हुआ तो एक अजीब बात हुई ये बात उनलोगों में आग की तरह फैल गयी।

वह बूढ़ा व्यक्ति आज खुश था वह किसी भी चीज़ की शिकायत नहीं कर रहा था। बल्कि वह जिंदगी में पहेली बार मुस्करा रहा था। और यहाँ तक उसका चेहरा भी तरोताज़ा दिखाई दे रहा था।

ये देख कर पूरा गांव उसके घर के सामने इकठ्ठा हो गया और सभी ने बूढ़े आदमी से पूछा की : तुम्हे क्या हुआ है ?

जवाब में बूढ़ा आदमी बोला : कुछ खाश नहीं । अस्सी साल से में खुशी का पीछा कर रहा था और मुझे कभी खुशी नहीं मिली इसकी तलास करना बेकार था । लेकिन अब मेने खुशी के बिना ही जीने का फैसला की इसलिए अब में यही सोच कर खुश हूँ।

4 . लोमड़ी और अंगूर की कहानी : Inspiration Short Story In hindi

एक बार की बात है एक जंगल मे एक लोमड़ी को बहुत ज़ोर से भूख लगी और उसने पूरा जंगल छान मारा लेकिन उसे खाने को कुछ नहीं मिला , उसने खाने की तलाश बहुत मेहनत से की लेकिन फिर भी उसे ऐसा कुछ नही मिल सका कुछ देर बाद उसको आंखों में अंधेरा छाने लगा भूख के कारण उसके कदम लडख़ड़ा गए और वह जंगल मे पड़ के नीचे ही लेट गया।

तभी थोड़ी देर बाद आंखे खोलने के बाद उसको ऊपर पेड़ पर बहुत ही रसभरे अंगूर नजर आए ये देख उसके मुँह में फौरन पानी आ गया और झट से उठा और अंगूर खाने के लिए उसने एक ऊंची छलांग लागई लेकिन वह अंगूर मुँह में नही पकड़ सका।

इस तरह से उसने कई बार कोशिस की हर बार एक छलाँग लगाई लेकिन हर बार उसके मुँह वह अंगूर नही आये। क्योंकि अंगूर ज्यादा ही ऊँचे थे। 

अंत मे लोमड़ी ने फैसला किया कि वह अब और कोसिस नही कर सकती अब उसे घर चले जाना चाहिए जब वह अंगूर को छोड़ कर चला गया तो मन ही मन बुदबुदाया की यकीनन अंगूर खट्टे होंगे। 

5 . तोते की गिनती :akbar birbal short Moral Stories in hindi

एक दिन की बात है , अकबर महाराज ने अपनी सभा मे एक अजीब सा सवाल पूछा,जिससे पूरी सभा के लोग काफी हैरान रह गए । सभी लोग उस सवाल का जवाब जानने की बहुत इछुक थे तभी बीरबल सभा मे दाखिल हुए और पूछा मामला क्या है।

उन्होंने सवाल दोहराया वह सवाल ये है – शहर में कितने तोते है।

बीरबल फौरन मुस्कुराए और अकबर के पास पहुँचे । उन्होंने फिर उत्तर की घोषणा की ; बीरबल का जवाब था – शहर में बीस हजार पाँच सौ तेईस (20523) तोते है ।

सभा और अकबर ये जानना चाहते थे कि ये सवाल का जवाब बीरबल को कैसे पता । तब बीरबल ने उत्तर दिया आपने आदमियों से तोते गिनने के लिए कहें है।

यदि आपके भेजे आदमियों को तोते ज्यादा मिले तो तोते के रिश्तेदार आस पास शहर से मिलने आये होंगे और यदि अगर तोते काम मिलते है तो जरूर अपने शहर से दूसरे शहर अपने रिस्तेदारो से मिलने गए होंगे।

ये जवाब सुनकर राजा को बहुत संतोष मिला और राजा ने बीरबल को माणिक और मोती की जंजीर भेंट की वही उन्होंने बीरबल की बुद्धि की काफी प्रसंशा की।

हमे क्या सीख मिली इस

6 . लालची राजकुमारी की कहानी : Motivational Short Moral Stories in Hindi

एक बार एक शहर मे एक राजकुमारी रहती थी। वह बहुत धनी और सुंदर थी । लेकिन इतनी धनी होने के बाद भी उसकी लालच का कोई अंत नही था उसे सोना ,और कीमती वस्तुएं बहुत ज्यादा पसंद थी।

लेकिन ये बात भी बिल्कुल सच थी कि वह अपनी बेटी को इस दौलत से ज्यादा प्यार करती थी। एक दिन उसे एक Golden fairy (गोल्डन परी) नजर आयी जब वह दौड़ कर पारी के पास गयी तो उसने देखा उसके लंबे सुनहरे बाल उस पेड़ में फाश गए ।

उस औरत ने उस गोल्डन परी की मदद करके आज़ाद किया लेकिन उसकी सुंदरता देख उस राजकुमारी के मन मे लालच आ गया कि मदद के बदले में राजकुमारी से अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकती हूँ।  परी ने उसके मन की बात जान ली।

उस golden fairy (गोल्डन परी ) ने उसकी इच्छा पूछी तब उस लालची राजकुमारी ने कहा कि में “जो कुछ मैं छूऊं वह सब सोना हो जाए।” परी ने उसकी ये इच्छा पूरी करदी।

राजकुमारी ने अपने घर के बाहर बने भाग को सोने में बदल दिया अब उसका पूरा बाग ,फूल,फवारे, सब सोने के हो गए इस हकीकत को देख वह  बहुत खुश हो गयी अब वह हर जगह हाथ लगते हुए महल में वापस जाने लगी और खुशी से देख कर पागल हो गयी 

तभी उसके सामने उसकी खूबसूरत लड़की आ गयी उसने खुसी की वजह से अपनी लड़की को हाथों से गले लगा लिया लेकिन कुछ ही देर में उसकी लड़की एक सोने की मूर्ति बन चुकी थी। ये देख कर उसको परी का वरदान याद आया और उसको अपनी सबसे बड़ी गलती का भी एहसास हुआ।

वह राजकुमारी काफी ज़ोर से रोने लगी और उस परी को खोजने लगी लेकिन वो परी कही नजर नई आयी। उसका लालच इतना ज्यादा बढ़ चुका था इस बात का एहसास उसे अपनी बेटी को देख कर हुआ।

7 . मूर्ख गधा की कहानी : Simple Short Stories in Hindi

एक गाँव मे नमक बेचने वाला रोज शहर अपने गधे पर नमक बेचने जाता था।वह  नमक के भारी बारे गधे पर लाद देता और गधा उसको शहर ले जाने के लिए नदी पार करता था।

एक बार नमक बेचने वाला गधे पर नमक लाद कर नदी पार कर रहा था तबी गधे का पैर लडख़ड़ा जाता है और गधा नदी में गिर जाता है , अब नमक की सारी बोरी गीली हो चुकी थी जिसमे से काफी नमक पानी मे ही घुल चुका । गधे का वजन अब काफी हल्का हो चुका था ।

अगले दिन गधा नदी पार करते वक़्त फिर गिर जाता है और नमक घुल जाता है वजन हल्का हो जाता है । ऐसा ही गधे ने लगातार 7 दिन तक किया अब गधा रोज इस वजह से खुश था। लेकिन अब गधे के मालिक को उसकी चाल समझ आ चुकी थी तभी उसने गधे को सबक सिखाने की सोच।

इस बार उस गधे पर कॉटन रुई से भरे बोरे लादे गए जोकि बहुत हल्के थे।

गधे को रास्ते मे नदी मिल गयी उसने अपनी वही चाल फिर चली ,लेकिन इस बार जब वह पानी से उठा तो उसका वजन काफी भारी हो चुका था और गधे का सिर चकरा गया कि इस बार हल्का क्यों नही हुआ। गधे ने हल्के वजन को भी हल्का करने के चक्कर मे उसे पानी मे गिला करके सारी रुई भारी करली थी।अब गधे को सबक मिल चुका था उसदिन के बाद गधे ने कोई चाल नही चली।

हमने क्या सीखा

इस कहानी से हमे यही सीख मिलती है कि हर बार भाग्य साथ नही देता बल्कि हमे भी अपनी बुद्धि लगानी होती है।  

8 . जादुई बॉल की कहानी :short stories in hindi for class 1

बहुत दिनों की बात है एक बार एक छोटा सा लड़का श्याम अपने बग़ीचे में खेल रहा था। तभी उसे अपने बगीचे के बरगद के पेड़ के पीछे एक क्रिस्टल बॉल मिली तभी बरगद के पेड़ ने कहा ये एक जादुई क्रिस्टल बॉल है जो तमारी इच्छाओं को पूरा करती है।

यह सुनकर वह बहुत खुश हुआ और उसने काफी देर तक अपनी इच्छाओं पर विचार किया लेकिन उसके दिमाग मे ऐसी कोई चीज नही आई जिसे वह तुरंत माँग सके तो उसने उस क्रिस्टल बॉल को अपने बैग में रख लिया जब तक उसकी इच्छा उसे नहीं पता चलती तबतक वो बॉल को बेग में रखेगा।

ऐसे ही सोचते सोचते उसके काफी दिन निकल गए लेकिन उसको नहीं समझ आ रहा था कि वह क्या मांगे। एक दिन उसका दोस्त राम उसे उस क्रिस्टल बॉल के साथ देख लेता है फिर वह बॉल उसके बैग से निकाल लेता है और गाँव मे सभी को दिखाता है।

गाँव के सभी लोग उस बॉल से अपने लिए धन ,महल ,और सोना मांगते है। लेकिन उन सभी लोगो को बस एक इच्छा ही पूरा करने का मौका मिला, आखिर अंत: मे सबको और इच्छाओं को पूरा करने का अफ़सोस रहे गया उन्हें जो चाहिए था वो नई मिला।

वह सभी बहुत दुखी हुए फिर सबने श्याम से मदद मांगने की सोच और श्याम ने उनकी हालत देख कर बॉल से एक इच्छा माँगी की सबकुछ फिर पहेले जैसा हो जाये।

बॉल ने गाँव वालों के महल ,धन,सोना सब गायब करदिया और सबको पहेले जैसा संतुष्ट बना दिया ये सब देख लोगो ने श्याम को धन्यवाद बोला और उसकी सूचभुझ की तारीफ भी की।

इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि बहुत ज्यादा दौलत हमे खुशी नहीं दे सकती । 

9 . बातूनी कछुवे की कहानी : Short Story in hindi for Kids class 2

किसी गाँव के एक तालाब में एक कछुआ और दो हंस रहते थे ,कछुआ और हंस में बहुत गहरी दोस्ती थी ,कछुआ बहुत बातूनी था वह दिन भर हंस से बाते करता रहता था और शाम होते अपने अपने घर को चले जाते।

इस बार बारिश के मौसम में बारिश नहीं हुई और तालाब सूखने लगा अब कछुआ को ये चिंता हो गयी कि गर्मी आते आते ये तालाब और सूख जाएगा तबी उसने दोनों हंस से कहा कि तुम लोग आस पास जाकर कोई भरा तालाब की खोज करो ताकि हम सब वहाँ जाकर रहे सके। 

हंस ने एक पास के गाँव मे एक पानी से भरा तालाब देखा लिया था फिर उसने ये बात कछुआ को बतायी कछुआ ने हंस से कहा कि मुझे भी वहाँ ले चलो। हंस ने कहा ठीक है लेकिन हम तमे एक लकड़ी पर लटका कर जाएंगे और तमे हमसे वादा करना होगा कि तुम अपना मुँह पूरे रास्ते बंद ही रखोगे अगर तमने बोलने की कोसिस की तो टीम गिर जाओगे। कछुआ ने वादा किया ।

जब दोनों हंस लकड़ी के एक एक कोने को अपनी चोंच से दबा कर बीच मे कछुआ ने अपने मुँह से लकड़ी पकड़ी हुई थी अब वह उड़ने के लिए रेडी थे ,वे उड़ कर आसमान से जाने लगे ,कछुआ उड़ते वक़्त उनसे बात करना चाह रहा था लेकिन उसको हंस का वादा याद आया तभी बीच मे एक गाँव आया और गाँव के बच्चे बूढ़े सभी कछुए को देख चिल्लाने लगे कि देखो कछुआ आसमान में उड़ रहा है।

कछुआ को भी ये बात सुनाई देने लगी और वह नीचे देखने लगा फिर कछुआ से रह नही गया उसने हंस से बात करने के लिए अपना मुँह खोल वह कुछ कहने के लिए जैसे ही मुँह खोल तो उसके मुँह से लकड़ी छूट गयी और वह उसी गाँव मे जाकर गिर गया ।

ज्यादा ऊँचाई की वजह से कछुआ को बहुत चोट आई और वह कुछ देर बाद मार गया ।

इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि अगर बुद्धिमान व्यक्ति भी अपनी ज़बान और चंचलता पर काबू नही रख पाया तो वह भी मूर्ख कछुआ की तरह आसमान से गिर जाएगा।

10. 10 किलोमीटर दौड़ने वाले बच्चे की कहानी :Short Motivational Hindi Story .

