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कक्षा 12वी के महत्वपूर्ण रिपोर्ट-लेखन | Important Class 12th Hindi Format Of Report Writing

कक्षा 12वी के महत्वपूर्ण रिपोर्ट-लेखन | Important Class 12th Hindi Format Of Report Writing

Table of Contents

रिपोर्ट (प्रतिवेदन)

प्रतिवेदन का अर्थ – रिपोर्ट (प्रतिवेदन) एक ऐसा लिखित विवरण है जिसमें तथ्यात्मकता पर आधारित किसी घटना, संस्था, विभाग आदि को प्रस्तुत किया जाता है। इसका मूल कार्य सही, सीधी और सपाट जानकारी देना है। 

इसके द्वारा किसी कार्य की प्रगति, जाँच-स्तर, कार्य और उनके परिणामों को स्पष्ट रूप में व्यक्त किया जाता है। साहित्यिक गोष्ठियों, सभाओं, कवि सम्मेलनों, संस्थाओं की मासिक /त्रैमासिक / छमाही / वार्षिक प्रगति, व्यावसायिक संस्थानों की स्थिति या प्रगति और जाँच समितियों की रिपोर्ट के साथ-साथ आँखों देखी घटनाओं की रिपोर्ट भी की जाती है। 

रिपोर्टों के द्वारा विभिन्न संस्थाओं और संस्थानों की वर्ष भर की गतिविधियों और उनकी प्रगति का विवरण संबंधित लोगों तक पहुँचा कर उसे सार्वजनिक किया जाता है। 

कक्षा 12वी के महत्वपूर्ण रिपोर्ट-लेखन | Important Class 12th Hindi Format Of Report Writing

प्रत्येक स्कूल और कॉलेज की वर्ष भर की गतिविधियों को रिपोर्ट उनके द्वारा आयोजित वार्षिक खेल-कूद प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पुरस्कार वितरण समारोह आदि में प्राचार्य / प्राचार्या के द्वारा प्रस्तुत करने का प्रचलन है। व्यवसायों की प्रगति और जाँच समितियों की रिपोर्ट तकनीकी आधार पर रची जाती है। 

ये रिपोर्ट काफी लंबी होती है और इन्हें छपवा कर प्रत्येक सदस्य को प्रेषित किया जाता है। जाँच समितियों की रिपोर्ट भी बहुत लंबी होती है जो महीनों या वर्षों के परिश्रम की परिणाम होती है।

रिपोर्ट की विशेषताएँ

रिपोर्ट की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं- 

1. किसी भी रिपोर्ट को तथ्यों पर आधारित होना चाहिए।

2. उसकी सरल-सीधी भाषा पूर्ण रूप से होनी चाहिए जिसमें मुहावरे लोकोक्तियों का प्रयोग नहीं होना चाहिए। भाषा को अलंकारों और लक्षणा शब्द शक्ति से रहित होना चाहिए। 

3. किसी भी शब्द या वाक्य से अनेक अर्थ नहीं निकलने चाहिए।

4. रिपोर्ट में प्रथम पुरुष (मैं या हम ) का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। 

5. सभी तथ्य सत्य पर आधारित और विश्वसनीय होने चाहिए। उनमें कल्पना का पुट नहीं होना चाहिए। 

6. रिपोर्ट में केवल महत्वपूर्ण तथ्यों को ही स्थान दिया जाना चाहिए। रिपोर्ट संक्षिप्त होनी चाहिए।

7. सभी तथ्य क्रमानुसार होने चाहिए ताकि उनसे पूरी जानकारी व्यवस्थित सूचनाएँ ही प्राप्त हो । 8. रिपोर्ट को उचित शीर्षक देना चाहिए जिससे रिपोर्ट की विषय संबंधी जानकारी प्राप्त हो सके ।

9. रिपोर्ट को विषय एवं तथ्यों के आधार पर अनुच्छेदों में बँटा होना चाहिए।

प्रतिवेदन लेखन के तत्व

रिपोर्ट किसी घटना की तथ्यात्मक प्रस्तुति है। इसके लेखन में निम्नलिखित तत्व हैं 

1. तथ्यपरकता — रिपोर्ट तथ्यां पर आधारित होती है। यह किसी छोटी घटना पर भी हो सकती है तथा बड़ी घटना पर भी। जब तक रिपोर्टर तथ्यों को पाठकों के सामने नहं रखता वह रिपोर्ट नहीं होती। इसमें आँकड़ों तथा तथ्यों की जरूरत होती है।

2. प्रत्यक्ष अनुभव- रिपोर्ट लेखन प्रत्यक्ष अनुभव पर आधारित होता है। रिपोर्ट घटनास्थल पर पहुंचकर घटना का जायजा लेता है। वह तथ्य एकत्रित करता है तथा आस-पास के माहौल की जाँच करता है। प्रत्यक्ष अनुभव के बिना रिपोर्ट नहीं लिखी जा सकती है। 

3. संक्षिप्तता—रिपोर्ट में संक्षिप्तता का गुण आवश्यक है। यदि किसी घटना का विवरण बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए तो वह नीरस हो जाती है। पाठक उसी रिपोर्ट को पढ़ता है जिसमें कर शब्दों में अधिक जानकारी दी गई हो। बड़ी रिपोर्ट उबाऊ हो जाती है। 

4. रोचकता व क्रमबद्धता- रिपोर्ट में रोकचका तथा क्रमबद्धता जरूरी है। यदि घअन का सिलसिलेवार वर्णन प्रस्तुत किया जाए तो विचारों की तारतम्यता टूटती है। इससे तथ्य गड्डमड्ड हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त रिपोर्ट में रोचकता होनी चाहिए। कटु सत्य से व्यक्ति परहेज करता है। रिपोर्ट की शैली रोचक होनी चाहिए।

रिपोर्ट और रिपोर्ताज में अंतर

‘रिपोतार्ज’ में समाचार-प. की यथातथ्यता तो रहती है लेकिन वह ‘रिपोर्ट’ से किचिंत भिन्नता रखता है। रिपोर्ट में घटना का यथासंभव तथ्यात्मक वर्णन प्रस्तुत किया जाता है। उसमें तटस्थता, शुष्क तथ्य और उस तथ्य की कलात्मक पृष्ठभूमि निहित रहती है लेकिन इसमें साहित्यिकता का अभाव होता है। 

‘रिपोर्ताज’ में भावात्मकता, सजीवता, मार्मिकता, सरसता एवं रोचकता का सन्निवेश रहता है, रिपोर्ताज का लेखक घटना से रिपोर्टर की भाँति निर्लिप्त नहीं रह सकता बल्कि हृदय से उस घटना या दृश्य से जुड़ा होता है। 

इसका आकार भी ‘रिपोर्ट’ से बड़ा होता है और अनेक विधाओं-निबंध, रेखाचित्र, यात्रावृत्त, कहानी आदि की विशेषताओं का इसमें समावेश रहता है। डॉ० कमलसिंह के शब्दों में, ‘रिपोर्ताज का कुछ-न-कुछ संबंध रिपोर्ट, संपादकीय, रेखाचित्र, संस्मरण और ललित निबंध से होता है। 

वह घटना की दृष्टि से निबंध और रिपोर्ट के समीप है, शैली की दृष्टि से रेखाचित्र और संस्मरण के समीप है, विचार की दृष्टि से संपादकीय के समीप है किंतु उद्देश्य की दृष्टि से इन सभी से दूर है। 

किसी सच्ची घटना का मर्मस्पर्शी वर्णन अन्य किसी विधा में नहीं होता।” इसमें भी उन प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है जिनका उत्तर ‘रिपोर्ट’ में दिया जाता है लेकिन इसका ‘आमुख’ (Intro ) ‘रिपोर्ट’ से भिन्न होता है। इसके आमुख में रिपोर्ट का सा सार नहीं होता बल्कि घटना और घटना के बाद का जीवंत विश्लेषण होता है। 

घटना वर्णन में कथा तत्व की उपस्थिति रहती है जो ‘रिपोर्ताज’ की रोचकता में वृद्धि करती है। रिपोर्ट का महत्व केवल सामयिक होता है और धीरे-धीरे कम हो जाता है जबकि रिपोर्ताज का महत्व अपनी साहित्यिकता के कारण कभी कम नहीं होता। 

दूसरे, रिपोर्ट साधारण और नगण्य सी घटनाओं की भी हो सकती है, होती है किन्तु ‘रिपोर्ताज’ किसी विशिष्ट घटना, दृश्य, उत्सव, युद्धादि का ही हो सकता है। 

आज अवश्य छोटी-छोटी घटनाओं पर भी रिपोर्ताज’ लिखे जा रहे हैं। वास्तव में ‘रिपोर्ताज’ एक ऐसी विधा है हो पत्रकारिता और साहित्य के बीच सेतु का कार्य करती है।

प्रतिवेदन लिखने की विधि

प्रतिवेदन लिखने से पहले सारे तथ्यों को एकत्र कर लेना चाहिए। निम्नलिखित तथ्य अवश्य देने चाहिए-

(i) संस्था का नाम।

(ii) बैठक/ सम्मेलन / सभा का नाम और उद्देश्य। 

(iii) आयोजन स्थल का नाम।

(iv) आयोजन के दिनांक और समय की सूचना ।

(v) कार्यक्रम में उपस्थित लोगों की जानकारी अध्यक्षता, मंच संचालन, वक्ता, सुझाव देने वाले, आमंत्रित अतिथि तथा प्रतिभागी सदस्य । 

(vi) गतिविधियों की जानकारी भाषण है तो उसके मुख्य बिंदु सुझाव है तो उसकी जानकारी।

(vii) निर्णयों की जानकारी ।

(vii) कोई प्रतियोगिता या कलात्मक प्रस्तुति हुई हो, तो उसका उल्लेख । 

(viii) प्रतियोगिता का परिणाम आया हो तो उसकी जानकारी।

कुछ प्रमुख प्रतिवेदन के उदाहरण

1. अपने विद्यालय के वार्षिकोत्सव पर एक प्रतिवेदन तैयार कीजिए ।

विद्यालय का वार्षिकोत्सव

गत 23 जनवरी, 2007 को हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव हुआ। नगर के प्रसिद्ध समाजसेवी श्री श्याम बहादुर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। इस वर्ष विद्यालय में काफी उत्साह देखा गया। विद्यालय को पूरी तरह सजाया-संवारा गया। 