उत्तराखंड के एक गाँव मे एक मेहरा परिवार रहता था मेहरा जी के दो पुत्र थे एक प्रदीप मेहरा और दूसरा संदीप मेहरा प्रदीप का सपना आर्मी में जाने का था और संदीप का एक अच्छी नौकरी करने का था। 

एक दिन मेहरा जी का एक्सीडेंट हो जाता है उस एक्सीडेंट में मेहरा जी की मौत हो जाती है परिवार शोक में डूब जाता है कुछ दिन बाद माँ को गंभीर बीमारी लग जाती है तब दोनों लोग माँ को दादी को सौप कर दिल्ली काम करने चले जाते है।

दिल्ली में उनका एक दोस्त प्रदीप को बर्गर की शोरूम में काम दिल देता है 10 हजार महीने की सैलरी पर और बड़ा भाई वॉचमैन की नौकरी करता है ,बड़े भाई की नौकरी रात 11 से सुबह 7 बजे तक और छोटे भाई की सुबह 11 से 10 बजे तक थी इसलिए छोटा भाई सुबह शाम खाना बनानें का फैसला करता है ।

कई महीनों तक ऐसा चलता रहा और एक दिन प्रदीप मेहरा को अपना सपना याद आया उसने अपने फ़ौज में जाने के सपने को पूरा करने के लिए जो दौड़ शुरू की थी वह अब शहर आकर छूट गयी थी तब उसने एक आईडिया निकाला कि जब वह रात में काम से बस से लौटने की बाजए वह दौड़ कर घर तक आएगा।

प्रदीप मेहरा ने रोज रात में जॉब के बाद 10 किलोमीटर तक अपने घर का सफर तय करता था फिर खुद को साहस दिलाता की वह ये काम कर सकता है वह एक दिन फ़ौज में जरूर जाएगा।

एक दिन रात में प्रदीप अपने घर दौड़ कर जा रहा था तभी एक कार वाले ने उसे देखकर उससे बात की दौड़ते हुए उसका वीडियो भी बनाया और उसके बारे में जानना चाहा प्रदीप ने दौड़ते हुए बात की और उसको दौड़ने का कारण बताया ,तभी कार वाले ने उसे खाने और कार में छोड़ने का आफर भी दिया लेकिन उसने कहा वह घर जाकर खान बनाएगा वार्ना उसका बड़ा भाई भूखा रहे जाएगा । फिर कार वाले ने अपनी कार धीमी रख ली और प्रदीप मेहरा अपने घर चला गया।

कुछ दिन बाद प्रदीप मेहरा को पता चला कि वह इंटरनेट पर बहुत मशहूर हो गया उसकी वजह वह आदमी था जिसने उससे उस रात बात की और उसका वीडियो बनाया था । फिर कुछ दिन बाद एक रिटायर फौजी प्रदीप मेहरा के घर पर आए और उसके जज़्बे को देख कर उसको फौज के लिए ट्रेनिंग और उसकी माँ के इलाज के लिए पैसे तथा उसका ख़र्च भी उठाने को कहा ये सुनकर प्रदीप मेहरा बहुत खुश हुआ।

इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि हमे हिम्मत नही हरनी चाहिए बस कड़ी मेहनत और अपने लक्ष्य को पाने का साहस करना चाहिए ,मंजिल खुद ब खुद मिल जाएगी।

11. लकड़हारा और सोने की कुल्हाड़ी की कहानी : Moral Stories in Hindi in Short

एक समय की बात है जंगल के पास एक लकड़हारा रहता था वह जंगल की लकड़ी काट कर अपना जीवन गुजार करता था।एक दिन वह पेड़ पर बैठ लकड़ी काट रहा था तभी उसके हाथ से उसकी कुल्हाड़ी छूट कर नदी में गिर गयी।

उस नदी का बाहों इतना तेज था और साथ ही वह गहरी नदी थी उसने आस पास हाथ डालकर कुल्हाड़ी खोजी लेकिन उसे नही मिली उसने बहुत कोसिस की लेकिन कुल्हाड़ी कही नजर नहीं आयी फिर वह वहाँ बेठ कर रोने लगा उसके रोने की आवाज सुनकर पानी से एक जलपरी निकल आयी और उस लकड़हारे से पूछ क्यों रो रहे हो।

लकड़हारा जलपरी को देख आश्चर्य रहे गया लेकिन उसने अपनी सारी बात उस परी को बतायी तब परी ने उसको एक चांदी की कुल्हाड़ी पानी से निकाल कर दी तो लकड़हारे ने कहा ये उसकी कुल्हाड़ी नहीं है। परी ने दुबारा पानी से एक कुल्हाड़ी दी जो अब सोने की थी लकड़हारे ने फिर कहा ये भी उसकी कुल्हाड़ी नहीं है।

अबकी बार परी ने लकड़हारे को उसकी लोहे की कुल्हाड़ी खोज के दी तब लकड़हारे ने मुस्कुराते हुए कहा ये मेरी है । उसकी इस ईमानदारी को देख कर परी ने उसको चांदी और सोने की कुल्हाड़ी उपहार में भेंट की।

इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि ईमानदारी दुनिया की सबसे अच्छी नीति है और ईमानदारी से बहुत अनमोल चीज कोई नही।

12. दो मेंढकों की कहानी : Short Story Animals in hindi

एक बार की बात है जब बहुत से गाँव मे पानी का अकाल पड़ गया सभी जानवर पानी की तलाश में इधर उधर भटकने लगे। तभी एक मेंढकों का दल भी पानी की तलाश में भटक रहा था। तभी अचानक दल में से दो मेढ़क एक गहरे गड्ढे में गिर गए।

दल के सभी मेढ़क उन दोनों को गड्ढे में देख कर चिंतित थे ,गड्ढा कितना गहरा था ये देख कर मेढकों ने अपने दोनों दोस्तो से कहा की गहरे गड्ढे से बचने का कोई रास्ता नहीं।और कोशिस करने का भी कोई मतलब नहीं।

सभी मेढ़क उनदोनों को हतोत्साहित करते रहे क्योंकि वह दोनों मेढ़क गड्ढे से बाहर निकलने के लिए लगातार कूदने की कोशिश कर रहे थे।वे दोनों जितनी भी कोशिस करते लेकिन सफल नहीं हो पाते।

जल्द ही दोनों मेढ़क में से एक ने गड्ढे के बाहर खड़े मेढकों की बातों पर विश्वास करना चालू करदिया – की वह कभी गहरे गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाएंगे। अंत मे थक हार कर उसकी मृत्यु हो गयी ।

लेकिन उसी गड्ढे का दूसरा मेढ़क अपनी कोशिस जारी रखे था उसने अंत इतनी ऊँची छलांग लगाई की वह गड्ढे से बाहर निकल आया ,ऊपर खड़े सारे मेढ़क देख कर चौंक गए और उस पर आश्चर्य किया कि उसने ये कैसे किया।

अंतर इतना है कि दूसरा वाला मेढ़क बहेरा था उसने बाहर खड़े मेढकों की बाते नही सुनी थी यानी किसी ने भी उससे ये नही कहा कि तू नही निकल सकता ,बहरे मेढ़क को कूदता देख उसे ये लगा कि लोग मेरा इंतिजार कर रहे और मुजे बाहर निकलने के लिए उत्साहित कर रहे । इस विशवास के साथ उसने अपनी हिम्मत जारी रखी और एक ऊंची छलांग लगा दी।

हमने क्या सीख 

इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है की दूसरों की राय आपको तभी प्रभावित करेगी जब आप उसपर विश्वास करेंगे,बेहतर इसी में है कि आप खुद पर ज्यादा विश्वास कर ,यक़ीनन सफलता आपके कदम चूमेगी।

13. चींटी और कबूतर की कहानी : Short Moral Stories In Ant & Pigeon in hindi

गर्मियों के दिन थे और एक चींटी पानी की तलाश में इधर उधर घूम रही थी ,कुछ देर घूमने के बाद उसने डोर एक नदी देखी ,नदी देख वह बहुत खुश हो गयी फिर वह पानी पीने के लिए एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ गई ,लेकिम वह फिसल कर नदी में गिर गयी।

वह जब डूब रही थी तो उसे एक कबूतर ने देख लिया । कबूतर पास के एक पेड़ पर ही बैठा था उसने चींटी की फौरन मदद की ,चींटी को डूबता देख कबूतर ने झट से एक पत्ता पानी मे गिरा दिया। इस तरह से चींटी की जान बच गयी और वह कबूतर की एहसान मंद हो गयी।

इस घटना के बाद चींटी और कबूतर दोनों अच्छे दोस्त बन गए।और उनके दिन खुशी से बीतने लगे लेकिन एक दिन जंगल मे एक शिकारी आया। उसने पेड़ पर बैठे उसी खूबसूरत कबूतर को देखा और फिर अपनी बंदूक से कबूतर पर निशाना साधने लगा।

लेकिन वही पास में वह चींटी भी मजूद थी वह ये सब देख रही थी चींटी फौरन शिकारी के पास गई और जोर से उसके पैर पे काट जिससे वह दर्द से चिल्लाने लगा और बंदूक भी गिरा दी। आवाज सुनकर कबूतर ने शिकारी को देख लिया ।

कबूतर को एहसास हुआ कि उसके साथ क्या हो सकता था और फिर कबूतर फौरन वह से उड़ गया । जब शिकारी चला गया तो कबूतर ने चींटी के पास आकर उसका धन्यवाद दिया। इस तरह दोनों एक दूसरे के काम आए।

इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि नेक काम कभी बेकार नही जाता ,अच्छे काम करते रहिए वह पलट कर आपके लिए अच्छे साबित होंगे।

14 .मिटटी का फ्रिज : Short Stories new ideas in hindi

एक गांव में एक कुम्हार रहता था जो मिटटी के मटके बनाया करता था उस कुम्हार का एक बेटा सुरेश भी था जो अपने पिता के साथ मटके बनता था , सुरेश की माँ इस कुम्हार के काम से खुश नहीं थी वह सुरेश को अक्सर शहर में काम करने का दबाव डालती लेकिन सुरेश ये बोलता की उसकी ख़ुशी इसी काम में है। 

सुरेश की माँ चिंतित थी क्यूंकि जल्द ही सुरेश की शादी होने वाली थी और कुछ दिन बाद सुरेश की शादी के लिए घर सजा दिया गया गाँव वालो की उपस्थि में शादी हो गयी आभा नाम की लड़की से विवहा संपन्न हुआ। 

एक दिन सुरेश की माँ ने आभा से भी यही बात कही की उसका बेटा उसकी बात नहीं मानता वह शहर नहीं जाता काम के लिए उसने आभा को कहने को बोला , अगले दिन आभा सुरेश के पास गयी और उसने शहर जाने की बात कही लेकिन सुरेश मिटटी के मटके बनाने में खुसी जाहिर करते हुए माना करदिया।

इस लगन को देख आभा समझ चुकी थी की उनके पति को ये काम बहुत पसंद है तभी आभा ने सुरेश के हाथो से बनाये एक लम्बे सुराई वाले मटके को देख उसने तारीफ की और कहा अगर आप इसे मेले में बेचेंगे तो बहुत ज्यादा पैसे मिलेंगे ये सुनकर सुरेश उत्साहित हुआ उसने और मटके बनाये और उस पर चित्रकारी करके उसको रंग दिया। 

फिर वह मेले ले जाकर मटके बेचने के लिए खड़ा हुआ उसके सारे मटके शाम तक बिकचुके थे उसने घर आकर अपने पिता को बहुत ज्यादा पैसे दिए उसी रात सुरेश ने आभा से पूछा की अगर हम मिटटी की फ्रिज बनाये यानी मिटटी की अलमारी जिसमे सब्ज़ी राखी जा सके जो बिना बिजली के चलती हो ,आभा ने बोलै क्या आप ऐसी अलमारी बना सकते फिर हम और जयदा पैसे कमा सकते है। 