ठीक 11.00 बजे कार्यक्रम आरंभ हुआ। पहले एन.सी.सी., स्काउट तथा बैंड के छात्रों ने स्वागत कार्यक्रम प्रस्तुत किए। फिर मलखंभ, ड्रिल, डंबल, लेजियम के आकर्षक कार्यक्रम हुए। तत्पश्चात् मंच के कार्यक्रम प्रारंभ हुए। 

विद्यालय के छात्रों ने मंत्रमुग्ध करनेवाले अभिनय और गीत प्रस्तुत किए। प्राचार्य महोदय ने विद्यालय की प्रगति की रिपोर्ट पेश करते हुए विज्ञान के छात्रों के लिए नई प्रयोगशाला की कमी का उल्लेख किया। प्राचार्य के भाषण के बाद मुख्य अतिथि ने कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा प्रयोगशाला के लिए 51,000 रु. दान देने की घोषणा की। 

विद्यालय का प्रांगण तालियों की ध्वनि से गूंज उठा। मुख्य अतिथि ने प्रतिभाशाली छात्रों को चहुँमुखी उन्नति की दिशा में बढ़ने की – प्रेरणा दी तथा उनके प्रोत्साहन के लिए कई पुरस्कार- योजनाएँ शुरू करने की भी घोषणा की। अंत में इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं को मुख्य अतिथि के हाथों से पुरस्कृत किया गया। इस प्रकार यह कार्यक्रम सोल्लास संपन्न हुआ।

2. नगर में हुई सरेआम हत्या की घटना पर उठे जनरोष पर एक प्रतिवेदन तैयार कीजिए ।

सरेआम हत्या की घटना पर जनता का रोष

कल दिनांक 21-3-2008 को संख्या के समय कुछ अज्ञात युवकों ने आदर्श नगर के पार्क से छः वर्षीय कन्या का अपहरण कर लिया था। कुछ ही घंटों बाद उस कन्या की लाश पार्क में पड़ी मिली। 

इस दहला देनेवाली घटना पर रोष व्यक्त करने के लिए आदर्श नगर के महत्वपूर्ण नागरिक, नगर की कई संस्थाओं के प्रतिनिधि इकट्ठे हुए तथा नगर की कानून-व्यवस्था पर

चिंता व्यक्त की। जोश और रोष से भरी इस बैठक में निश्चय किया गया कि— 

1. अधिक-से-अधिक संख्या में नगर के बाजारों से होते हुए विशाल जुलूस निकाला जाए। 

2. नगर की दुकानें तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रखे जाएँ।

3. अपराधियों को पकड़ने और दंडित कराने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाया जाए। 

4. मृतक के संबंधियों ने न्याय की गुहार करते हुए राजनीतिक दलों से प्रार्थना की कि वे इस मामले में राजनीतिक दावपेंच को दूर रखें। गत 13 अगस्त, 2007 को झारखंड राज्य अध्यापक संघ की बैठक संपन्न हुई।

3. झारखण्ड राज्य अध्यापक-संघ की बैठक पर प्रतिवेदन | 

झारखण्ड राज्य अध्यापक संघ की बैठक

की अध्यक्षता प्रदेशाध्यक्ष राजकुमार चौहान ने की। बैठक में उपाध्यक्ष रामनिवास गुप्ता, सचिव कुमार मंगल, कोषाध्यक्ष छोटूराम तथा कार्यकारिणी के अन्य 12 सदस्य उपस्थित थे। 

बैठक का मुख्य मुद्दा था— अध्यापकों के नए वेतनमान लंबे विचार-विमर्श के बाद इस बैठक निम्नलिखित निर्णय लिए गए—

1. नए वेतनमान लागू करने के संबंध में एक ज्ञापन शिक्षा मंत्री तथा मुख्यमंत्री को शिक्षक के प्रतिनिधि मंडल के द्वारा दिया जाए। 

2. सरकार पर दबाव बनाने के लिए 5 सितंबर को काली पट्टी लगाकर कक्षाओं में पढ़ाया जाए।

3. प्रतिनिधिमंडल के सदस्य 5 सितंबर के कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए उन्हें आवंटित विद्यालयों में दौरा करें तथा अध्यापकों को आंदोलन में भाग लेने के लिए तैयार करें। बैठक उत्साहपूर्ण वातावरण में समाप्त हुई।

4. आपके घर के बाहर खड़ा आपका मोटर साइकिल चोरी हो गया है। उसकी रिपोर्ट थाने में लिखित रूप में कीजिए।

मोटर साइकिल की चोरी

आज 25 जून को दोहपर के समय मेरे घर 546 आदर्श नगर के बाहर खड़ा मोटर साइकिल नंबर HRSE 3211 चोरी हो गया है। मैंने बाजार से वापस लौट कर लगभग 2 बजे इसे बाहर खड़ा किया था। 

इसे लॉक किया था और इसकी चाबी अब भी मेरे पास है। लगभग पंद्रह मिनट बाद जब मैं अपने मित्र के घर जाने के लिए बाहर निकला तो वह अपने स्थान पर नहीं था। मैंने आसपास सभी से इसके बारे में पूछा पर किसी ने मोटर साइकिल या इसे चुराने वाले को देखने में अनभिज्ञता प्रकट की।

मैंने यह मोटर साइकिल पिछले महीने एकता ऑटोमोबाइल्ज से खरीदा था। यह हीरो होंडा कंपनी का बना है और सिल्वर ग्रे रंग का है। इसकी क्रय समय रसीद की फोटो कॉपी साथ संलग्न कर रहा हूँ। कृपया मेरी मोटर साइकिल को शीघ्र अति शीघ्र ढूंढवा दें। 

5 . आप के स्कूल प्रबंधन में कुछ ऐसी अव्यवस्थाएँ हैं जिनके कारण छात्र-छात्राओं को परेशानी होती है। स्कूल के हैड ब्वाय के रूप में इससे संबंधित एक रिपोर्ट लिखिए। 

छात्र-छात्राओं की परेशानी के कारण

हमारा स्कूल नगर का अति प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान है। इसका परीक्षा परिणामों की दृष्टि से राज्य भार में नाम है। अच्छी शिक्षा, मेहनती अध्यापक वर्ग, श्रेष्ठ अनुशासन और विद्यार्थियों .की बड़ी संख्या के बावजूद इसके प्रबंधन में कुछ ऐसी अव्यवस्थाएँ हैं जो सभी छात्र-छात्राओं को खलती हैं। 

हमारे स्कूल के जल और जलनिकासी दोनों का अभाव है। विद्यार्थियों और अध्यापक वर्ग के लिए पीने के जल की व्यवस्था अच्छी नहीं है। यद्यपि स्कूल में छः कूलर इसके लिए अलग-अलग स्थानों पर लगवाए गए हैं पर उन पर एक्वागॉड या जलशोधन की व्यवस्था नहीं है। 

टंकी से आनेवाला जल ठंडा तो अवश्य होता है पर साफ नहीं। वर्षा ऋतु में वर्षा का जल खेत के मैदानों में भर जाता है। वहाँ से जल निकासी का कोई साधन नहीं है। वे मैदान कई दिन तक तालाबों के रूप में लिए रहते हैं। खेल-कूद की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। 

स्कूल में शौचालय हैं पर उनमें जल की उचित व्यवस्था न होने के कारण स्वच्छता का पूर्ण अभाव बना ही रहता है। वे अनेक बीमारियों के कारक बन सकते हैं। हमारे स्कूल की कक्षाओं के कमरों से प्रयोगशालाओं के बीच लगभग 200 मीटर की दूरी है।

 वर्षा के दिनों में बारिश के कारण इस दूरी को पार करने में समस्या होती है क्योंकि वह रास्ता ऊपर से ढँका हुआ नहीं है। यह ढँका हुआ होना चाहिए जैसा कि अन्य स्कूलों में है। हमारा साइकिल स्टैंड कुछ छोटा है जिस कारण अनेक छात्र-छात्राओं को साइकिल बाहर रखने पड़ते हैं। 

असुरक्षित होने के साथ-साथ वे आने-जानेवालों के राह में रुकावट बनते हैं। इन अव्यवस्थाओं के कारण सभी छात्र-छात्राओं के साथ अध्यापक वर्ग को परेशानी होती है।

6. बस स्टैंड पर हुए बम विस्फोट के आप प्रत्यक्षदर्शी हैं। इसकी एक रिपोर्ट तैयार जिए।

बस स्टैंड में बम विस्फोट

आज 9 अगस्त को प्रातः 8.00 बजे भीड़-भाड़ से भरे अति व्यस्त बस स्टैंड में चम स्फोट हो गया। विस्फोट का जोरदार धमाका दूर-दूर तक सुना गया। उसके कारण उत्पन्न धुआँ आकाश में देर तक छाया रहा। बम से निकले छरों से चार लोग घायल हो गए, लेकिन इससे कसी के जीवन की क्षति नहीं हुई। 

विस्फोट के कारण कुछ खिड़कियों के शीशे टूट गए। वहाँ उपस्थित लोगों में मची भाग-दौड़ से कुछ लोगों को गिरने के कारण हल्की चोटें आई। पुलिस तत्काल विस्फोटस्थल को घेर लिया। 

वह कारणों की जानकारी प्राप्त कर रही है, विस्फोट एक साइकिल के पीछे रखे थैले में विस्फोटक सामग्री के कारण हुआ। इस विस्फोट के पीछे आतंकवादियों का हाथ हो सकता है।

प्रश्न 8. झारखण्ड सांस्कृतिक विकास परिषद्, राँची द्वारा 15 जनवरी से 14 फरवरी तक संस्कृति मास मनाया। इसका संक्षिप्त प्रतिवेदन तैयार कीजिए ।