अगले दिन सुरेश ने 4 मिटटी की अलमारी बनायीं और मेले में ले जाकर बेचना शुरू किया लोगो ने इस किस्म की अलमारी पहेली बार देखि उसकी सारी अलमारी बिक गयी एक रिपोर्टर ने उस अलमारी का फोटो खींच केर न्यूज़ में छापा अब सुरेश को अलमारी के लिए आर्डर आने लगे लोग उसके घर जाकर उससे अलमारी खरीदना चाहते थे। ये सब माँ को देख अपनी गलती का एहसास हुवा और अपनी बहु आभा को धन्यवाद दिया। 

हमने क्या सीखा 

इस कहानी से हमे ये सबक मिलता है की हमे अपने काम में फोकस करना चाहिए और हमे किसी के काम को और उत्साहित करना चाहिए ,नए नए आईडिया को भी काम में लाना चाहिए। 

15. जादूई टोकरी की कहानी

एक बार की बात है, जगदीश नाम का एक युवा लड़का अपने माता-पिता के साथ एक छोटे से गाँव में रहता था। जगदीश अपने शरारती स्वभाव के लिए जाना जाता था और हमेशा मुसीबत में पड़ने के तरीके ढूंढता था।  एक दिन, जंगल में खेलते समय, वह एक जादुई टोकरी पर ठोकर खा गया।  उस टोकरी के बारे में जाने के लिए जिज्ञासु होकर , उसने उस पर चढ़ने का फैसला किया, और उसके आश्चर्य के लिए, टोकरी उसे बादलों में एक विशाल महल तक ले गया।

महल में, जगदीश का सामना एक विशालकाय व्यक्ति से हुआ जो सोने और कीमती रत्नों के खजाने की रखवाली कर रहा था। विशाल व्यक्ति ने दयालु होने के नाते, एक शर्त पर अपने खजाने को जगदीश के साथ साझा करने की पेशकश की – कि वह खजाने को कभी चोरी नहीं करेगा।  जगदीश बहुत खुश हुआ और उसने ये शर्त मान ली।

हालाँकि, लालच जगदीश पर हावी हो गया, और वह कुछ सोना चुराने के प्रलोभन का विरोध नहीं कर सका।  विशाल व्यक्ति ने उसे इस हरकत में पकड़ लिया और आग बबूला हो गया।  उसने जगदीश का पीछा किया, और अराजकता में, टोकरी नष्ट हो गया, और विशाल व्यक्ति टोकरी नष्ट होने की वजह से गिर गया। और अब जगदीश घर वापसी नही जा सकता था ।

अपने कार्यों के लिए दोषी महसूस करते हुए, जगदीश ने चोरी किए गए खजाने को महल को वापस कर दिया और वादा किया कि वह लालच को फिर कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने देगा।

 तब से, जगदीश एक बदला हुआ व्यक्ति बन गया और उसकी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के लिए उसको उस खजाने वाले महल का राजा बना दिया गया ।  उसने सीखा कि अपनी बात रखना और लालच के प्रलोभन का विरोध करना महत्वपूर्ण है।

विशाल व्यक्ति ने कुछ महीनों बाद उसे एक टोकरी बना कर दी जिसके जरिये वह अपने गाँव वापस आ सका और साथ मे खजाना भी दिया । जगदीश ने वह खजाना पूरे गाँव मे बाटा 

इस कहानी से आपने क्या सीख

कहानी का नैतिक: ईमानदारी और सत्यनिष्ठा ऐसे गुण हैं जिनका हर समय पालन किया जाना चाहिए।  लालच क्षणिक सुख दे सकता है, लेकिन अंत में यह विनाश की ओर ले जात

16. चाँद की यात्रा ( Moon Travel)

 यहाँ आपके लिए एक छोटी जर्मन कहानी है:

एक बार टॉम नाम का एक छोटा लड़का था जो रोमांच का सपना देखता था।  एक रात उसने एक विशेष सपना देखा – उसने चाँद की यात्रा का सपना देखा। चांद के बारे में किताबों में पढ़ी और फिल्मों में देखी गई कहानियों से टॉम मुग्ध हुए और उन्होंने फैसला किया कि वह वास्तव में वहां की यात्रा करना चाहते हैं।

बहुत जोश और रचनात्मकता के साथ, टॉम ने चाँद पर अपनी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी।  उसने अपने दोस्तों की मदद से एक छोटा रॉकेट बनाया और उसे चमकीले रंगों में रंगा। फिर उन्होंने अपनी यात्रा की तैयारी के लिए चंद्रमा के बारे में जानकारी खोजी, नक्शों और तस्वीरों का अध्ययन किया।

बहुत लंबे समय के बाद एक दिन यह आखिरकार हुआ। टॉम अपने रॉकेट में चढ़ गए और आकाश में लॉन्च हो गए। यह कई चुनौतियों के साथ एक साहसिक यात्रा थी, लेकिन टॉम ने हार नहीं मानी।  उन्होंने तारों के माध्यम से उड़ान भरी और ग्रैविटी का अनुभव किया। उसने चाँद को करीब से देखा और उसकी सुंदरता से अभिभूत हो गया।

जब टॉम अंत में चंद्रमा पर उतरा, तो वह लुभावनी चंद्र परिदृश्य पर मोहित हो गया।  वह सैर के लिए गया, चाँद की चट्टानों को इकट्ठा किया और यहाँ तक कि अजीब पौधों की खोज की जो केवल चाँद पर मौजूद हैं।  उन्होंने चंद्रमा पर सूर्योदय और सूर्यास्त देखा और रहस्यमय दृश्यों से मंत्रमुग्ध हो गए।

टॉम कई दिनों तक चाँद पर रहे और उनके भुलाया न जसकने वाला रोमांच थे।  आखिरकार उन्होंने फैसला किया कि यह पृथ्वी पर लौटने का समय है। वह अपने रॉकेट में वापस आ गया और वापस पृथ्वी पर उड़ान भरी ।

 जब वह सुरक्षित रूप से घर वापस आया, तो परिवार और दोस्तों ने उसका उत्साहपूर्वक स्वागत किया। टॉम ने उन्हें चाँद पर अपने अनुभवों और उन सभी अद्भुत चीजों के बारे में बताया जो उन्होंने देखी और अनुभव की थीं।

 उस दिन से, टॉम को उनकी साहस और कल्पना की भावना के लिए प्रशंसा मिली। वह खुश था कि उसने चाँद पर जाने के अपने सपने को साकार कर लिया है और उसका चंद्र साहसिक कार्य हमेशा उसके दिल में एक क़ीमती स्मृति बना रहेगा।

इस कहानी से क्या सीख मिलती है

और इसलिए टॉम की चंद्रमा की अविश्वसनीय यात्रा की कहानी समाप्त हो गई, यह दिखाते हुए कि सपने सच हो सकते हैं यदि आप उन पर विश्वास करते हैं और उनके लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

17. खोया हुआ बटुवा ( The Lost Wallet)

एक बार की बात है, एक हलचल भरे मुस्लिम बाजार में अली नाम का एक लड़का स्कूल के बाद घर जा रहा था।  जब वह एक व्यस्त सड़क से गुजर रहा था, उसने जमीन पर एक छोटा सा बटुआ पड़ा देखा।  उसने उसे उठाया और खोला तो उसमें काफी रकम और कुछ पहचान पत्र मिले।

अली जानता था कि बटुआ किसी का है और उसे उसके सही मालिक को लौटाने की जिम्मेदारी का एहसास हुआ।  उन्होंने इस्लाम की उन शिक्षाओं को याद किया जो ईमानदारी और सत्यनिष्ठा पर जोर देती हैं।  एक पल की हिचकिचाहट के बिना, अली ने मालिक को खोजने और बटुआ वापस करने का फैसला किया।

उसने इधर-उधर देखा, लेकिन कोई ऐसा नहीं मिला, जो खोया हुआ बटुआ ढूंढ रहा हो।  अली ने स्थानीय मस्जिद में जाकर इमाम से मदद मांगने का फैसला किया।  वह मस्जिद में गया और इमाम को स्थिति के बारे में बताया, जिसने अली की ईमानदारी के लिए उसकी सराहना की और मालिक का पता लगाने में उसकी मदद करने के लिए तैयार हो गया।

इमाम और अली ने बटुए में पहचान पत्रों की सावधानीपूर्वक जांच की और एक फोन नंबर पाया। उन्होंने नंबर पर कॉल किया और Mr. Ahmad नाम के एक व्यक्ति ने फोन उठाया।  अली ने समझाया कि उसे Mr. अहमद का बटुआ मिल गया है और वह उसे वापस करना चाहता है।

अहमद बहुत खुश और बेहद आभारी थे।  उन्होंने समझाया कि उन्हें अभी एहसास हुआ था कि उनका बटुआ खो गया था और वह पैसे और महत्वपूर्ण कार्डों के बारे में चिंतित थे।  उसने बटुआ लेने के लिए अली से मस्जिद में मिलने की व्यवस्था की।

 जब अहमद मस्जिद पहुंचे, तो अली जैसे युवा लड़के को इतनी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा दिखाते हुए देखकर वे चकित रह गए।  उसने अली को बहुत धन्यवाद दिया और उसे उसके अच्छे काम के लिए इनाम देने की पेशकश की।  हालांकि, अली ने यह कहते हुए विनम्रतापूर्वक इनाम को अस्वीकार कर दिया कि वह केवल इस्लाम की शिक्षाओं का पालन कर रहा था और जो सही था वह कर रहा था।

अहमद को गहरा स्पर्श हुआ और उन्होंने आभार व्यक्त करने पर जोर दिया।  उसने अली को अपने घर बुलाया और उसे अपने परिवार से मिलवाया।  वे सभी अली की सत्यनिष्ठा और ईमानदारी की प्रशंसा करते थे और अली को अपने कार्यों पर गर्व महसूस होता था।

 उस दिन से, अली और मिस्टर अहमद अच्छे दोस्त बन गए, और मिस्टर अहमद अली के गुरु बन गए, जिन्होंने अली को उनकी पढ़ाई और करियर में मार्गदर्शन दिया।  अली के ईमानदारी के कार्य ने उसे न केवल सही काम करने का आनंद दिया बल्कि आजीवन आशीर्वाद और मित्रता भी प्रदान की।

अली की ईमानदारी और ईमानदारी की कहानी समुदाय में फैल गई और वह दूसरों के लिए एक आदर्श बन गया।  उन्होंने इस्लाम की शिक्षाओं का पालन करना जारी रखा, हमेशा अपने कार्यों में ईमानदार और ईमानदार होने का प्रयास किया।

अली के खोए हुए बटुए की कहानी और उसे उसके असली मालिक को लौटाने का उसका निर्णय समुदाय के लिए एक मूल्यवान सबक बन गया, जिसमें ईमानदारी, अखंडता और दैनिक जीवन में इस्लामी शिक्षाओं का पालन करने पर जोर दिया गया।  यह सभी के लिए एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि एक मुसलमान होने का सही सार महान मूल्यों को धारण करना और ईमानदारी और धार्मिकता के साथ आचरण करना

एक मुर्गा और लोमड़ी। 

एक बार एक लोमड़ी जंगल में घूम रही थी। उसे भूख लगी थी और उसने खाने की तलाश में जंगल में घूमना शुरू कर दिया। उसने जंगल में एक मुर्गा देखा, जो एक अंडा दे रहा था। लोमड़ी ने सोचा कि वह मुर्गा खा जाएगी और अंडा भी मिल जाएगा। लेकिन उसने सोचा कि अगली बार क्या होगा जब वह फिर भूख लगेगी। वह अंडा छोड़ दिया और चल दी।

उसी दिन, लोमड़ी ने एक और मुर्गा देखा जो चोटी से गिर गया था। वह बहुत चोटील हो गया था और उसे ठंड भी लग रही थी। लोमड़ी ने सोचा कि वह मुर्गा खा जाएगी। लेकिन इस बार उसने सोचा कि यदि वह उस मुर्गे को थोड़ा घर ले जाती है और उसकी देखभाल करती है, तो वह बाद में बदले में शायद कुछ मदद पा सकती है। उसने मुर्गे को घर ले जाकर उसे दूध दिया और उसकी देखभाल की। धीरे-धीरे मुर्गा ठीक हो गया और उसने उसे आजीविका के लिए आवश्यक अनुसंधान करना सिखाया। 

कुछ समय बाद, उस लोमड़ी को एक बार फिर भूख लगी और वह फिर से जंगल में घूमने लगी। इस बार उसे अपनी मदद करने के लिए उस मुर्गे की याद आयी। वह उस मुर्गे को ढूंढने लगी और उसे ढूंढते-ढूंढते वह एक ख़तरनाक शेर के सामने आ गई। लोमड़ी बहुत घबराई थी, लेकिन वह याद रखती थी कि वह अपने कर्तव्य का पालन करना चाहती थी। 