झारखण्ड सांस्कृतिक विकास परिषद्, राँची द्वारा सांस्कृतिक मास मनाना 

झारखंड सांस्कृतिक विकास परिषद्, राँची ने 15 जनवरी, 2008 से 14 फरवरी, 2008 तक संस्कृति मास मनाया। इसके अंतर्गत स्कूली बालकों और नागरिकों की कई प्रतियोगिताएँ आयोजित की गई। 

प्रमुख रूप से भाषण, कथा-कथन, सूक्ति-लेखन, रागिनी, देशभक्ति गीत, राष्ट्रीय समूहगान, वंदे मातरम् गायन, पुष्प सज्जा, चित्रकला, कॉलाज, ललित परिधान प्रतियोगिताएँ संपन्न हुई।

इन प्रतियोगिताओं में 500 विद्यालयों के 8,000 बच्चों ने भाग लिया। पहले ये प्रतियोगिताएँ शाखा-अनुसार की गई। दिल्ली में परिषद् की 40 शाखाएँ हैं। फिर खंड के अनुसार प्रतियोगिताएँ हुई। अंत में पूरी दिल्ली के चयनित कलाकारों की प्रतियोगिताएँ हुईं। 

ये सभी आयोजन बड़े कुशल, व्यवस्थित तथा सादगीपूर्ण हुए। भारत विकास परिषद्, झारखंड के प्रधान ने बताया कि इस वर्ष से ‘वंदे मातरम्’ प्रतियोगिता का आयोजन अखिल भारतीय स्तर पर होना आरंभ हुआ है। 

इसमें झारखंड के 3,000 बच्चों ने भाग लिया। इस प्रकार एक विस्तृत समाज में ‘वंदे मातरम्’ गीत का प्रसार हुआ। राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता में काँटे की टक्कर हुई। इसमें 400 विद्यालयों के 3,600 छात्रों ने भाग लिया। इन आयोजनों में हजारों कार्यकर्ताओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया। 

8. आपके विद्यालय से एक अध्यापक पिछले महीने सेवा-निवृत हो गए। विद्यालय की वार्षिक पत्रिका के लिए उनके विदाई समारोह पर एक रिपोर्ट तैयार करो। रिपोर्ट लगभग 100 शब्दों की हो। इसमें निम्नलिखित बिंदुओं का सहारा लें- 

श्री उमेश चंद्र – हिन्दी अध्यापक-20 वर्ष की सेवा – लोकप्रिय व्यक्तित्व-तिथि नियत-विदाई पार्टी का निमंत्रण-बड़ी संख्या में विद्यार्थी और अध्यापक व अध्यापिकाएँ उपस्थित प्राचार्य द्वारा सम्मान- विदाई भाषण सहभोज । 

हिंदी अध्यापक श्री उमेश चन्द्र सेवा-निवृत जनवरी माह में विद्यालय के हिंदी अध्यापक श्री शेखर रामचंद्रन अपनी 20 वर्ष की बेदाग सेवा के बाद सेवानिवृत्त हो गए। वे छात्रों में काफी लोकप्रिय थे। 

विद्यालय ने उनके सम्मान में विदाई पार्टी का आयोजन किया। 28 जनवरी को दोपहर दो बजे विद्यालय के हॉल में विदाई समारोह शुरू हुआ। बड़ी संख्या में विद्यार्थी और अध्यापकगण उपस्थित थे। प्राचार्य ने श्री रामचंद्रन के सम्मान में विदाई भाषण दिया। 

उन्होंने श्री शेखर रामचंद्रन की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। श्री शेखर को विद्यालय की ओर से स्मृति चिन्ह-स्वरूप विद्यालय का नॉडल भेंट किया गया। अध्यापकों व विद्यार्थियों की ओर से भी उन्हें अनेक उपहार दिए गए। श्री उमेश अपने विदाई भाषण में भावुक हो उठे। उन्होंने साथ जोड़कर सभी को धन्यवाद किया। सहभोज के साथ समारोह का अंत हो गया।

9. आपके विद्यालय में पिछले दिनों रैड क्रॉस सोसायटी द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। अध्यापकों और विद्यार्थियों ने रक्तदान किया। प्राचार्य ने स्वयं रक्तदान कर छात्रों को प्रेरित किया। 

विद्यालय की वार्षिक पत्रिका के लिए आपसे इस अवसर की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया है। आप सत्यनारायण ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थी हैं। रिपोर्ट 100 शब्दों से अधिक न हो।

विद्यालय में रक्तदान शिविर आयोजित

दिनांक 10 मार्च, 2007 को विद्यालय के हॉल में रेड क्रॉस सोसायटी द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। प्राचार्य श्री एस. के. नामधारी ने स्वयं रक्तदान कर सभी के सामने उदाहरण पेश किया। 

उन्होंने रक्तदान के बारे में छात्र-छात्राओं को बताया कि उनके रक्त से किसी को नया जीवन मिल सकता है। अध्यापक श्री नवीन, श्री सुजीत और अध्यापिका श्रीमती सरला देवी ने भी रक्तदान किया। 

बहुत से छात्र-छात्राओं ने भी इस महादान में भाग लिया। यह शिविर पूरे दिन चलता रहा। सोसायटी के अधिकारियों ने सभी रक्तदान करनेवालों को रेड क्रॉस की ओर से प्रमाण-पत्र वितरित किए। उन्होंने सभी को धन्यवाद किया।

सत्यनारायण 

कक्षा ग्यारहवीं 

10. आप लखन मुर्मू ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थी हैं। पिछले दिनों आपने सपरिवार गोवा के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में भारत और इंग्लैंडस के बीच खेला गया क्रिकेट मैच देखा। 

अपने विद्यालय की पत्रिका के लिए रिपोर्ट तैयार कीजिए जो लगभग 100 शब्दों की हो। 

रिपोर्ट में निम्न बिंदुओं पर प्रकाश डालें तिथि टॉस की भूमिका- पहले कौन खेला- स्कोर दूसरी टीम का खेल-मैन ऑफ द मैच दर्शकों की प्रतिक्रिया । 

एक रोमांचक क्रिकेट मैच

दिनांक 3 अप्रैल, 2007 को भारत और इंग्लैंड के बीच एक-दिवसीय क्रिकेट मैच खेला गया। भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की। भारत की ओर से युवराज सिंह ने 103 रन की धुआँधार पारी खेली। 

सुरेश रैना ने 61 रन और कप्तान राहुल द्रविड़ के 46 रन की मदद से भारत ने कुल 294 रन बनाए। दोपहर बाद बल्लेबाजी के लिए आई इंगलैंड की टीम को इरफान पठान की गेंदबाजी ने हिला दिया। 

पठान ने चार खिलाड़ियों को आउट किया। इंगलैंड की ओर से कोलिंगवुड ने 93 रन की पारी खेली। शेष कोई बल्लेबाज अच्छा खेलन दिखा सका और इंग्लैंड की पूरी टीम 245 रन पर ही सिमट गई। 

भारत ने यह मैच 49 रन से जीता। युवराज सिंह को मैन ऑफ द मैच घोषित किया गया। दर्शकों ने पूरे मैच का भरपूर आनंद लिया।

लखन मुर्मू 

11. आप अनीता कुमारी कक्षा ग्यारह की छात्रा हैं। पिछले दिनों आपके विद्यालय में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता का विषय था- समाज में नारी की भूमिका। अपने विद्यालय की वार्षिक पत्रिका ‘महक’ के लिए इस प्रतियोगिता पर एक रिपोर्ट तैयार करो जो लगभग 100 शब्दों की हो।

‘बाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन 

जनवरी में विद्यालय में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इ प्रतियोगिता र था-समाज में नारी की भूमिका। 

विभिन्न विद्यालयों से आई प्रतिभागियों ने अपने-अपने विचार रखे। नारी की महत्ता व परिवार व समाज में नारी की भूमिका पर नाद-विवाद हुआ। एस.डी. विद्यालय की छात्राओं ने नारी को समाज की पुरी के रूप में प्रस्तुत केया। 

बी. एम. मॉडल स्कूल की छात्राओं ने नारी को त्याग की देवी बताया। अपने विद्यालय की छात्राओं ने समाज को चेताया कि नारी का सम्मान करना सीखें, नहीं तो नारी ममता की प्रतिमूर्ति न रहकर चंडिका का रूप भी धारण कर सकती है। हमारे विद्यालय को प्रथम पुरस्कार मिला।

अनीता कुमारी 

कक्षा ग्यारहवीं

12. आप प्रेस रिपोर्टर संजय कुमार हैं। एक सड़क दुर्घटना की रिपोर्ट तैयार करो जिसमें ट्रक और जीप की टक्कर में जान-माल का काफी नुकसान हुआ है।  

सड़क दुर्घटना में 6 मरे, 10 घायल

आज दिनांक 26 मार्च, 2007 को शाम 8 बजे महरौली के निकट एक जीप विपरीत दिशा में में आ रहे ट्रक से टकरा गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि लगा कहीं बम विस्फोट हो गया हो । 

जीप का अगला हिस्सा ट्रक के नीचे घुस गया। लोगों ने किसी तरह जीप में फँसे लोगों को बाहर निकाला। जीप चालक और आगे बैठे दो व्यक्तियों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। दो आदमी और एक औरत अस्पताल जाते समय भगवान को प्यारे हो गए। 

दो औरतें, तीन बच्चों और पाँच आदमी घायल हैं। ट्रक चालक मौके से फरार हो गया। पुलिस ने ट्रक को कब्जे में लेकर चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। ट्रक चालक की तलाश जारी है।

आयोजित एक कार्यक्रम में

संदेश’ नामक हिंदी पुस्तिका तथा

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प्रतिवेदन लेखन क्या है (रिपोर्ट) , उदाहरण , नमूना , report writing in hindi , शिकायती प्रतिवेदन

  • हिन्दी व्याकरण

report writing class 12 hindi

(report writing in hindi) प्रतिवेदन लेखन क्या है (रिपोर्ट) , उदाहरण , नमूना , शिकायती प्रतिवेदन ?