वह शेर के सामने खड़ी हो गई और शेर के आगे अपने आप को बचाने के लिए लड़ने की जगह, उसने शेर को एक प्रश्न पूछा। उसने पूछा, “आपको यदि एक मुर्गा और एक लोमड़ी दोनों के बीच चुनना होता है, तो आप क्या चुनेंगे?” शेर ने बड़ी सोच समझकर उत्तर दिया, “मैं एक मुर्गा चुनूंगा, क्योंकि उसका शिकार मेरे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण होगा।” लोमड़ी ने शेर को धन्यवाद कहा और चली गई। यह उसे दिखाई दिया कि अपने कर्तव्य का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है, भले ही वह कितनी भी मुश्किल हो। 

लोमड़ी ने उस मुर्गे को ढूंढ लिया और उसने उसे बताया कि उसकी मदद से उसने अपना कर्तव्य पूरा कर लिया है। मुर्गा बहुत खुश था कि उसने लोमड़ी की मदद की थी और उसकी मदद से वह एक अच्छी काम की गई थी। 

Sweat Apple 🍎 Short Story 

दिलचस्प एक मिनट की कहानी. एक छोटी लड़की अपने दोनों हाथों में दो सेब पकड़े हुए थी। फिर उसकी माँ ने एक माँगी। छोटी लड़की ने तुरंत एक सेब खाया और फिर बाकी दो। उसकी माँ ने निराशा के साथ अपनी बात वापस रखी।  छोटी लड़की ने अपनी माँ को यह कहते हुए एक हाथ दिया, यह है अधिक मीठा। माँ ने तुरंत बेटी को गले लगाया और चूमा।  

एकता में शक्ति  Strength in unity

नमस्कार ये एक छोटी कहानी है . एकता में ताकत  एक आदमी के चार बेटे थे जो हमेशा एक-दूसरे से लड़ते रहते थे, आदमी ने उन्हें सबक सिखाने का फैसला किया, उसने एक तरकीब सोची और कहा कि मेरे लिए लाठियों का एक बंडल लाओ और तुम्मे से इसे कोन तोड़ सकता है सबने कोशिश की। लेकिन उनसे वो लाठियों का बंडल नहीं टूटा. 

उन्हें असफल होने पर उस आदमी ने बंडल खोल दिया और उन्हें एक-एक करके लाठियां दीं, जिसे उन्होंने आसानी से तोड़ दिया, आदमी ने कहा कि यदि आप एकजुट हो कर रहेंगे तो आप अपने दुश्मनों से मुकाबला कर पाएंगे, 

लेकिन अगर आप आपस मे लड़ेंगे और एक-दूसरे से दूर रहेंगे तो आपकी कमज़ोरी आपको नुकसान पहुंचाएगी। उनके बेटों ने कभी दोबारा लड़ाई नहीं की.

Moral of tale story: हमे एक जुट होकर रहेना चाहिए ताकि कोई भी आपको तोड़ ना सके ,एक जुटता मे ही शक्ति है. 

Sharing is caring  साझा करना ही देखभाल है

एक बार एक गांव मे सारा नाम की एक लड़की रहती थी।  वह कभी भी अपनी चीज़े किसी को नही देती थी। अपने दोस्तों को भी नहीं देती थी।  एक दिन वह अपनी क्लास के दोस्तो के साथ पिकनिक पर गयी.

पिकनिक मे वह दोपहर के भोजन के लिए फल लेकर आई थी। लेकिन अचानक वह नीचे गिर गई और उसके सारे फल नीचे गिर गए, वह बहुत जोर-जोर से रोने लगी। उसका एक सहपाठी, रोहन, उसके पास आया और उसने कहा, रोओ मत सारा।  तुम मेरे सैंडविच खा सकती हो।  सारा ने रोहन से पूछा, तुम अपना खाना मुझे क्यों दे रहे हो ?  रोहन ने कहा , एक दोस्त दूसरे दोस्त के काम आता है. हमे अपनी चीज़े एक दूसरे के साथ  साझा करना चाहिए .

  Moral of tale story: हमेशा लोगो की परवा करनी चाहिए sharing is caring साझा करना ही देखभाल है एक दूसरे की.

गांव वाली और उसके सपने The village woman and her dreams

गांव वाली और उसके सपने  ये एक बहुत ही अनोखी कहानी है उससे सभी बच्चों को दिन मे सपने न देखने की सीख मिलती है। एक समय की बात है, गाँव में राधा नाम की एक सब्ज़ी वाली रहती थी। वो अपनी सब्ज़ी को बेचकर पैसे कमाती थी जिससे उसका खर्चा चलता था। 

एक दिन की बात है, के वह अपनी सब्ज़ी लेकर गांव के बाज़ार मे बेचने निकल पड़ी. और अपनी टोकरी सर पे रख के निकल गई , रास्ते से ही वो दिन मे सपने देखने लगी अगर उसकी सारी सब्ज़ियां बिक जाएंगी तो और उनसे जो पैसा मिलेगा वह उस पैसो का क्या करेगी. 

short story review in hindi

राधा मन ही मन कई चीज़े सोचने लगी। राधा ने मुर्गी खरीदने और उसके अंडे बेचने की सोची।  उसके बाद उसी पैसे से वो एक केक लेना चाहती थी, सेब की एक टोकरी, और एक अच्छी फैंसी ड्रेस भी लेना चाहती थी और यहां तक ​​कि वह रास्ते मे ही एक नया घर खरीदने का सपना देखने लगी। इस प्रकार वह सपने मे ही कम समय से अमीर बनने की योजना बनाने लगी.

अपने सपनो के उत्साह में, वह अपने साथ ले जा रही सब्ज़ी टोकरी के बारे में भूल गई और सब्ज़ियां धीरे धीरे कर के नीचे गिरने लगी। अचानक, उसने महसूस किया कि सब्ज़ियां नीचे गिर रही है और जब उसने अपनी टोकरी को is देखा तो टोकरी खाली थी। ये देखकर वो रोने लगी और उसे ये अहसास हुआ के दिन मे सपने देखने से वह सब भूल गई उसको अपनी भूल का पछतावा होने लगा।

सुनहरे मोर की कहानी  Story of the golden peacock

यह कहानी बच्चों के लिए नैतिक कहानियों में से है, जो लोग लालच की बात करते है! बहुत दिनों पहले की बात है एक झील के पास एक मोर रहता था, जो की काफ़ी खास था। और बहुत सुन्दर भी, उसके सुंदर सुनहरे पंख थे। उसी झील के पास एक बूढ़ी औरत अपनी दो बेटियों के साथ रहती थी। 

बहुत ज़्यादा मेहनत करने के बाद भी वे बूढ़ी औरत अपना परिवार बहुत मुश्किल से चलती थी। एक दिन, मोर ने सोचा: शायद मैं उनकी कुछ मदद कर सकूं, अगर मैं उन्हें हर दिन एक सुनहरा पंख दे दूं जिसे बेच कर वह अपने परिवार के जीने के लिए पर्याप्त पैसा प्राप्त कर सकती है.

अगले दिन मोर उस बुढ़ि औरत के पास गया। उसे देखकर बूढ़ी औरत ने कहा, “मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है!” लेकिन ऐसा कहने पर मोर ने कहा, “लेकिन, मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है!” और समझाया कि मोर उसके लिए क्या कर सकता है! 

बुढ़िया और उसकी दोनो बेटियाँ सोने का पंख बेचने के लिए बाजार गई थीं। पंख बेच कर जो पैसा उनके हाथ मे आया उसे देख कर वह बहुत खुश होए।

मोर दिन-ब-दिन बुढ़िया और उसकी दोनो बेटियों की मदद करता रहता। दोनो बेटियाँ मोर के साथ खेलना पसंद करती थीं, बरसात और ठंड के दिनों में उसकी देखभाल करती थीं! जैसे-जैसे समय बीतता गया, बूढ़ी औरत और लालची होती गई! उसने सोचा भला एक पंख उसकी इतनी मदद कैसे कर सकता है? “जब कल मोर आ जाए, तो हमें मोर के सारे पंख तोड़ देने चाहिए!” उसने अपनी दोनों बेटियों को बताया। 

ऐसी बात सुनने पर, उसकी दोनो बेटियों ने मदद करने से इनकार कर दिया। अगले दिन बुढ़िया ने मोर के आने का इंतजार किया। और जैसे ही मोर आया, उसने मोर के अगले हिस्से को पकड़ लिया और उसके पंखों को तोड़ना शुरू कर दिया। 

जैसे ही उसने उन्हें तोड़ा, पंख सफेद हो गए। बुढ़िया रो पड़ी और मोर को जाने दिया। इस पर मोर ने कहा की, “तुम लालची हो गई हो! जब तुमने मेरी इच्छा के बिना मेरे सुनहरे पंख तोड़ दिए, तो वे सफेद हो गए! इतना कहकर मोर गुस्से में वहाँ से उड़ गया ,फिर कभी नहीं दिखायी पड़ा

Moral of tale story : लालच बुरी बला है हमे कभी भी लालच नही करनी चाहिए.

हाथी और दर्ज़ी की कहानी  Story of the elephant and the tailor

बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक बूढ़ा दर्ज़ी रहता था. और उसके पास ही जंगल में एक हाथी रहता था हाथी बहुत ही दयालु किस्म का था वह हाथी किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाता था एक दिन  गांव वालो ने हाथी की दावत खाने के लिए की, जब हाथी वहा आया तो उस दिन दर्ज़ी का दिमाग खराब था दर्ज़ी को कुछ सूझा उसने हाथी की सूंड पर सुई चुभा दी।

short story review in hindi

सुई काफी नुकिली होने के कारण हाथी को काफी ज्यादा दर्द और नुकसान झेलना पड़ा और उसकी इस हरकत से हाथी बहुत परेशान हुआ, दर्जी को सबक सिखाने के लिए हाथी अपने दिमाग में कुछ सोचने लगता है। और सोचता है कैसे दर्ज़ी को मज़ा चखाए.

तभी हाथी एक योजना बनाता है , गुस्से मे आया हाथी एक गंदे तालाब के किनारे जाता है. और अपनी सूंड में बहुत सारा गंदा पानी भर के लाता है. और वह अपनी सूंड में भरा सारा पानी दर्ज़ी की दुकान पर उसके  साफ-सुथरे कपड़ो और दर्जी के ऊपर फेंक देता है , दर्ज़ी की दुकान गंदी हो जाती है और दर्ज़ी के सारे कपड़े खराब हो जाते हैं। जिससे दर्ज़ी बहुत दुखी होता है और वह समझ जाता है उसके बाद दर्ज़ी हाथी से माफी मांगता है और हाथी को केला खिलाता है, हाथी वापस फिर दोबारा से जंगल की ओर चल पड़ता है।

बंदर और ऊंट का नाच  Monkey and camel dance

सालो पहले जंगल में सारे जानवर अपना अपना नाच, गाना, अभिनय की प्रतिभा दिखाने के लिए इकट्ठा हुए जब सारे जानवर आ गए सब ने अपनी अपनी प्रतिभा दिखाई, और जब बंदर का नंबर आया तब उसे नाचने के लिए कहा गया, बंदर वैसे भी उछल कूद और अपनी कला बाज़ियो में माहिर था. उसने अपने नाच से सबका खूब मनोरंजन किया और उनके दिलो को लुभा लिया.

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सबने बंदर की खूब तारीफ करी सब लोगो ने बंदर को ही एक अच्छा निर्थक मान लिया. ऊंट से बंदर की  तारीफ देखी ना गई. ऊट ने भी नाचना शुरू कर दिया ऊंट का नाच बिल्कुल बेतुका और बहुत बेढंग था.  उसका नाच किसी को पसंद नहीं आया और सब ने उसकी खूब बुराई की. ऊट ने ईर्ष्या से भरकर नाच किया उसने बंदर से जलन में आकर ऐसा किया. ऊंट को इसलिए दंड के रूप में जंगल से निकाल दिया गया.

गधे और धोबी की सच्चाई  The truth about the donkey and the washerman

गांव में एक गरीब धोबी रहता था. उसके पास एक गधा था. गधा काफी कमज़ोर था क्योंकि उसे बहुत कम खाने पीने को मिलता था. धोबी गरीब होने की वजह से उसे सही से खिला नहीं पता था.