प्रतिवेदन (रिपोर्ट)

प्रतिवेदन शब्द अंग्रेजी के रिपोर्ट (त्मचवतज) शब्द का हिन्दी रूपान्तर हैं। शिकायत के अर्थ । ‘रिपोर्ट‘ का प्रयोग होता है। किसी व्यक्ति के नियम-विरुद्ध कार्य की शिकायत जब सम्बन्धित अधिकार से की जाती हैं, तो उसे रिपोर्ट की संज्ञा दी जाती है । इधर रिपोर्ट (प्रतिवेदन) शब्द का विस्तार हं गया है। अतः प्रतिवेदन दो प्रकार के हो सकते हैं.–

(1) शिकायती प्रतिवेदन —इसके अन्तर्गत किसी नियम – विरुद्ध कार्य के करने वाले व्यक्ति के शिकायत संबद्ध विभाग के अधिकारी से की जाती है । जैसे-नियमित समय पर बर सेना उपलब्ध न होने की शिकायत स्टेशन-प्रभारी के पास, डाक – वितरण में असाधान बरतने वाले डाकिए के विरुद्ध डाकपाल के पास शिकायत, निर्धारित मूल्य से अधिक पैरं लेने वाले दुकानदार के खिलाफ जिलाधिकारी के पास शिकायत, शरारती छात्र की शिकायत प्रिंसिपल के पास आदि ।

(2) विवरणात्मक प्रतिवेदन -वेतन आयोग द्वारा प्रस्तुत सरकारी कर्मचारियों की वेतन सम्बन्धी सिफारिशों का विवरण, किसी परिषद् के क्रियाकलापों का विवरण, किसी संस्थ की वार्षिक उपलब्धियों का विवरण, किसी शिविर की विस्तृत रिपोर्ट आदि को भी प्रतिवेदन या रिपोर्ट कहते हैं।

शिकायती प्रतिवेदन

रामसुरेश प्रसाद,

आचार्यपुरी,

लालकोठी, गया ।  दिनांक 5-1-77

मुख्य डाकपाल,

प्रधान पोस्ट ऑफिस,

गया (बिहार)

विषय- डाक-वितरण में विलम्ब

हमारा निवासस्थान लालकोठी मुहल्ला है जो गया शहर के मध्य में स्थित है । यहाँ नित्य है डाक बँटती है । दुख की बात है कि डाकिया नित्य दिखायी नहीं देता । आज मुझे एक रजिस्टर्ड पर मिला जिस पर 3-1-77 की मोहर अंकित है । वितरण प्रक्रिया का ठीक से पालन किया गया होता है यह पत्र मुझे निश्चित 4-1-77 तक मिल गया होता । इस पत्र के अनुसार आज ही 5-1-77 व वाराणसी में मेरा एक साक्षात्कार था, जिसका समय दिन में दस बजे था । विलम्ब से पत्र मिलने हिन्दी कारण मैं साक्षात्कार में उपस्थित न हो सका । इसी प्रकार न जाने कितने लोग साक्षात्कार से वंचित हो जाते होंगे।

आपसे विनम्र निवेदन है कि उक्त अवधि में जिस डाकिये पर पत्र-वितरण का कर्तव्यभार था, उसके विरुद्ध अविलम्ब कार्रवाई की जाय, अन्यथा मैं उच्चतर अधिकारियों के पास अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए बाध्य हो जाऊँगा । कृपया इस पत्र की प्राप्ति की सूचना दें तथा कृत कार्रवाई से भी अवगत करायें।

रामसुरेश प्रसाद

अविनाश द्विवेदी

21/109, कमच्छा, वाराणसी ।

नगर प्रशासक,

नगर महापालिका, वाराणसी

विषय-जल-पूर्ति करने के सम्बन्ध में ।

विगत दो दिनों से कमच्छा क्षेत्र में जल की एक बूंद भी नहीं मिली । ऐसा ज्ञात हुआ था कि सम्बन्धित नल में खराबी के कारण पानी सुलभ नहीं हो रहा है, परन्तु ऐसी बात है नहीं। यह तो एक ! बहाना प्रतीत होता है । यहाँ की समस्त जनता की ओर से मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि वस्तुस्थिति का अच्छी तरह पता लगाकर इस क्षेत्र में जल-पूर्ति की समस्या का समाधान करने की कृपा करें।

विवरणात्मक प्रतिवेदन

नीचे विवरणात्मक प्रतिवेदन की रूपरेखा प्रस्तुत की जा रही है, जिसमें बहुत सारे तथ्य, नाम आदि काल्पनिक हैं । परीक्षार्थी इसके आधार पर सही रूपरेखा तैयार कर सकते हैं।

वार्षिक विवरण, 1974-75

साहित्य-परिषद्, डी० ए० वी० कालेज, वाराणसी

यह कालेज नगर की प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थाओं में से एक है। अगस्त 1974 को साहित्य-परिषद् की स्थापना हुई । कालेज की अन्य विभागीय परिषदों की तुलना में यह साहित्य-परिषद् अत्यन्त महत्वपूर्ण है। प्रधानाचार्य जी ने इस वर्ष कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए स्वस्थ पद्धति अपनाने का आदेश दिया, जिसमें 5 पदाधिकारी होंगेकृअध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, उपसचिव और कोषाध्यक्ष। बी० ए० तृतीय खण्ड से अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष एवं सचिव, बी० ए० द्वितीय खण्ड से उपाध्यक्ष एवं उप सचिव का निर्वाचन किया जायगा । इन पदों के प्रत्याशियों को बताया गया कि 1974 की परीक्षा में जिन प्रत्याशियों को हिन्दी में सर्वाधिक अंक मिले हों, उन्हें ही क्रमशः इन पदों के लिए निर्वाचित किया जायगा । इस पद्धति के अनुसार निम्नलिखित छात्र पदाधिकारी (1974-75 के लिए) चुने गये—-