एक दिन धोबी को एक मरा हुआ बाघ मिला. उसने एक तरकीब लगाई उसने सोचा क्यों ना मैं बाघ की खाल को गधे के ऊपर बांध दूं और अपने पड़ोसियों के खेत में चरने के लिए इसे छोड़ दिया करूंगा. किसान समझेंगे कि वे सचमुच का बाघ है. और उससे डर के दूर रहेंगे. इस तरकीब से गधा खेत आराम से चर लेगा . जिससे उसका पेट भर जाएग और वे तंदुरुस्त रहेगा.

 धोबी ने तुरंत अपनी इस योजना पर अमल कर डाला. और उसकी यह योजना काम कर गई. एक रात की बात है गधा रात में खेत चर रहा था. उसे किसी गधी की रेंकने की आवाज सुनाई दी. इस आवाज ने गधे के अंदर इतना जोश भर दिया था, कि वह भी जोर-जोर से चिल्लाने लगा.

गधे की आवाज सुनकर किसानों को उसकी असलियत का पता चल गया और किसानों ने गधे की खूब पिटाई की.

Moral of tale story: इसलिए कहा गया है हमें कभी भी किसी से अपनी सच्चाई नहीं छुपानी चाहिए.

खरगोश और कछुए की दौड़ ( Rabbit and tortoise race )

एक घने जंगल में एक कछुआ और एक खरगोश रहते थे. दोनों बहुत गहरे मित्र थे. खरगोश को अपनी चाल पे बहुत घमंड था.वो सभी जानवरो के साथ दौड़ की चुनौती देता रहता,कुछ जानवर उस पर हसते. और कुछ उसकी चुनौती को कबूल करते, एक दिन वह कखरगोश की चाल को देख कर कहने लगा.

क्यों न हम दोनों दौड़ लगा कर देखते हैं. कछुए ने उसकी इस चुनौती को कबूल किया. खरगोश ने कहा जो भी पहले उस रेखा को पार कर लेगा वह विजयी कहलाएगा. 

short story review in hindi

खरगोश और कछुए की दौड़ को देखने के लिए जंगल के सारे जानवर बहुत उत्साह से आए. वह दोनों दौड़ के लिए तैयार हो गए, दौड़ शुरू की गई. खरगोश बहुत तेज तेज भाग रहा था. वहीं दूसरी और कछुआ अपनी चाल के हिसाब से धीरे-धीरे चल रहा था. खरगोश भागते-भागते बहुत आगे पहुंच गया उसने पीछे मुड़ के देखा वहां कोई नहीं था, खरगोश ने सोचा.

जब तक मैं इस पेड़ के नीचे थोड़ा आराम कर लेता हूं और वही पेड़ के नीचे लेट गया उसकी आँख कब लग गई उसे पता ही नहीं चला. वहीं दूसरी और कछुआ अपनी पूरी मेहनत और लगन के साथ धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ता रहा. कछुआ की जीत देखकर सभी जानवर खुशी से तालियां बजाने लगे तालियो की आवाज सुनकर खरगोश की आँख खुल गई और वह दौड़कर जीत की रेखा तक पहुंचा. जब तक कछुआ जीत की रेखा पार कर चुका था. खरगोश पछताता रह गया.

  चौकीदार की सच्चाई  Janitor’s truth  

एक कंपनी के मैनेजर , शाम , को अपनी कंपनी के लिए एक चौकीदार की जरूरत थी. उसने सभी जगह इश्तहार दिया कि उसे एक चौकीदार की जरूरत है उसने बहुत सारे इंटरव्यू लिए फिर भी उसे कोई भी व्यक्ति चौकीदारी करने के लिए समझ में नहीं आया.

अगले दिन उसने फिर से कई इंटरव्यू लिए आखिर में उसके पास एक रामू नाम का व्यक्ति आया. रामू का इंटरव्यू जैसे ही शुरू हुआ. मैनेजर साहब ने उसे सवाल किया, कि तुम बहुत थके लग रहे हो. क्या तुम्हें कोई बीमारी है ? रामू ने मैनेजर साहब को जवाब दिया नहीं साहब मैं बीमार नहीं हूं, मुझे ऐसी कोई बीमारी नहीं है. किंतु मुझे रात में नींद नहीं आती है जिसकी वजह से मुझे दिन में थकावट लगती है.

रामू की बात सुनकर मैनेजर शाम ने उसे तुरंत नौकरी पर रख लिया. उन्हें पता था कि रामू जैसा चौकीदार उन्हें नहीं मिलेगा. क्योंकि वे चाह के भी रात में नहीं सो सकेगा. इसलिए उसकी चौकीदारी की नौकरी पक्की हो गई.

Moral of tale story: हमें कभी भी किसी भी परिस्थितियों में अपनी सच्चाई नहीं छुपानी चाहिए.

वफादार दोस्ती की काहानी Story of loyal friendship

एक गांव में रहने वाले दो दोस्त थे। उनका नाम कमल और रमन था। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे. और उनकी दोस्ती बहुत मजबूत थी.दोनो जो वादा करते उसे निभाते,और दोनो एक दूसरे की सहायता करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे।

एक दिन कमल के पास रमन की मोटरसाइकिल हीरो होंडा आई। तो कमल उसे देखते ही लालच मे आ गया और उसने उसे अपने पास रख लिया जाए। इसके बाद सोचने लगा कि वह उसे बेचने का प्रयास कर सकता है, जिससे वह पैसे कमा सकता है।

लेकिन कमल को याद आया कि ये मोटरसाइकिल उसके दोस्त रमन की है।जो उसका सबसे अच्छा और सच्चा दोस्त है.वह जल्दी से सच्चाई के रास्ते पर चलते हुए, मोटरसाइकिल रमन को वापस कर देता है। रमन अपने दोस्त कमल की बहुत प्रशंसा करते हुए उसका धन्यवाद करता है.

Moral of tale story: ईमानदारी और सच्चाई सच्ची मित्रता है और आपसी सम्बन्धों का महत्व बढ़ाती हैं। हमेशा अपनी सच्ची मित्रता को मजबूत बनाए रखें और दूसरों की मदद करने का प्रयास करें।

दो दोस्तों की शहरी यात्रा  City trip of two friends

एक दिन की बात है, की दो बहुत अच्छे दोस्त थे. शाम और राम इन दोनो दोस्तों के बीच एक यात्रा का प्लान बनाया गया। जिसमे सभी दोस्तो को शामिल किया गया. सभी दोस्तो ने एक साथ शहर की यात्रा करने का सोचा। शाम ने प्रस्ताव रखा कि हमें रेलवे स्टेशन से बिना टिकट गाड़ियों मे यात्रा करनी चाहिए।

short story review in hindi

लेकिन दूसरी ओर दूसरे दोस्त राम ने सच्चाई बताई कि, हमारा बिना टिकट यात्रा करना गलत होगा. और वहां पुलिस का अनुशासन रहता है। जिससे हम जेल भी जा सकते है. उसने सभी को टिकट खरीदने का सुझाव दिया, ताकि यात्रा करने के दौरान कोई भी परेशानी न हो. उन सभी ने राम का कहना माना और यात्रा के लिए टिकट लिया. उन सभी की यात्रा सफलतापूर्वक हुई.

Moral of tale story:

सच्चाई का बल  Force of truth, 

एक समय की बात है, एक गांव में एक गरीब लड़की रहती थी। वह गरीबी होने के बावजूद बहुत सच्छी और ईमानदार थी। पढ़ाई मे भी होनहार थी, वह अपनी मां का कहना मानती, उनकी देखभाल करती. एक दिन जब वह बाज़ार से सामान लेने जा रही थी,तब उसे रास्ते में एक सोने की चेन मिली। लड़की काफी खुश हो गई. लेकिन उसे पता था कि यह चेन किसी अमीर व्यक्ति की होगी।

लड़की बहुत गरीब थी, तभी एक पल मे ही लड़की ने सोचा के मैं बजार जाकर इस चेन को बेच देती हूं. लेकिन उसे याद आया कि सच्चाई और ईमानदारी हमारी अहमियत को बढ़ाती हैं। वह उस चेन को पुलिस स्टेशन ले गई और उसने चेन की वापसी कर दी। पुलिस वाले ने इसके लिए उसे सराहा और उसे इंसाफ़ी इनाम दिया।

Moral of tale story: हमेशा हमे सच्चाई और ईमानदारी पर अड़े रहना चाहिए। क्यूंकि सच्चाई और ईमानदारी की शक्ति हमें सदैव उच्चताओं की ओर ले जाती है।

डर के आगे जीत Victory over fear

Motivational Story in hindi – एक छोटी सी लड़की थी जिसका नाम रमा था.जिसे सब लोग बहुत प्यार करते थे.रमा को अंधेरे से बहुत डर लगता था। इतना डर के वह अकेले कमरे मे भी नही जाती थी .वह हर रात रोती और अपने माता-पिता से कहती थी. कि मुझे अंधेरे से बहुत डर लगता है। उसके माता-पिता उसे बहुत समझाते के अंधेरे से कुछ नहीं होता, तुम्हे अंधेरे से नही डरना चाहिए, लेकिन रमा नहीं मानती.

एक दिन, रमा की माँ ने उसे समझाने के लिए एक कहानी सुनाई। कहानी में एक नन्ही सी परी थी. जो अंधेरे से बहुत डरती थी। परी ने अपने डर को दूर करने के लिए चाँद की रोशनी का सहारा लिया जो हर रात आ जाता उसकी खिड़की पर और इतना चमकता की उसकी रोशनी से सारा अंधेरा चला जाता. जिससे परी का डर खत्म हो गया.

रमा को कहानी बहुत अच्छी लगी। उसने भी अपनी खिड़की से चाँद की रोशनी को देखना शुरू के दिया.अब जब भी रमा को डर लगता तो वह चाँद को देखती. उसकी रोशनी से रमा का सारा डर खत्म हो जाता .अब रमा अंधेरे से डरती नही है. 

Moral of tale story: डर को दूर करने के लिए हमें प्रकाश की आवश्यकता होती है। प्रकाश हमें आशा और सुरक्षा देता है। जब भी हम डरते हैं, तो हमें अपने आस-पास रोशनी खोजने की कोशिश करनी चाहिए.

बुरी आदत  Bad habit

एक बहुत ही अमीर औरत थी। वो अपनी बेटी से बहुत प्यार करती थी. लेकिन बेटी की किसी बुरी आदत से परेशान थी। वो जब भी अपनी बेटी को ,उस आदत को करते देखती तो उसे समझाती और आदत को छोड़ने के लिए कहती थी तब उसकी बेटी अपनी मां से कहती मां मै अभी तो बहुत ही छोटी हूं . समय आते ही में धीरे – धीरे ये आदत छोड़ दूंगी! लेकिन उसकी बेटी कभी भी उस आदत को छोड़ने का प्रयास नहीं करती थी। उसकी मां उसकी आदत से बहुत परेशान थी.

कुछ दिनों के बाद उसके पिता दूसरे शहर से आए मां ने पिता को सब बताया. उसके पिता उसे गांव के एक महात्मा के पास ले गए। और महात्मा को अपनी समस्या बताई। महात्मा ने उनसे कहा की आप अपनी बेटी को कल सुबह बगीचे में लेकर आइये में वही आपकी समस्या का समाधान करुगा।

अगले दिन पिता और बेटी दोनों बगीचे में पहुंच गए। महात्मा ने बेटी से कहा की आओ बेटी हम दोनों बगीचे की सैर करते है । बगीचे में सैर करते – करते महात्मा अचनाक रुक गए और लड़की को समझाने के लिए महात्मा ने लड़की से कहा की क्या बेटी तुम इस पौधे को उखाड़ सकती हो ? बेटी ने कहा जी ज़रोर इसमें कोनसी बड़ी बात है और ऐसा बोलते ही उसने पौधे को बड़ी ही आसानी से उखाड़ दिया।

धीरे – धीरे आगे बढ़ते हुए महात्मा ने बड़े पौधे की तरफ इशारा करते हुए बेटी से कहा की क्या तुम इस पौधे को उखाड़ सकती हो ? बेटी को तो इस काम में मज़ा रहा था वो बोली जी बिलकुल उखाड़ सकती हूं। इस बार बेटी को ये काम करने में थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ी पर कुछ प्रयत्नो के बाद उसने पौधे को उखाड़ ही लिया ।

कुछ देर बाद थोड़ा आगे बड़े वो दोनों और फिर महात्मा ने एक नीम के पेड़ की तरफ इशारा करते हुए बेटी से कहा की क्या तुम ये पेड़ को उखाड़ सकती हो ? बेटी ने पेड़ को पकड़ा और फिर ज़ोर–ज़ोर से खींचने लगी। बहुत प्रयत्न करने के बावजूद भी वो पेड़ को नहीं उखाड़ सकी । बेटी ने महात्मा से कहा की इस पेड़ को उखड़ना तो असंभव है क्योकि ये पेड़ तो बहुत ज़्यादा मज़बूत है ।

महात्मा ने बेटी को समझाते हुए कहा की बेटी ठीक इसी तरह बुरी आदतों का साथ होता है। जब हमारी बुरी आदत नयी होती है तब तक हम उसे आसानी से छोड़ सकते है। जैसे ही हमारी बुरी आदते पुरानी हो जाती है तब उसे छोड़ना मुश्किल हो जाता है और कई बार तो नामुनकिन हो जाता है। बेटी को ये बात समझ मे आ गई. और उसने फैसला लिया के वो अब अपनी बुरी आदत को धीरे धीरे कर के छोड़ देगी.