अध्यक्ष-श्रीकृष्णा तिवारी, बी० ए० भाग 3

उपाध्यक्ष-श्री खेमराज सिंह, बी० ए० भाग 2

कोषाध्यक्ष-श्री अनुराग मेहरा, बी० ए० भाग 3

सचिव-श्री अविनाश द्विवेदी, बी० ए० भाग 3

उपसचिव-श्री दीपक मलिक, बी० ए० भाग 2.

14 सितम्बर 1974 को हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डा० शितिकण्ठ मिश्र के सभापतित्व में कार्यकारिणी की प्रथम बैठक हुई। इस बैठक में पूरे सत्र के लिए परिषद् की गतिविधियों की रूपरेखा तैयार की गयी। बैठक में कई निर्णय लिये गयेय जैसे–परिषद् का उद्घाटन समारोह मनाया जाय, प्रति सप्ताह सामान्य ज्ञान की एक प्रतियोगिता की जाय एवं सर्वाधिक अंक पानेवाले प्रतियोगी को पुरस्कार दिया जाय, साथ ही कहानी प्रतियोगिता, निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाय तथा अन्य परिषदों के साथ नाटक भी खेले जायें।

उद्घाटन समारोह-साहित्य परिषद् का उद्घाटन 25 सितम्बर 1974 को 2 बजे कालेज के भव्य हॉल में सम्पन्न हुआ । परिषद् का उद्घाटन करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ० कालूलाल श्रीमाली ने कहा कि परिषद् के गठन से छात्रों का विविध दिशाओं में विकास होगा। उन्हें अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का सुअवसर मिलेगा। माननीय मुख्य अतिथि के अतिरिक्त समारोह में नगर के प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं विद्वान उपस्थित थे। माननीय मुख्य अतिथि के अभिभाषण के पूर्व कालेज के प्राचार्य ने सभी अन्यान्यागतजनों का स्वागत किया। समारोह में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। समारोहक के धन्यवाद ज्ञापन द्वारा कार्यक्रम का समापन हुआ।

सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता-पूरे सत्रभर में पाँच बार सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। प्रति बार सौ से भी ऊपर छात्रों ने भाग लिया जिनमें चार बार अनुराग द्विवेदी, बी० ए० तृतीय खण्ड तथा एक बार अविनाश पाठक, बी० ए० द्वितीय खण्ड को सर्वप्रथम स्थान मिले।

निबन्ध प्रतियोगिता-सत्रभर में पाँच बार ‘परहित सरिस धर्म नहिं भाई’ विषय पर निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें पैंतीस छात्रों ने भाग लिया। अविनाश द्विवेदी, बी० ए० भाग 2 को प्रथम पुरस्कार मिला।

वाद-विवाद प्रतियोगिता-26 जनवरी 1975 को वाद-विवाद प्रतियोगिता हुई जिसमें विषय था-‘प्रजातंत्र में जनता सुखी रहती है।‘ 11 छात्रों ने पक्ष में तथा सात छात्रों ने विपक्ष में भाषण दिया । पवन दीवान बी० ए० अन्तिम वर्ष को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ।

नाटक प्रदर्शन-बसन्तपंचमी के दिन छात्रों ने साहित्य परिषद् के तत्वावधान में ‘पर्दे के पीछे‘ शीर्षक एकांकी का सफल मंचन किया। प्रमुख कलाकार थे बी० ए० भाग 3 के केशवमणि, प्रवन दीवान, अरुण चटर्जी, श्रीकृष्ण लाल तथा बी० ए० भाग 2 के रामप्रसाद, राधेश्याम तिवारी, चतुर्भज लाल आदि । अन्त में प्रधानाचार्य जी ने कलाकारों को बधाई दी।

पिकनिक-इस सत्र में एक पिकनिक का भी आयोजन किया गया था। 13 फरवरी 1975 को साहित्य परिषद के सभी सदस्य और विभागीय अध्यापक वाराणसी के निकट स्थित सारनाथ गये। सभी छात्रों ने मिलकर भोजन बनाया । सबने सामूहिक रूप से भोजन किया । तदुपरान्त एक काव्यगोष्ठी हुई जिसमें छात्रों ने स्वरचित कविताएँ सुनायीं ।

30 अप्रैल 1975 को साहित्य परिषद् का 1974-75 का समापन समारोह मनाया गया । उक्त अवसर पर प्राचार्य जी ने सभी छात्रों को अनुशासनबद्ध होकर कार्य करने के उपलक्ष्य में बधाई दी। अन्त में हिन्दी-विभागाध्यक्ष ने परिषद् के पदाधिकारियों तथा छात्रों को धन्यवाद दिया।

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