Moral of tale story: हम अपनी बुरी आदतों को आसानी से छोड़ सकते है जब तक वो नयी होती है। कुछ वक्त के बाद हमारे लिए अपनी पुरानी आदतों को छोड़ना मुश्किल या फिर नामुनकिन हो जाता है।

बिल्ली के बच्चो की मदद  Help kittens

सोनू मोनू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते, पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे। दोनो अपनी मां का कहना मानते. एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली अपने बच्चो के साथ वहा रहती थी. बच्चो की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे। उन्हें भूख लगी थी इसलिए खूब रो रहे थे. बिल्ली अभी तक घर नहीं आई थी. सोनू ,मोनू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज़ सुनी और वह दोनो बच्चो के पास गए. और अपने दादा जी को बुला कर लाए।

दादा जी ने देखा तो दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाया। इतने मे बिल्ली आ गई. अपने बच्चो को देखकर बिल्ली बहुत खुश हो गई दादा जी ने बिल्ली को भी दूध पिलाया उसकी भूख शांत हो गई। दोनों बच्चे आपस में खेलने लगे। इसे देखकर सोनू मोनू बोले दादा जी आपने बिल्ली के बच्चो की मदद करी है जिससे बिल्ली बहुत खुश होइ. दादा जी ने सोनू मोनू को शाबाशी देते हुए कहा हमे हमेशा दोसरो की मदद करनी चाइए 

Moral of tale story: हमे हमेशा सबकी मदद करनी चाहिए और ये याद रखे की दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।

मां की ममता  Mother’s love Short Hindi stories with moral

बरगद के पेड़ पर एक चुनमुन नाम की चिड़िया रहती थी। उसने बहुत सुंदर घोंसला बनाया था। जिसमें उसके छोटे-छोटे बच्चे भी साथ में रहते थे। वह बच्चे अभी उड़ना नहीं जानते थे, इसीलिए चुनमुन उन सभी को खाना ला कर खिलाती और उनका खयाल रखती थी.

एक दिन जब बरसात तेज़ हो रही थी। तभी चुनमुन के एक बच्चे को बहुत भूख लगने लगी। बच्चा खूब ज़ोर से रोने लगा, इतना ज़ोर से वो रोया के देखते-देखते सभी बच्चे रोने लगे। चुनमुन को अपने बच्चों का रोना अच्छा नहीं लग रहा था। वह उन्हें चुप करा रही थी, किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे।एक मां को अपने बच्चों की तड़प देखी नही जा रही थी.

चुनमुन सोच में पड़ गई , इतनी तेज़ बारिश में खाना कहां से लाऊंगी। उसने सोचा अगर खाना नहीं लाई तो बच्चो की भूख कैसे शांत होगी। उसके बाद चुनमुन ने एक ना सोची अपनी जान जोखिम मे डाल कर चुनमुन ने एक लंबी उड़ान भरी और पंडित जी के घर पहुंच गई।

पंडित जी ने प्रसाद में मिले चावल दाल और फलों को आंगन में रखा हुआ था। चिड़िया ने उन्हें देखा और बच्चों के लिए अपने मुंह मे ढेर सारे चावल रख लिये। और झटपट वहां से उड़ गई।

घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया। बच्चों का पेट भर गया, वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे। चुनमुन ये सब देख कर खुश हो गई.

Moral of tale story: संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान जोखिम में डालकर भी मां अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।

राधा की रेलगाड़ी Radha’s train   ( Hindi short stories with moral for kids )

राधा बहुत प्यारी लड़की है। उसे घर के सभी लोग बहुत प्यार करते है.राधा कक्षा दूसरी में पढ़ती है। एक दिन उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी देखी। वो रेलगाड़ी को देख के बहुत खुश हुई उसे अपनी रेल – यात्रा याद आ गई, जो कुछ दिन पहले उसने पापा-मम्मी के साथ की थी। राधा ने चौक उठाई और फिर क्या था, दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। 

उसमें पहला डब्बा जुड़ गया, दूसरा डब्बा जुड़ गया , जुड़ते – जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए। जब चौक खत्म हो गई. राधा उठी उसने देखा कक्षा के आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी।   

फिर क्या हुआ – रेलगाड़ी दिल्ली गई , मुंबई गई , अमेरिका गई , नानी के घर गई , और दादाजी के घर भी गई। राधा बहुत खुश हो गई.

Moral of tale story: बच्चों के मनोबल को बढ़ाइए कल के भविष्य का निर्माण आज से होने दे।

घमंडी मुर्गे की अकल ठिकाने लगाना  (To destroy the wisdom of an arrogant cock ) 

पहले समय की बात है, एक गांव में बहुत सारे मुर्गे रहते थे। जो रोज़ बांग देते जिससे सभी गांव वाले समय से उठ जाते थे. एक बार गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था।

मुर्गा परेशान हो गया, उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी, और मुझे बच्चे तंग नहीं करेंगे। 

मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला। फिर भी सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए. इस पर मुर्गे को समझ में आ गया. कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है। हमे कभी खुद पर घमंड नहीं करना चाहिए.

Moral of tale story: हमे कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए, आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चलती है।

लोमड़ी को परिचय से मिलता है साहस  Fox gets courage from introduction familiarity

एक जंगल मे एक लोमड़ी रहती थी उसने कभी शेर नही देखा था. ज़िन्दगी मे पहली बार जब उसने शेर देखा, तो उसके लम्बे बाल, भयानक शरीर, डरावनी दहाड़, उसकी राजा की तरह चाल ढाल देख के लोमड़ी बहुत डर गई. और डर के मारे वही बेहूश होकर गीर पड़ी.

अगले दिन लोमड़ी ने फिर से शेर को देखा आज भी वह बहुत डरी थी. लेकिन उसने अपने साहस को जुटाया और अपने डर को छिपाने की कोशीश की और वहां से भाग गई, तीसरे दिन उसने फिर शेर को देखा किन्तु आज इस्तिथि पूरी तरह बदल चुकी थी। लोमड़ी सीधे शेर के पास पहुंच गई। 

और बोली ” जय महाराज जी सब ठीक ठाक है ” वो शेर से बिलकुल परिचितों की तरह बात करने लगी। उसे अब बिलकुल भी डर नही लग रहा था. पिछले दो दिनों से वो लगातार शेर को  देख-देखकर उससे परिचित हो गई थी। 

Moral of tale story: इसलिए कहा गया है की परिचय होने पर साहस मिलता है। 

गलत की संगति  Association with wrong  (Moral Story in Hindi) 

बहुत समय पहले की बात है. रामगढ़ के पास नीम का एक बहुत बड़ा पेड़ था। पेड़ के ऊपर एक कौआ और एक हंस दोनों अच्छे पड़ोसी की तरह रहा करते थे। दोनों के विचारो मे बड़ा अंतर था। हंस तो अच्छे विचारों का था, किंतु कौआ बड़ा ही गलत स्वभाव का था। 

एक दिन दोपहर का समय था। गर्मी बहुत हो रही थी। तभी एक शिकारी थका-मांदा नीम के पेड़ के नीचे बैठा।  शिकारी धनुष बाण को बगल में रख कर पेड़ की ठंडी छाया में गहरी नींद में सो गया. सोए हुए शिकारी के चेहरे पर नीम के पत्तों से छनकर आती हुई सूरज की धूप पड़ रही थी। 

हंस ने देखा तो उसके मन में दया आ गई. उसने सोचा कि शिकारी थका हुआ और गहरी नींद में है। कहीं ऐसा ना हो कि चेहरे पर धूप पड़ने के कारण उसकी नींद में बांधा आए. अतः उसने नीम के पत्तों के बीच में अपने पंख फैला दिये। जिससे धूप की जगह पर छाया शिकारी के मुंह पर पड़ने लगी। 

कौआ हंस के सज्जनता पूर्ण कार्य को देखकर कौआ जल गया. और उसने नीचे जाकर शिकारी के चेहरे पर जाकर मूत्र कर दिया. जिससे शिकारी की नींद खुल गई। वो गुस्सा हो गया। कौआ तो चेहरे पर मूत्र करके उड़कर दूसरे पेड़ पर चला गया. किंतु हंस अपने स्थान पर ही बैठा रहा। उसे शिकारी से डरने की क्या ज़रूरत थी? क्योंकि उसने तो शिकारी के प्रति अच्छा व्यवहार किया था। और उसे सुख पहुंचाने का प्रयत्न किया था। 

शिकारी ने गुस्सा होकर जब पेड़ के ऊपर देखा तो, उसे डाल पर बैठा हुआ हंस दिखाई दिया। उसने सोचा कि हो ना हो इस हंस ने ही मेरे ऊपर मूत्र विसर्जन किया है। उसने धनुष को उठाया और उस पर बाण चढ़ाकर हंस की ओर चला दिया. बाण हंस के सीने मे लग गया। और वह ज़मीन पर गिर पड़ा और छटपटा कर मर गया। 

शिक्षा – हंस की मृत्यु गलत संगति कौवे के साथ रहने के कारण हुई. जो लोग गलत की संगति में रहते हैं. वे हंस की तरह बिना गलती के फस जाते है। 

कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है  (Hard work is the key to success)

एक बार की बात है के एक आलसी टिड्डा दिन भर बैठा रहता था। कोई काम नही करता था। यहां तक वो इतना आलसी था के उसे अपने खाने की भी फिकर नही थी।

वही दूसरी ओर एक चींटियो का समूह था। जो सर्दियों के लिए, खाना इखट्टा करने के लिए रात दिन कड़ी मेहनत कर रहा था। आलसी टिड्डा इन चींटियो के समूह को मेहनत करता देख उन पर हसता रहता था। 

किन्तु जब सर्दियां आई तो चींटियो के पास बहुत खाना था। और टिड्डे के पास खाने के लिए कुछ नही था। टिड्डे ने एक बात सीखी, उसे भी मेहनत का फल मिल सकता था। अगर उसने भी मेहनत की होती। उसका आलस उसकी परेशानी का कारण बन जाता है। 

Moral of tale story: हमे अपने भविष्य के लिए पहले से ही तैयार रहना चाहिए। और अपनी कड़ी मेहनत से आगे बढ़ते रहना चाहिए क्योंकि कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है। 

काली और भोरी बकरी की कहानी  (Story of black and white goat  Hindi Short Stories)

एक बार की बात है एक काली बकरी और एक भूरी बकरी दोनो कहीं जा रही थी। तभी उन्हें रास्ते मे एक पुल मिला। पुल बहुत पतला था। इतना पतला के एक बार एक ही निकल सकता था। तभी सामने से एक बकरा आ रहा था। पुल पतला होने की वजा से वो लोग पुल के बीचो बीच मिले।

और दोनों एक दूसरे से बोले तुम पीछे हटो- तुम पीछे हटो कहके एक-दूसरे से लड़ने लगे। इतने मे बकरे का संतुलन बिगड़ा गया। और वे सभी लोग नदी में गिरकर डूब गए।  

कुछ देर बाद एक बकरी और एक बकरा फिर पुल से गुज़रे। वे दोनों काफ़ी चतुर थे। उनमें से बकरा नीचे बैठ गया और बकरी उसके ऊपर बैठ गई। दोनो सुरक्षित दूसरी ओर चले गए।

Moral of tale story: हमे हमेशा ये याद रखना चाहिए कि क्रोध से हानी और शांत दिमाग से प्रसन्नता व सफलता प्राप्त होती है।

नानी के घर की सैर ( Visit to grandmother’s house)

चलो मीना की नानी के घर चलते है। मीना को अपनी नानी का घर बहुत पसन्द है। मीना अपनी नानी से बहुत प्यार करती है। उसे नानी के घर की हर चीज़ बहुत प्यारी लगती, नानी के घर का आंगन जिसमे मीना घंटो खेलती अपने खिलौनों के साथ और पेड़ पर डला झूला झूलती। उसकी नानी भी उसे बहुत प्यार करती। नानी का वो छोटा सा बगीचा जिसके रंग बिरंगे फूल मीना को बहुत लुभाते है, मीना फूलों को छूना चाहती और उन्हें अपने पास रखना चाहती। 

उसकी नानी उसे सैर पे लेकर जाती, उसे मेला दिखाती, मिट्टी के खिलौने दिलाती, रस मलाई खिलाती, रात मे जब लाइट चली जाती, तब चिराग की रोशनी मे उसकी नानी उसे कहानियां सुनाती, जिसे सुनते-सुनते वह सो जाती और इन सब मे कब छुट्टियां बीत जाती कुछ पता ही नही चलता, और उसके घर जाने का समय आ जाता। इस आशा मे वो नानी विदा लेती की अगली छुट्टियों मे फिर आएगी। नानी का घर उसे बहुत याद आएगा और नानी की भी बहुत याद आएगी। ये सुनते ही उसकी नानी की आंख से आसू आ जाते। 

इस कहानी से हम सबको अपनी नानी के घर कि छुट्टियों के दिन याद आ गए। तभी तो कहते हैं नानी के घर जाने खुशी ही अलग है नानी का प्यार ही अलग है। 

Moral of tale story: हमें हमेशा अपने बचपन की अच्छी यादों को साथ रखना चाहिए। जिससे हमें खुशी मिले। जो हमारी यादों मे हमेशा याद रहे जैसे नानी का घर। 

बच्चों को कहानी सुनना कैसा लगता है ?

क्या आपको पता है बच्चों को कहानी सुनना क्यों इतना ज्यादा पसंद है इसकी वजह है कि उनको तरह तरह के करैक्टर देखने को मिलते है और तरह तरह की आवाजें भी सुनने को मिलती है जिस वजह से उनको कहानी में बहुग मज़ा आता है ।

  • लेकिन अगर वही कहानी बिना कैरेक्टर और एक ही आवाज में सुनाई जाए तो वह बोर हो जाएंगे। इसलिए आपको अपने बच्चों को कहानियां सुनाने के लिए खुद को क्रेटिविटी में ढालना होगा। जैसे कि आपको तरह तरह के साउंड जो एनिमल के होते है या फिर उनके सामने चित्र रखने होंगे।
  • एक बार जब आप बच्चों को कहानी सुना देते हो तो अंत मे उनसे कुछ सवाल भी करे उनसे पूछिए की कहानी से क्या सीखा ,उन्हें कहानी में छुपी शिक्षा और सीख के बारे में भी बतईए।
  • कभी कभी कुछ कहानियां हमारे जीवन से मेल खाती है जिनसे हम बजी कुछ सीख सकते है।
  • जब एक बार आप कहानी सुनाते है तो दुबारा बच्चों को खुद पढ़ने की आदत भी डालते रहे।जिससे उसका इंटरेस्ट बड़े।

मुझे उम्मीद है आपको हमारी Short Stories in hindi लेख पसंद आया होगा ,हम इसमें और भी कहानियां add करते रहेंगे ,हम कुछ लोकल मोटिवेशन कहानियां भी लाएंगे और कुछ देश विदेश की कहानियां भी लाएंगे जो कि real story in hindi   होगी और हम कुछ short stories horror भी लाएंगे। 

Short Story in hindi लेख को आप अपने परिवार या बच्चों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करिए।

क्या बच्चों के लिए Short Story in hindi में है ?

जी हा ,हम बच्चों के लिए short story motivational ,inspiration ,learning पर आधारित होती है।

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South Park: Snow Day! Review

Dull, toothless, and a big step in the wrong direction for south park games..

Travis Northup Avatar

Like being trapped indoors without power during an actual blizzard, playing South Park: Snow Day! had me frigidly wishing I could be anywhere else. A direct follow-up to the storyline of two excellent turn-based RPGs and a decent mobile spin-off , this cooperative 3D hack-and-slash admirably tries a lot of new things – but it throws the baby out with the bathwater in the process, leaving us with a monotonous, slipshod mess. The controls are awkward and clumsy, the weapons and abilities are limp and uninteresting, and even with only five levels that can be completed in as many hours, it still feels like it drags on for far too long. Worse than that though: all the humor and shocking moments for which South Park and its recent games are known is utterly missing in action, leaving little to recommend about this hollow, repetitious dud. I don’t know what we did to deserve going from a masterful Obsidian RPG that aptly captured South Park’s attitude to this, but boy does the fall hurt.

South Park: Snow Day! is a perplexingly boring third-person multiplayer game, where you and up to three of your unluckiest friends smack and blast your way through waves of samey first graders. Aside from some mildly interesting card-based leveling mechanics and an amusing one-liner here and there (like when Jimbo takes a well-deserved jab at NFTs) there are remarkably few glimmers of potential in this misadventure. But the vast majority of your time will be spent trudging through five levels of repetitive and tedious hack-and-slash combat that feels like it’s straight out of 2008 and never gets more interesting.

South Park: Snow Day! Gameplay Screenshots

short story review in hindi

Even more disappointing is that it never once made me gasp or guffaw at an outrageous situation. South Park: The Stick of Truth saw us spelunking in Mr. Slave’s large intestine, dodging genitalia in the world’s most messed up rendition of Honey, I Shrunk the Kids, and questing in the two-dimensional and entirely accurately represented “country” of Canada. It was filled with hilarious moments that made me question how in the heck Ubisoft avoided an Adults Only rating from the ESRB. The same was largely true in the followup from Ubisoft’s internal studio, The Fractured But Whole . Snow Day returns to the Stick of Truth’s make-believe fantasy setting, but here you just occasionally fart every once in a while in lieu of actual jokes. Sure, there are some very minor moments that made me smile, like the final boss fight being a surprisingly timely reference to Dune, but those moments are so few and far between that they only ever served to get my hopes up before dashing them all over again. This is perhaps the most toothless South Park adventure ever created, which often feels like it’s directed towards actual children rather than the revolting reprobates, like me, who came here specifically to be shocked and disgusted.

The story is straightforward and one-note, as you and the South Park gang decide to continue your fantasy adventures during a snow day, and you proceed to fight against them and their hordes of minions in battle one at a time. The whole thing lasts about five hours and very little of note happens along the way – there are no big surprises, zero horrifying gross-out moments, and even the characters you know and love behave in a bizarrely tame fashion compared to how you’d expect after all these years. The wholly unhinged Randy makes a few appearances where he’s hoarding toilet paper, but never flies off the rails or delivers any memorable one-liners; even Cartman, whose entire personality is being the biggest monster imaginable, is mostly well-behaved the whole way through, despite briefly doing a stint as the bad guy himself. That appallingly flat writing makes an already bad game not even worth pushing through for a few laughs, and that’s an extremely hard pill to swallow as a decades-long South Park fan.

Should the next South Park game be turn-based or real-time combat?

After setting the bar so low it was difficult to imagine, but the untidy, soulless combat that accounts for the vast majority of playtime is Snow Day’s biggest miss. You select one of three melee weapons (twin daggers, a sword and shield, or a battle ax) and one of three ranged weapons (a bow and arrow, a wizard’s staff, or a wand) to bring into battle, allowing for precious few options for how to play. Not that it matters, really, because thanks to the floaty and imprecise controls, none of these options feel good to begin with. Each of the ranged weapons does damage from afar, requiring a cooldown or charge time that’s so long it’s almost always not worth the trouble, while all three of the melee weapons are at least more reliable for damage, but don’t lock on to enemies, have awful hit detection, and when you do connect it feels a bit like dueling someone with a helium balloon.

The only other major tools in your arsenal are the two equally underwhelming powers you get to equip, selected from eight total options, which include stuff like a healing totem that regenerates nearby allies’ HP for a short amount of time, or a deployable turret that fires snowballs at passersby. These are at least more interesting than any of the base weapon options, but since they’re recharged by doing damage and scoring kills with your other weapons, definitely don’t solve the problems with combat.

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Pick a winner.

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One of Snow Day’s only good ideas are upgradeable cards that you collect as you fight through levels. These grant passive benefits and allow you to cultivate a build throughout each stage, then disappear once that level is over, adding a minor roguelike element to the adventure. You might find interesting cards that augment your healing totem, enabling it to do things like revive downed teammates, allow you to do more damage to enemies near it, or increase its area of effect. Or you can chase riskier cards, like one that turns your otherwise weak wand attack into a high-DPS flame-spewing hose that lights you on fire too as a tradeoff. While combat never stops being a sloppy, disappointing slog, collecting cards to augment your playstyle, then strategically leveling them up to make those abilities more powerful, injects a modicum of variety into it.

The issue is that Snow Day isn’t a roguelike in any other way. You don’t have to start the entire campaign over when you die (you just start at the beginning of that level), and even on the hardest difficulty, none of the levels are so challenging that you won’t probably beat them on the first try. So there’s not a ton of pressure to create a really solid build since there’s little to optimize for. And even if you do manage to assemble a deck of cards you like, each level ends after an hour or less, at which point you lose them all just as soon as the build starts coming together and go back to zero. I would love to see a better game try this idea, because here it’s implemented in a way that only barely improves an overwhelmingly bad time.

Another example of a poorly thought-out card mechanic is the single random Bullshit Card you get at the beginning of each level that lets you activate a more powerful ability a limited number of times. These might let you call down a rain of fiery meteors for straight DPS or recover your health and make you invisible for a short period of time to escape danger, but none of them are all that interesting and they only have a minor impact on gameplay since you can usually only cast them two or three times per level. What’s worse, though, is that enemies get Bullshit Cards too, and they do things like replace the enemy’s normal weapons with high-damage laser swords, or give the bad guys protective bubble shields that make them significantly more beefy. In most cases, these cards serve only to significantly draw out the length of combat (including pausing gameplay whenever the enemy uses one to watch the animation play out) which is already pretty unbearable to begin with.

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South Park: The Stick of Truth

This is especially true in the revolting horde mode (available as free DLC) in which you’re subjected to waves of enemies in an arena. This format really dials up all the worst parts of Snow Day and cuts out any hope of stumbling upon jokes or story along the way. In these nightmare scenarios, the enemies are given a whole bunch of Bullshit Cards and use them every couple of seconds, which constantly pauses the battle for the announcer to shout “bullshit” at you. It’s super cool and didn’t at all make me want to be buried alive.

Thanks to recent successes, we know exactly what a great South Park game looks like, and South Park: Snow Day! couldn’t be farther from it. I’m a huge fan of throwing out the rulebook to try something completely fresh, especially in this age of samey sequels and forever live-service games that increasingly play it safe, but this bold attempt at a new direction misses the mark so drastically I’m aghast at just how sideways things went. Whether it’s due to the thoroughly unenjoyable combat or the uncharacteristicly toothless and unfunny story, I can’t recommend anyone waste their time on this cooperative lost cause – even my fellow die-hard South Park fans.

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How many lives can one author live? In new short stories, Amor Towles invites us along for the ride

Man seated outdoors

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Book Review

Table for Two: Fictions

By Amor Towles Viking: 464 pages, $32 If you buy books linked on our site, The Times may earn a commission from Bookshop.org , whose fees support independent bookstores.

In three bestselling novels over eight years, Amor Towles has established himself as one of our most beloved contemporary novelists, exhibiting a chameleon-esque ability to inhabit vastly different settings and characters in a style uniquely his own, yet never the same from book to book.

He can write elegantly and persuasively from the point of view of young women looking to make their mark in 1938 Manhattan, as he did with “Rules of Civility,” in which the intricacies of New York society are revealed to be as Darwinian as any jungle. With “A Gentleman in Moscow,” Towles transported us to 1920s Russia, where an unapologetic aristocrat is exiled to a once-grand hotel by the incoming socialist regime, and eventually forced to join the ranks of the proletariat. And in 2021’s “The Lincoln Highway,” we follow four boys as they embark on an enthralling road trip that takes them from 1950s Nebraska to a New York City filled with danger and delight.

Cover of "Table for Two"

Towles’ latest is the superb short fiction collection “Table for Two.” For fans who worry that a volume comprising six stories and a novella won’t serve up the deeper delights of his novels, prepare to eat your hat: This may be Towles’ best book yet. Each tale is as satisfying as a master chef’s main course, filled with drama, wit, erudition and, most of all, heart.

Case in point: “Hasta Luego,” the third story in the volume, involves a chance encounter at LaGuardia Airport between a debonair political consultant named Jerry — who could be Towles’ twin — and an amiable schlub named Smitty. The two are thrown together for an evening in Manhattan when their flight is canceled and they are routed to a Midtown hotel for the night. After checking into their rooms, they repair to the bar for their meal, and the drinks flow.

For Jerry, the many tequila shots they consume into the wee hours pose only the risk that he may be hung over the next day. For Smitty, though, the stakes are much higher, something Jerry learns when he mistakenly leaves the bar with his new acquaintance’s phone and receives a series of concerned calls from Smitty’s wife, Jennifer. At first Jerry doesn’t see how Smitty’s dilemma should concern him, but by the time morning comes, Jerry’s studied nonchalance has evolved into something more like compassion. It’s a perfectly constructed story that had me in tears.

“Eve in Hollywood” is the book’s headliner. It’s a novella that occupies half the book’s 400-plus pages, and deserves every bit of that real estate. Its heroine, Eve Ross, will be recognizable to readers of “Rules of Civility” as its Holly Golightly-esque character whose life unalterably changes when a car accident in Manhattan leaves her scarred.

We’re fortunate that Towles wasn’t entirely done with the enigmatic Eve. In the new story’s opening scene — which is as tight and suspenseful as a Hitchcock film — she’s on a train out of New York bound for Chicago. The year is 1938, and the plan is to move back in with her parents in Indiana. But on a whim, when the conductor announces their approach to Union Station, Chicago, she decides to pay the extra fare and head to L.A. (Defeat averted!) There Eve takes center stage amid con men, retired cops, movie studio heads and such film stars as Olivia de Havilland, who is just being cast in “Gone With the Wind.”

If Eve was a semi-tragic figure in her first literary outing, here she has reclaimed the verve and spirit of which recent events might have robbed her. Her personality shines even brighter now, but the vulnerability is gone, and in its place is an unshakable belief in her own instincts and intelligence. She has become adept at sniffing out troublemakers, but she’s equally proficient at recognizing a kind soul when she sees one. This noir-ish tale of police corruption, exploitation and 1930s Beverly Hills elan is an ode to such hard-boiled crime masters as Raymond Chandler and Dashiell Hammett, but with a feminist twist.

In the remaining stories — all set in Manhattan during various periods — desperate financial straits prompt desperate schemes, which most of the time leave the perpetrators with pockets emptier than when they started. Few salvage lessons from their failures, yet somehow, they remain sympathetic, even endearing. It’s true that Towles is a polymath whose knowledge of such varied topics as finance, art collection and classical music can feel a little daunting at times, but these stories make clear that, at heart, he is a humanist with deep compassion for even the faultiest among us.

While known primarily as a novelist, the author is not entirely new to short fiction: In 1989, his Stanford master’s thesis, “The Temptations of Pleasure,” was published in the Paris Review. After graduate school, the Boston native moved to New York City, where he shared an apartment in the East Village and chipped away at his goal of writing a novel. But when Towles finally finished that book, he deemed it unfit for publication. He stored it away. Broke and uncertain of his literary future, he turned to a career in investment banking, where he stayed put for 20 years.

On weekends, he worked on what became “Rules of Civility,” and when it was sold at auction to his publisher, he retired from banking and turned to writing full time. He describes his process as one that entails “Plan, design, outline,” which is a system that must work well for him, as his three books have sold 6 million copies. Towles has also said he jots down ideas for future books on index cards and keeps multiple notebooks in which he explores potential plotlines or character arcs. It should be no wonder that “Table for Two” could spring from such a treasure trove.

On the final page of “Hasta Luego,” as Jerry finally makes his way home after being stranded with Smitty, he reflects on his imperfections — that he doesn’t remember birthdays; feels compelled to complain whenever inconvenienced; allows his own priorities to come first, even when it comes to loved ones, including his wife. In fact, he realizes, he hasn’t been very considerate of his wife. But perhaps his rendezvous with Smitty was transformative: “As I stood there in the customer service line thinking of all that had just transpired, what I found myself hoping, what I found myself almost praying for, was that despite all my flaws, when the time came, as it surely would, my wife would be willing to fight for me as hard as Jennifer had fought for her husband.”

Leigh Haber is a writer, editor and publishing strategist. She was director of Oprah’s Book Club and books editor for O, the Oprah Magazine.

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‘Boy Erased’ Author Returns With a Historical Novel About Forbidden Love

Garrard Conley makes his fiction debut with a story about a queer affair between a reverend and a doctor in Puritan New England.

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This illustration shows two Puritan men approaching a house situated in a New England town. Most of the illustration is rendered in shades of green, giving the impression that the image is a historical screen print.

By Tom Crewe

Tom Crewe is a contributing editor at The London Review of Books. His first novel, “The New Life,” has won four literary prizes and was chosen as The Sunday Times’s novel of the year.

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ALL THE WORLD BESIDE , by Garrard Conley

Like Nathaniel Hawthorne’s “The Scarlet Letter,” on which it is modeled, Garrard Conley’s “All the World Beside” begins after the fact. When the novel opens, it is 1730, in the recently established Puritan town of Cana, Mass., and the Rev. Nathaniel Whitfield (who founded the town after leading a religious revival) and Arthur Lyman (a doctor who followed him there) have already committed their crime against the moral order, just as Hawthorne’s classic takes place after Arthur Dimmesdale and Hester Prynne’s illicit tryst. Somewhat unexpectedly, there is a baby here too, who is both the relationship’s proof and symbol.

Alas, Conley — whose first book was a memoir, “Boy Erased,” about his time in gay conversion therapy — has neither Hawthorne’s clarity of intention, nor his skill. Hawthorne chose his setup because it allowed him maximum space for psychological exploration. An absence of action was the precondition of success; it allowed him to emphasize the dramatic, hidden changes taking place on the level of conscience and personality.

Conley’s book is equally short on action, but without a compensating depth of character analysis. “All the World Beside” is ostensibly about two Puritan men’s adulterous relationship, and its repercussions for them, their families and their town. But over a 15-year period, Nathaniel and Arthur contrive neither to have a full affair, having sex only twice, nor to ever truly break with each other. Nor do they, until the very last moment, face any real danger because of their relationship.

Instead they have some dialogues about how to reconcile their love with faith and family, but these read as dutiful airings of the issues rather than convincing products of an anguished human relationship. Neither man gleams with individuality. The tiny amount of sex that does occur is blurred with generalities and lacks intensity: “The word, ‘abomination,’ redefines itself with each second that passes, so it seems to lose all meaning, for what they are doing now is more than a word.”

The weakness of the central situation affects other aspects of the book. Much of the novel is given over to Nathaniel’s wife, Catherine; his daughter, Sarah; and his son, Ezekiel. But because Nathaniel and Arthur’s relationship is discovered early on — and hardly develops — these characters have little to react to. Catherine’s sadness manifests as an overwhelming lethargy, and she sleeps through many pages. Sarah hardens against her father and finally challenges him by attempting to lead a second revival in Cana (this is an awkwardly joined and underwritten plot point). Ezekiel is attracted to women’s clothing and turns mute. The perspectives of Arthur’s wife, Anne, and his daughter, Martha, which might offer complicating contrasts, do not fully engage Conley’s attention.

I can see what Conley was aiming for. There is promise in the idea of two families growing and warping around the secret of queerness, in such a time and place. Yet its development here is circular and shallow. This is how Conley conveys Catherine’s realization of her husband’s sexuality: “She will not even think to herself what she now suspects to be true, for it is unthinkable; it is unknowable, impossible. She has never heard of such a thing, not really, only rumors of court cases with that horrible word, ‘sodomy.’” Later, when she confronts Nathaniel, Conley writes: “Shock. She has shocked him.”

This trite flatness is typical. When Conley does try for an effect, his figurative language is often confused: “Behind every facade, I imagine I can see the secret life beneath it, just waiting for someone to open its doors.” Other times, it’s silly: “Sarah feels as though her head has been stabbed with a spear.” And sometimes it’s both: “Within the relentless rags of time, they will require diversions.”

These are symptoms of a larger problem with the prose. Sensibly, Conley doesn’t attempt to recreate the speech of 18th-century Puritans; anachronism has to be forgiven because authenticity is intrinsically beyond reach. The issue with his dialogue is that it’s undifferentiated, every character sounding the same. And what can’t be forgiven is his profligacy with verbal cliché: “You should have thought of that earlier”; “Arthur can hardly believe his luck”; “the logical next step.” Crawling across this prose desert, the reader pants, thirst unslaked, for a pleasurable sentence, a fresh image, a dynamic scene, a single sign of genuine life.

In an afterword, Conley criticizes, with belated zest, those historians who have hesitated to name gay desire when they have encountered it, often claiming “romantic friendship.” He is right that heterosexuality has not been relativized with anything like the same insistence. And he is right that the challenge of writing queer history lies in “expanding the way we think about the past, the way we make assumptions, in opening up possibilities.” Certainly, “All the World Beside” does not represent a failure of sympathy. It represents a failure of art.

ALL THE WORLD BESIDE | By Garrard Conley | Riverhead Books | 336 pp. | $28

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What is Good Friday? What the holy day means for Christians around the world

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Christians around the world observe Good Friday two days before Easter, but what is it, and why do they commemorate the holy day?

The holiday is part of Holy Week, which leads up to Easter Sunday. Palm Sunday kicks off the series of Christian holy days that commemorate the Crucifixion and celebrate Jesus Christ's resurrection.

"Good Friday has been, for centuries now, the heart of the Christian message because it is through the death of Jesus Christ that Christians believe that we have been forgiven of our sins," Daniel Alvarez, an associate teaching professor of religious studies at Florida International University, told USA TODAY.

What is Holy Saturday? What the day before Easter means for Christians around the world

When is Good Friday?

Good Friday is always the Friday before Easter. It's the second-to-last day of Holy Week.

In 2024, Good Friday will fall on March 29.

What is Good Friday?

Good Friday is the day Christ was sacrificed on the cross. According to Britannica , it is a day for "sorrow, penance, and fasting."

"Good Friday is part of something else," Gabriel Radle, an assistant professor of theology at the University of Notre Dame, previously told USA TODAY. "It's its own thing, but it's also part of something bigger."

Are Good Friday and Passover related?

Alvarez says that Good Friday is directly related to the Jewish holiday, Passover.

Passover , or Pesach, is a major Jewish holiday that celebrates the Israelites’ exodus from Egypt.

"The whole Christian idea of atoning for sin, that Jesus is our atonement, is strictly derived from the Jewish Passover tradition," said Alvarez.

How is that possible?

According to the professor, Passover celebrates the day the "Angel of Death" passed over the homes of Israelites who were enslaved by the Egyptians. He said that the Bible states when the exodus happened, families were told to paint their doors with lamb's blood so that God would spare the lives of their firstborn sons.

Alvarez says this is why Christians call Jesus the "lamb of God." He adds that the symbolism of the "blood of the lamb" ties the two stories together and is why Christians believe God sacrificed his firstborn son. Because, through his blood, humanity is protected from the "wrath of a righteous God that cannot tolerate sin."

He adds that the stories of the exodus and the Crucifixion not only further tie the stories together but also emphasize just how powerful the sacrifice of the firstborn and the shedding of blood are in religion.

"Jesus is the firstborn, so the whole idea of the death of the firstborn is crucial," said Alvarez.

He adds that the sacrifice of the firstborn, specifically a firstborn son, comes from an ancient and "primitive" idea that the sacrifice unleashes "tremendous power that is able to fend off any kind of force, including the wrath of God."

Why Is Good Friday so somber?

Alavarez says people might think this holiday is more depressing or sad than others because of how Catholics commemorate the Crucifixion.

"I think [it's] to a level that some people might think is morbid," said Alvarez.

He said Catholics not only meditate on Jesus' death, but primarily focus on the suffering he faced in the events that led up to his Crucifixion. That's what makes it such a mournful day for people.

But, the professor says that Jesus' suffering in crucial to Christianity as a whole.

"The suffering of Christ is central to the four Gospels," said Alvarez. "Everything else is incidental."

According to the professor, statues that use blood to emphasize the way Jesus and Catholic saints suffered is very common in Spanish and Hispanic Countries, but not as prevalent in American churches.

Do you fast on Good Friday?

Father Dustin Dought, the executive director of the Secretariat of Divine Worship of the United States Conference of Catholic Bishops, previously told USA TODAY that Good Friday and Ash Wednesday are the two days in the year that Roman Catholics are obliged to fast.

"This practice is a way of emptying ourselves so that we can be filled with God," said Dought.

What do you eat on Good Friday?

Many Catholics do not eat meat on any Friday during Lent. Anything with flesh is off-limits. Dought says this practice is to honor the way Jesus sacrificed his flesh on Good Friday.

Meat that is off limits includes:

Instead, many Catholics will eat fish. According to the Marine Stewardship Council , this is allowed because fish is considered to be a different type of flesh.

Contributing: Jordan Mendoza ; USA TODAY

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